आपदाओं का मुकाबला करने संघ की पहल पर बनाया जाएगा आईएमएस

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

धर्माचार्यों से भी संपर्क रखा जाएगा ताकि लोगों को तनाव व अवसाद के दौर से बाहर निकालने में उनकी मदद ली जा सके

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा डॉक्टरों के केंद्रीय कैडर बनाने पर सहमति बनी गई है। संघ के सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल और भैय्या जी जोशी द्वारा हाल ही में भोपाल में की गई विशेष बैठकों के बाद यह निर्णय लिया गया है कि डॉक्टरों का केंद्रीय कैडर इंडियन मेडिकल सर्विस (आईएमएस) का गठन होना चाहिए। हालांकि मेडिकल एसोसिएशन भी कई वर्षों से इसकी मांग उठा रहा है। भैय्या जी जोशी ने भोपाल में विभिन्न बैठकों में कोरोना की दूसरी लहर की समीक्षा करते हुए इस मुद्दे पर अपनी राय रखी। बैठक में तय किया गया कि संघ की संपर्क यूनिट देशभर के ऐसे दानवीरों और संगठनों से संपर्क करेगा जिन्होंने महामारी के दौरान मानवता की सेवा में अहम भूमिका निभाई है। इसी कड़ी में राजधानी के समाज सेवा न्यास परिसर में महामारी के दौरान संघ की जो टोलियां सेवा कार्यों से जुड़ी थी उनके कामकाज की समीक्षा करने बाद भैय्या जी ने आईएमएस के गठन के पक्ष में अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि देश के सभी राज्यों में संघ ऐसे लोगों व संगठनों से संपर्क करेगा जो महामारी और आपदा के दौरान पीड़ितों की मदद में दिन-रात जुटे रहे। संघ ऐसे लोगों की सूची भी तैयार करेगा और उनसे जीवंत संपर्क बनाए रखेगा। ताकि बुरे वक्त में समाज खुद लोगों की मदद के लिए पहल कर सके। इस दौरान जोशी ने बैठकों में बताया कि ऐसे लोगों से पहले स्थानीय अधिकारी मिलेंगे और बाद केंद्रीय अधिकारी भी से संपर्क करेंगे। यही नहीं इस कड़ी में सभी धर्मों के धर्माचार्यों से भी संपर्क रखा जाएगा। ताकि लोगों को तनाव व अवसाद के दौर से बाहर निकालने में उनकी मदद ली जा सके।
महामारी से एक्सपर्ट्स ही मुकाबला कर सकते हैं
बैठकों में यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई कि कोरोना जैसी महामारी का मुकाबला सिर्फ एक्सपर्ट्स ही कर सकते हैं न कि नेता और अफसर। यही वजह है कि अब इंडियन मेडिकल सर्विस का गठन होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि डॉक्टरों का केंद्रीय कैडर आईएमएस बनाने के लिए कई दशकों से मांग उठ रही है लेकिन कोरोना के दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाओं की बदइंतजामी सामने आई है उसके बाद इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। सब जानते हैं कि पूरा देश इस समय मेडिकल इमरजेंसी से गुजर रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कई दशकों से इसकी मांग उठाता रहा है। दरअसल इसके पीछे तर्क यह है कि कोरोना से मुकाबला एक्सपर्ट ही कर सकते हैं, नेता और अफसर नहीं।  महामारी जैसे संवेदनशील मौके पर जब लोगों के जान पर बन आती है तो ऐसे में अधिकारियों के निर्णय लिए जाने का इंतजार नहीं किया जा सकता।
आपदाओं से निपटने ट्रेंड हो समाज
संघ के पूर्व सरकार्यवाह एवं अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भैय्या जी जोशी ने कोरोना संकट के दौरान विभिन्न प्रकार की सेवा गतिविधियों में कार्य करने वाले स्वयंसेवकों के अलावा विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें की। उन्होंने चिकित्सा कार्य में सेवा देने वाले डॉक्टर, प्लाज्मा उपलब्ध कराने की व्यवस्था संभालने वाले स्वयंसेवक व अन्य संस्थाएं श्मशान घाटों पर काम करने वाले कर्मचारी, घर-घर जाकर स्क्रीनिंग व टेस्टिंग करने वाले, इंजेक्शन-दवा उपलब्ध कराने में सहायता करने वाले ऐसे अलग-अलग समूहों के साथ भी बैठकें कर उनके अनुभव जाने और फीडबैक लिया। जोशी ने कहा कि भगवान से प्रार्थना करते हैं कि फिर कभी कोविड-19 जैसा संकट न आए, लेकिन फिर भी हमें ऐसी आपदाओं, महामारी से निपटने और उसका सामना करने के लिए समाज को ट्रेंड करना होगा।

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