फिजूलखर्ची पर रोक के साथ ही गरीब कल्याण के रोडमैप के अमल में जुटी सरकार

 गरीब कल्याण
  • आदिवासी आश्रमों और छात्रावासों के नवीन निर्माण कामों पर तीन साल की रोक…

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। खराब  आर्थिक स्थिति का पहले से ही सामना कर रही प्रदेश सरकार की मुश्किलें कोरोना संक्रमण के चलते लगाए गए दो बार के लॉकडाउन की वजह से और  बढ़ गई हैं। यही वजह है कि अब प्रदेश की शिव सरकार ने फिजूलखर्ची पर रोक लगाने के साथ ही गरीब कल्याण पर पूरा फोकस करना तय किया है।
    यही वजह है कि अब सरकार ने जनजातीय विभाग के तहत आने वाले स्कूल, आश्रम और छात्रावासों में अब नए निर्माण कामों और मरम्मत के कामों पर अगले तीन सालों तक रोक लगा दी है। इसके पहले विभागों द्वारा नए वाहन खरीदने पर भी रोक लगाई जा चुकी है। वहीं गरीबों के कल्याण के लिए योजनाओं का संचालन करने वाले विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय और सहभागिता से आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप तैयारी करने और उस पर किस तरह से अमल किया जाए , इसके लिए आठ मंत्रियों का समूह भी गठित कर दिया गया है।
    समूह में इन आठ विभागों के यह मंत्री शामिल
    सरकार द्वारा जिन आठ विभागों के मंत्रियों को इसमें शामिल किया गया है, उनमें  खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री डॉ महेन्द्र सिंह सिसोदिया, पशुपालन मंत्री प्रेमसिंह पटेल, सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया, नवीन एवं नवकरणीय उर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल, नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया शामिल हैं।
     इस समिति का नोडल विभाग खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग को बनाया गया है। इसके अलावा इसी विभाग के प्रमुख सचिव को समूह का समन्वयक बनाया गया है। समूह की बैठकों में इन सभी मंत्रियों के विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों का भाग लेना अनिवार्य किया गया है। इस समूह की बैठक हर माह में कम से कम एक जरूर करनी होगी, जिसमें जरुरत के हिसाब से विशेष विशेषज्ञों को भी बुलाया जा सकता है।
    मिलीभगत पर लगेगी लगाम
    विभाग की विभिन्न संस्थाओं के संधारण, सुदृढ़ीकरण और लघु निर्माण कार्य के लिए यह तय किया है कि ऐसे भवन जिनके निर्माण पूर्ण हुए अभी 5 वर्ष पूरे नहीं हुए हंै उनमें विशेष मरम्मत, सुदृढ़ीकरण के कार्य स्वीकृत नहीं किए जाएंगे।
    इसी तरह जिन संस्थाओं में भवनों के निर्माण हुए 3 वर्ष से कम समय हुआ हो तो उनमें वार्षिक मरम्मत के काम स्वीकार नहीं किए जाएंगे। इसकी वजह है जनजातीय कार्य विभाग के छात्रावास, आश्रम, शालाओं और विद्यालयों में अफसरों और ठेकेदारों की साठगांठ से नवीन भवनों की मरम्मत और सुदृढ़ीकरण के नाम पर जबरिया काम दिखाकर फिजूल खर्ची किए जाने की शिकायतों पर रोक लगाने के लिए अब यह निर्णय लिया गया है।
    यह भी किया गया प्रावधान
    भवनों में विशेष मरम्मत के काम पोर्टल में विस्तृत विवरण भी डालना होगा, जिसमें प्रशासकीय स्वीकृति, आवंटन, कार्य पर व्यय, कार्य के पूर्व एवं बाद के फोटोग्राफ्स एवं पूर्णता प्रमाण-पत्र का विवरण दिया जाना अनिवार्य होगा। विभागीय इंजीनियर संस्था प्रमुख के साथ पोर्टल पर इन्फ्रास्ट्रक्चर की जानकारी का मिलान वास्तविक कार्य से करेंगे। इसके बाद वास्तविक कार्य का डीपीआर अपलोड करेंगे। पूर्ण कार्यों के स्वीकृति व्यय, उपयोगिता, पूर्णता प्रमाण-पत्र एवं विभिन्न कोणों से लिए गए 6 फोटोग्राफ पोर्टल पर अपडेट करेंगे। स्वीकृति के बाद अधिकारी निविदा आमंत्रित कर स्वीकृत करेंगे। काम के फोटोग्राफ, संस्था प्रमुख का प्रमाण-पत्र, उपयोगिता और पूर्णता प्रमाण-पत्र मरम्मत कराए जाने के अंतराल का ब्यौरा भी पोर्टल पर देना होगा।
    इन मापदंडों से होंगे यह काम
    जनजातीय विभाग की संस्थाओं में शौचालय निर्माण राष्ट्रीय भवन निर्माण संहिता के मापदंड से किए जाएंगे। छात्र संख्या के अनुसार शौचालय, स्नानागार की कमी हो तो नए बनेंगे। दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए अलग शौचालय का प्रावधान करना होगा।

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