
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना की पहली लहर के बाद लाखों की संख्या में एक साथ मजदूरों की घर वापसी के चलते बनी भयावह स्थिति से सबक लेते हुए प्रदेश की शिव सरकार ने कई तरह के कदम उठाए हैं, परिणाम स्वरुप अब मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने लगा है, जिसकी वजह से अब प्रदेश के कई जिलों में पलायन की स्थिति न के बराबर रह गई है। दरअसल मजदूरों को रोजगार देने के लिए प्रदेश में बड़े पैमाने पर काम शुरू किए गए हैं। इसके साथ ही लोगों में अब तीसरी लहर का डर भी बना हुआ है। दरअसल प्रदेश सरकार ने पहले ही इस मामले में आंकलन कर लिया था।
यही वजह है कि प्रदेश में मनरेगा के तहत एक के बाद एक काम शुरू किए गए हैं जिससे बड़े पैमाने पर लोगों को स्थानीय स्तर पर ही आसानी से रोजगार मिलने लगा है। इस वजह से लोगों को न तो घर द्वार छोड़ना पड़ रहा है और न ही खेतीबाड़ी का काम छोड़ना पड़ रहा है। यह बात अलग है कि प्रदेश में मनरेगा के तहत आमतौर पर मिलने वाली मजदूरी से कम पैसा मिलता है, लेकिन घर पर रहने और खेतीबाड़ी का काम भी कर लेने से उनकी आय पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ रहा है। यही नहीं उन्हें अब इसकी वजह से कई अन्य तरह की परेशानियों से भी मुक्ति मिल गई है। सरकार द्वारा मनरेगा के तहत अधिक से अधिक काम शुरू किए जाने से सबसे बड़ी राहत विंध्य और बुदेंलखंड अंचल के गरीब और मजदूर वर्ग को मिली है।
दरअसल प्रदेश के यह दोनों अंचल ऐसे हैं, जहां से सर्वाधिक पलायन होता है, लेकिन इस बार यह स्थिति समाप्त हो चुकी है। मनरेगा के तहत अधिकांश काम बंद हो जाते हैं, लेकिन यही समय खेती किसानी को होता है। इसकी वजह से मजदूरी की जरुरत ही नहीं पड़ती है। अधिकांश मजदूर इस दौरान अपने खेतों में व्यस्त हो जाते हैं। इससे मजदूरों की आय वृद्धि के साथ ही प्रदेश का भी उपज के मामले में फायदा होना तय माना जा रहा है।
कई तरह की परेशानियों का करना पड़ा था सामना
दरअसल कोरोना की पहली लहर के दौरान लगाए गए सख्त लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों को बेहद परेशान होना पड़ा था। इस दौरान सभी तरह के कामों पर रोक के साथ ही आवागमन के साधन भी बंद कर दिए गए थे। इसकी वजह से इन मजदूरों का रोजगार तो छिन ही गया था साथ ही उनके सामने दो जून की रोटी का भी संकट खड़ा हो गया था। इस स्थिति के चलते उन्हें अपने घरों का रुख करना पड़ा था। आवागमन के साधन नहीं होने की वजह से उन्हें सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना पड़ा था। सफर के दौरान उन्हें भोजन पानी से लेकर कई अन्य तरह की परेशानियों का भारी सामना करना पड़ा था।
13 लाख काम शुरू करने की योजना
रोजगार गांरटी विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में 12.94 लाख नए काम शुरू करने की योजना बना ली गई है। इसके तहत चालू वित्त वर्ष 2021-22 में मुख्यतौर पर पौधरोपण, स्कूल डाइनिंग टेबल, कैच दी रैन के कार्य खोले जा रहे हैं। कोरोना की पहली लहर में 17.82 लाख नए जॉब कार्ड बनाए गए हैं। बताया गया कि इस वर्ष अब तक 65.58 लाख मजदूरों को रोजगार दिया गया। केंद्र सरकार से 21 करोड़ मानव दिवस का लेबर बजट मंजूर हुआ है। प्रथम तिमाही में 10.50 करोड़ का लेबर बजट निर्धारित था।
गा्रम पंचायतों से मांगी संभावित कामों की जानकारी
देश के साथ ही प्रदेश में तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए अभी से पूरी तैयारी की जा रही है, जिससे कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। इस तैयारी की वजह है मजदूर अब गांवों से बाहर रोजगार की तलाश में नही जा रहे हैं। इसकी वजह से उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार देना प्राथमिकता में रखा गया है। इसकी वजह से अगले माह से श्रमिकों के लिए ग्राम स्तर पर ही काम शुरू करने की पूरी तैयारी अभी से कर ली गई है। इसके लिए माइक्रो प्लान बनाया गया है। इसमें किस गांव में कौन से काम शुरू किए जा सकते हैं इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर से भी जानकारी जुटाई गई है। गौरतलब है कि प्रदेश में पहली लहर के समय डेढ़ लाख से अधिक मजदूरों को रोजगार दिया गया था।
क्या कहते हैं मजदूर
दमोह जिले की ग्राम पंचायत सेमरा लखरौनी के निवासी हरिदास पाल और उनके भाई झलकन का कहना है कि उन्हें और उनके परिवार को मनरेगा में रोजगार मिलने से जीवन यापन अब आसान हो गया है। हरिदास पाल पिछले पांच साल से धार जिले के पीथमपुर में एक दवा कंपनी में काम कर रहा था और इसका भाई अहमदाबाद की एक दवा कंपनी में काम करता था। मार्च महीने में कोरोना महामारी के कारण दोनों अपने घर सेमरा लखरौनी आ गए। एहतियात के तौर पर 14 दिन तक क्वारंटाइन किया गया। इस अवधि के बीत जाने के बाद इन्हें रोजी-रोटी की दरकार थी। ऐसे में गांव के जनप्रतिनिधि ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्रमिकों को जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा से रोजगार दिलाने की बात कही है, तो ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक से संपर्क कर तुम लोगों को काम मिल सकता है। दोनों भाईयों ने रोजगार सहायक से सम्पर्क किया। कुछ दिन बाद नवीन जॉब कार्ड के साथ स्थानीय स्तर पर ही कपिलधारा कूप पर कार्य करने के लिए उन्हें एवं उनके परिवार के सदस्यों को मजदूरी पर रख लिया गया। ग्राम पंचायत में काम मिलने से उनका जीवन यापन आसान हुआ। हरिदास पाल का कहना है कि ऐसे ही गांव में काम मिलता रहेगा तो फिर हमें बाहर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
तीन सालों में यह है स्थिति
अगर प्रदेश में संचालित मनरेगा की तीन सालों की स्थिति को देखा जाए तो वर्ष 19-20 में 61.59 लोगों को रोजगार दिया गया। इन्हें मजदूरी के रूप में 3265.38 लाख रुपए का भुगतान किया गया , जबकि सामग्री पर 4949. 06 लाख रुपए का भुगतान करना पड़ा है। वर्ष 2020-21 में 105.39 लोगों को रोजगार दिया गया और उन्हें मजदूरी के रुप में 6077.99 लाख रुपए का भुगतान किया गया। इसी तरह से सामग्री पर 9142.10 लाख रुपए खर्च किए गए। जबकि चालू वर्ष 21-22 में अब तक 65.59 लोगों को रोजगार दिया गया। इन्हें मजदूरी के रूप में 2766.05 लाख रुपए का भुगतान और 4041.65 रुपए सामग्री पर खर्च किए गए।