
- सरकार ने जंगल काटने को लेकर एनजीटी के नियमों को भी दरकिनार कर दिया…
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। बक्सवाहा की जिस खदान से हीरों का खनन किया जाना है, वहां पर काटे जाने वाले लाखों पेड़ों को बचाने के लिए जहां लोग विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं सरकारी स्तर पर पेड़ों की कटाई के लिए ठेका देने की पूरी तैयारी कर ली गई है। इसके लिए हाल ही में टेंडर जारी किया जा चुका है। इससे यह तो तय हो गया है कि सरकार अब इस मामले में किसी भी हालत में कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं है। पेड़ों की कटाई के लिए अब स्थानीय प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गई है। यह रिपोर्ट राजस्व और वन विभाग को देनी है। इसमें एसडीएम और डीएफओ से रिपोर्ट मिलने के बाद कलेक्टर द्वारा निर्णय लिया जाना है। उधर पेड़ कटाई का ठेका लेने के लिए अब तक राजस्थान की एक कंपनी आगे आ चुकी है। उसके द्वारा टेंडर भी जमा कराया जा चुका है। गौरतलब है कि यहां पर बंदर डायमंड ब्लॉक के तहत जंगल में 364 हेक्टेयर जमीन पर उत्खनन किया जाना है। इसके लिए एक साथ लाखों पेड़ों की कटाई की जानी है। इसके अलावा प्रोजेक्ट स्थल तक आवागमन के लिए करीब 12 हेक्टेयर में सड़कों और करीब साढ़े छह हेक्टेयर जमीन नाले पर बांध बनाने के लिए भी जमीन चाहिए है। इसके लिए भी पेड़ों की कटाई की जानी है। यह परियोजना करीब 25 सौ करोड़ की है।
करीब साढ़े तीन करोड़ कैरेट हीरे का है भंडार
बताया जा रहा है कि इस खदान में करीब साढ़े तीन करोड़ कैरेट हीरे का भंडार होने का अनुमान है। यहां से हीरा निकालने का काम बिड़ला ग्रुप द्वारा किया जाना है। यह ग्रुप अगले दो साल में खदान शुरू करने की तैयारी कर रहा है। इस खदान से सरकार को बड़ी आय होने की संभावना है। यही वजह है कि सरकार द्वारा इसके लिए पर्यावरण का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है। इसकी वजह से हाल ही में एनजीटी द्वारा राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया गया है। इसमें सरकार से पूछा गया है कि पेड़ों की कटाई की अनुमति किसके द्वारा दी गई है। इसके लिए एनजीटी के नियमों को भी दरकिनार कर दिया गया है। अब यह पेड़ कटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
स्थानीय लोगों का छिन जाएगा रोजगार
बताया जाता है कि कटने वाले जंगल से स्थानीय लोगों की बड़ी आबादी का रोजगार चलता है। इन पेड़ों की कटाई होने के बाद उनका रोजगार समाप्त हो जाएगा। हालांकि इस मामले में खनन करने वाली कंपनी का दावा है कि खदान शुरू होने से स्थानीय स्तर पर ही करीब चार सौ लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिल सकेगा। कंपनी के रोजगार के दावों को लेकर स्थानीय लोग सहमत नहीं हैं। दरअसल अब तक लोगों का अनुभव रहा है कि सरकार व कंपनियों द्वारा किए जाने वाले दावे और वादे हकीकत में धरातल पर या तो उतरते नहीं हैं या फिर उनके लिए लोगों को लंबा संघर्ष करना पड़ता है।
आधा दर्जन प्रजाति के पेड़
जिन पेड़ों को काटा जाना है उनमें सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक आधा दर्जन प्रजाति के पेड़ हैं। इन कटने वाले पेड़ों की कुल संख्या सरकारी स्तर पर 2 लाख 15 हजार से अधिक बताई जाती है। इनमें महुआ के 7106, तेंदू के 36652, बेल के 22990, और सागौन के 37334 पेड़ बताए जा रहे हैं। इनके अलावा इस इलाके में बड़ी संख्या में छोटे झाड़ के भी पेड़ पौधे हैं।