बिहाइंड द कर्टन/क्या विभा पटेल हो सकती हैं प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष

  • प्रणव बजाज
 विभा पटेल

क्या विभा पटेल हो सकती हैं प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष
प्रदेश में महिला कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए भोपाल की पूर्व महापौर विभा पटेल का नाम तेजी से उभरा है। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी समर्थन है। जबकि दो अन्य नाम सामने आए हैं उनमें ग्वालियर की रश्मि यादव और विंध्य की कविता पांडे की दावेदारी भी सामने आ रही है वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ चाहते हैं कि नूरी खान को मौका दिया जाए। बहरहाल अभी इस मामले में मंथन का दौर जारी है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की बात को तवज्जो मिली तो विभा पटेल अगली प्रदेश महिला कांग्रेस हो सकती है। हालांकि राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की ओर से दीप्ति सिंह का नाम आगे बढ़ाया गया है। सूत्रों की मानें तो कमलनाथ की टीम में उन्हीं लोगों को मौका मिलेगा जिनके दावेदारी 2023 के विधानसभा चुनाव में टिकट की नहीं होगी। यानी चुनाव या संगठन में से किसी एक तरफ ही चलने का विकल्प होगा।

ग्वालियर की ये तीन लेडी सिंघम
प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग की तीन लेडी सिंघम इन दिनों अपनी निडर कार्यशैली को लेकर चर्चाओं में हैं। इनमें पहली हैं आबकारी अधिकारी के रूप में दतिया में पदस्थ निधि जैन, इनका नाम शराब माफियाओं को डराने के लिए काफी है। इन्होंने  दर्जनों बार मुरैना में गांव गांव जाकर अवैध शराब बनाने वालों के खिलाफ धरपकड़ की। कंजर व्हिस्की और भट्टी पर बनने वाली देसी शराब के सेवन से लोगों को जागरूक किया। दूसरी हैं मुरैना की एसडीओ फॉरेस्ट श्रद्धा पांडुरे। ये चंबल में अवैध रेत खनन कर रहे माफियाओं से लोहा ले रहीं हैं। कई बार माफियाओं ने इन पर हमले भी किए लेकिन उनकी मर्दानी शैली के आगे माफियाओं को झुकना पड़ा। वहीं तीसरी लेडी सिंघम हैं आईएएस जयति सिंह। ये स्मार्ट सिटी की सीईओ है। इन्होंने डिजिटल इंडिया का बखूबी इस्तेमाल किया। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में अपनी जान जोखिम में डालकर कंट्रोल कमांड सेंटर पर देश-दुनिया और प्रदेश के कोरोना के आंकड़ों पर बारीकी से नजर रखी। कोरोना काल में आॅक्सीजन की कमी और अस्पतालों के बीच सामंजस्य बिठाने का काम बखूवी निभाया है।

राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को ट्रेनिंग की दरकार
प्रदेश में कोरोना की वजह से कार्यालयीन कामों के साथ ही अधिकारियों की ट्रेनिंग भी पिछड़ गई है। पिछले सवा साल से राज्य प्रशासनिक सेवा अफसरों की कोई भी ट्रेनिंग नहीं हुई है। हालांकि संक्रमण की दूसरी लहर की भयावहता के चलते अधिकारियों के मन में भी ट्रेनिंग पर जाने को लेकर  डर बना रहा। वहीं कोरोना संक्रमण की वजह से मसूरी सहित अन्य संस्थानों में ट्रेनिंग पर रोक लगी हुई है। इस वजह से विदेश जाने से भी यह अधिकारी वंचित रहे हैं। बता दें कि हर साल सरकार करीब सौ से अधिक राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को ट्रेनिंग पर भेजती है। अब चूंकि कोरोना लगभग नियंत्रण पर है। ऐसे में इन अफसरों को रोक हटने और ट्रेनिंग पर जाने का इंतजार है।

तमाम विरोधों के बाद अरुण ही होंगे खंडवा से कांग्रेस के प्रत्याशी
प्रदेश के खंडवा की रिक्त लोकसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर गहमागहमी शुरू हो गई है। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव उपचुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन पीसीसी में उनके नाम को लेकर नाराजगी सामने आई है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा विंध्य को लेकर दिए गए बयान से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह नाराज हैं। वहीं कुछ मुद्दों पर अरुण यादव की भी कमलनाथ से नहीं बन रही है। पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और जीतू पटवारी यादव की नाराजगी दूर करने में लगे हैं। इन तीनों के बीच बैठक भी हुई है। हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव संजय कपूर के दौरे के दौरान उनका अलग-अलग गुट के लोगों से मुलाकातों का दौर चला। संजय कपूर के इस दौरे में प्रदेश की रिक्त तीन विधानसभा सीटों के साथ ही खंडवा लोकसभा के उपचुनाव को लेकर रायशुमारी की गई है। बहरहाल माना जा रहा है कि तमाम विरोधों के बावजूद अरुण यादव ही खंडवा लोकसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे।

Related Articles