सरकार बीज की जमाखोरी पर सख्त, एस्मा लगाने की भी तैयारी

नकली बीज

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य सरकार किसानों को  बीज उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसके बावजूद भी प्रदेश में खरीफ फसलों की बोवनी के लिए बीज का संकट बना हुआ है। जमाखोरी और मुनाफाखोरी से भी लोग बाज नहीं आ रहे हैं। किसानों के सामने सोयाबीन के बीज की भारी किल्लत है। यही नहीं निजी क्षेत्र में सोयाबीन के बीज की कीमत बारह हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है जबकि सरकारी रेट इसका छह हजार छह सौ रुपए तय है। यही कारण है कि अब सरकार ने इस पर सख्त रवैया अपनाने की तैयारी कर ली है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में करीब 15 लाख क्विंटल बीज की जरूरत है। सरकार किसानों को विभिन्न योजनाओं से ढाई लाख तथा सरकारी समितियों के माध्यम से करीब तीन लाख क्विंटल बीज उपलब्ध कराती है।
वहीं साठ प्रतिशत बीज की पूर्ति निजी क्षेत्र से होती है। इसके अलावा बड़ी संख्या में किसान खुद के बीज का उपयोग भी करते हैं, लेकिन फसल के लगातार खराब होने से समस्या खड़ी हो गई है।  और सोयाबीन बीज की कीमत बढ़कर दोगुनी पहुंच गई है। हालांकि कृषि विभाग ने इस समस्या पर सख्ती दिखाना शुरू कर दिया है। विभाग ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि बीज की उपलब्धता और वितरण पर सख्त नजर रखी जाए। यही नहीं एस्मा लगाकर कार्रवाई करने की भी तैयारी की जा रही है। कृषि विभाग के एसीएस अजीत केसरी ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि जमाखोरी और मुनाफाखोरी पर सख्ती से कार्रवाई की जाए। यही नहीं केंद्र सरकार को भी मूल्य नियंत्रण संबंधी अधिकार मांगे जाने के लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
मुनाफाखोरी को लेकर सख्ती बरतने के निर्देश
वहीं प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि दो-तीन साल से सोयाबीन की फसल प्रभावित होने से प्रमाणित बीज की कमी सामने आ रही है। इसकी वजह से कुछ जगह नकली बीज बनाकर बेचने और मुनाफाखोरी की शिकायतें सामने आई है। इसको लेकर खंडवा जिले में नकली बीज के मामले में पांच अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है। वरिष्ठ अफसरों को निर्देश दिए हैं कि मुनाफाखोरी ना हो इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
पिछले तीन साल से फसल हो रही खराब
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पिछले लगातार तीन वर्षों से फसल प्रभावित हो रही है। बीते साल ही अतिवृष्टि और कीट व्याधि की वजह से सोयाबीन की फसल बड़े स्तर पर प्रभावित हुई है। इसके पहले के सालों में भी कुछ ऐसे ही हालात बने थे। इसका असर बीज उत्पादक कार्यक्रमों पर भी पड़ा है। यही वजह है कि प्रमाणित बीज का संकट खड़ा हो गया है। वहीं प्रदेश से बड़ी मात्रा में बीज देश के अन्य राज्यों में भी जाता है। चूंकि बीज का नियंत्रण केंद्र सरकार के अधीन होता है इसलिए राज्य सरकार इस पर रोक भी नहीं लगा सकती। हालांकि कृषि मंत्री कमल पटेल के निर्देश पर विभाग ने इसको लेकर कदम उठाए थे तो तो केंद्र सरकार ने जवाब तलब कर लिया था।

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