- नगीन बारकिया

जितिन प्रसाद की दावत का संकेत क्या है…?
कांग्रेस के युवा नेता जितिन प्रसाद का पिछले दिनों भाजपा में प्रवेश करने के बाद से राजनीतिक पर्यवेक्षक उनकी हर गतिविधि पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। विशेष रूप से इसलिए कि इन्हें ऐसा लगता है कि विधानसभा के भावी चुनावों को देखते हुए भाजपा अपनी रणनीति के तहत विपक्ष में तोड़फोड करवा सकती है और उसके लिए जितिन प्रसाद के कंधे का उपयोग किया जा सकता है। ताजा जानकारी के अनुसार जितिन प्रसाद ने भाजपा प्रवेश के बाद अपने दिल्ली स्थित निवास पर एक छोटी सी दावत आयोजित की थी जिसमें शामिल होने वालों में भाजपा प्रवक्ता जफर इस्लाम के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया भी थे। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से काग्रेस नेता सचिन पायलट और मुरली देवड़ा के भी इसमें शामिल होने की सूचना है। बस फिर क्या है राजनीतिक पंडित दावत के पीछे के गुणा-भाग करने में जुट गए हैं।
असम कांग्रेस में बगावत के आसार, एक विधायक ने पार्टी छोड़ी
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद ही असम कांग्रेस में बगावत के आसार नजर आने लगे हैं। चार बार के विधायक रूपज्योति कुर्मी के इस्तीफे के साथ ही इस बगावत की शुरूआत हो गई लगती है। कुर्मी ने पार्टी का साथ छोड़ते हुए विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। कुर्मी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। यह कांग्रेस के लिये बड़ा झटका है। कुर्मी विपक्ष के नेता पद के दावेदारों में भी शामिल थे। उनका ताल्लुक चाय बगान श्रमिक समुदाय से है और पार्टी ने चुनाव रणनीति चाय श्रमिकों को केंद्र में रखकर बनाई थी। असम कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुर्मी सिर्फ शुरूआत भर हैं। अभी कई और विधायक पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं। बताया जाता है कि इस तोड़फोड़ के पीछे भाजपा अगले साल होने वाले राज्यसभा की दो सीटों के चुनाव को देख रही है। ये दोनों सीटें अभी कांग्रेस के पास है और ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा इन दोनों सीटों को हथियाने के लिए कुछ अन्य विधायकों के इस्तीफे भी करवा सकती है।
तीसरी लहर से बच्चों को डरने की जरूरत नहीं
कोरोना की तीसरी लहर के संबंध में कराए गए एक सीरो सर्वे यह साफ कहा गया है कि तीसरी लहर से बच्चों को डरने की जरूरत नहीं है। यह कहना सही नहीं है कि तीसरी लहर में बच्चे बुरी तरह प्रभावित होंगे। सर्वे में यह बात सामने आई है कि सभी आयु वर्ग के लोगों में सीरो पॉजिटिविटी एक समान है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटी दर 56% और 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में 63% है। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि 18 वर्ष से कम और 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटी लगभग बराबर है। बताया गया कि वैक्सीनेशन के बाद लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 75 से 80 प्रतिशत कम हो जाती है। ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत आठ प्रतिशत होती है, वहीं आईसीयू में भर्ती होने की नौबत मात्र छह प्रतिशत लोगों को होती है।
स्कूल खोलने पर अभी कोई विचार नहीं
पिछले करीब डेढ़ साल से कोरोना की वजह से स्कूल-कॉलेजों में ताले डले हुए है और बच्चों की पढ़ाई अस्त-व्यस्त है। इस साल भी 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं समेत दूसरी परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है। इस बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा है कि स्कूल दोबारा खोलने के बारे में तब ही सोचा जाएगा जब ज्यादातर शिक्षकों का वैक्सीनेशन हो जाएगा। साथ ही जब तक कोरोना का बच्चों पर कैसा प्रभाव पड़ता है इसके बारे में और साइंटिफिक डिटेल नहीं मिल जाती तब तक स्कूलों को खोलने के बारे में नहीं सोचा जा सकता। नीति आयोग के मेंबर वीके पॉल ने स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि स्कूलों को दोबारा खोलने का समय जल्द ही आना चाहिए, लेकिन हमें इस पर भी विचार करना चाहिए कि विदेशों में स्कूल कैसे फिर से खोले गए थे और कोरोना के प्रकोप के बाद उन्हें बंद करना पड़ा। हम अपने छात्रों और शिक्षकों को ऐसी स्थिति में नहीं डालना चाहते हैं। जब तक हमें ये विश्वास न हो कि महामारी हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकती, हमें ऐसा नहीं करना चाहिए।