एक सैकड़ा महाविद्यालयों का किराएदारी समाप्त होने का इंतजार नहीं हो रहा खत्म

महाविद्यालयों

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य  है, जहां पर अधिकांश सरकारी महाविद्यालय किराए के भवनों में संचालित होने पर मजबूर बने हुए हैं। इसकी वजह से हालात यह हो चुकी है कि प्रदेश में अब भी लगभग एक सैकड़ा कॉलेज ऐसे हैं, जो अब भी किराए के मकान में चल रहे हैं। सरकार नए महाविद्यालय तो खोलती है, लेकिन उनके भवनों के लिए राशि का ही इंतजाम नहीं करती है, जिसकी वजह से प्रदेश में इस तरह की स्थिति बनी हुई है।
वह तो भला हो रुसा का जिसने इस स्थिति को देखते हुए प्रदेश के आधा सैकड़ा महाविद्यालयों में खुद के भवन के लिए दो साल पहले राशि प्रदान कर दी थी, जिससे अब तक 40 भवनों का निर्माण हो चुका है, जबकि दस कॉलेजों को अब भी भवन का निर्माण पूरा होने का इंतजार करना पड़ रहा है।  खास बात यह है कि नए बने भवनों में छात्र-छात्राओं के लिए अत्याधुनिक एवं सुविधाजनक क्लास रूमों का निर्माण किया गया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2013 से 2016 के बीच चार सालों में 135 नए कॉलेज खोले हैं। यह वे कॉलेज हैं जिनके पास भवन की सुविधा न होने की वजह से उन्हें किराए के छोटे-छोटे भवनों में संचालित किया जा रहा है। इनकी दूसरी बड़ी समस्या अमले की भी है। राज्य सरकार द्वारा अमले की व्यवस्था नहीं किए जाने से इसका संकट तो अब भी पूरी तरह से बना हुआ है। जिसकी वजह से कॉलेज प्रबंधन को सीमित संसाधनों से काम चलाने पर मजबूर बने हुए हैं। इसकी वजह है जिस अनुपात में नए कॉलेज खोले गए हैं उसके अनुसार बजट का प्रावधान ही नहीं किया गया है और न ही नए अमले की भर्ती की गई है।
रुसा की मदद से बन रहे भवन
तीन साल पहले रूसा ने वर्ष 2018 मैं विश्व बैंक परियोजना के तहत किराए के भवनों में चल रहे  सरकारी कॉलेजों की जानकारी मांगी थी, इसके बाद उसके द्वारा प्रदेश के आधा सैकड़ा कॉलेजों के भवनों के लिए राशि दी गई थी। इसके बाद दो साल में 40 कॉलेजों के भवन बन सके हैं। खास बात यह है कि नए रुसा की मदद से बनाए जा रहे भवनों में लाइब्रेरी हॉल, क्लासरूम, स्टाफरूम,कैंटीन, कंप्यूटर लैब, खेल मैदान, एनसीसी का स्टोर और होम साइंस का कॉन्फ्रेंस हॉल तक का भी निर्माण किया गया है। इसके साथ ही कॉलेज में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। कॉलेजों का इन भवनों में तमाम तरह की सुविधाओं को जुटाने में देरी को लेकर अफसर कोरोना का बहाना बना रहे हैं। दरअसल इनके भवन तो 2019 में ही बन गए थे।
विंध्य अंचल में बने सर्वाधिक भवन
इस मामले में विंध्य अंचल सर्वाधिक भाग्यशाली है। इसकी वजह है इस अंचल में सर्वाधिक भवनों का निर्माण होना। नए बने भवनों में भोपाल के भेल कॉलेज का भी नाम है। इसके अलावा रीवा में छह, सतना में पांच , सीधी में तीन सिंगरौली में दो और शहडोल जिले के 3 कॉलेज के भी भवन बन चुके हैं। जिन कॉलेजों को भवन मिल हैं उन कॉलेजों को शुरू करने की घोषणा प्रदेश सरकार ने वर्ष 2008 के बाद की थी। जिन अन्य कॉलेजों के भवनों का निर्माण किया जा चुका है उनमें देवास, भिंड, झाबुआ, पन्ना, सागर, उज्जैन ,सीहोर और अशोकनगर के एक-एक कॉलेज शामिल है।

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