
- कई प्रदेशों में की जा रही है पौधों की सप्लाई
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में पैदा किए जा रहे चंदन के बीजों की मांग देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अच्छी खासी बनी हुई है। इन बीजों को पाकिस्तान से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक सप्लाई हो रही है। इससे यह तय है कि आगामी कुछ सालों में देश विदेश में भारतीय चंदन के बीजों से चंदन की महक की सुंगध बिखरेगी। दरअसल यह कारनामा किया है मैहर के एक किसान ने , जिसने यूट्यूब पर वीडियो देखकर चंदन के पौधे की नर्सरी संचालित करना शुरु किया है। मार्केटिंग भी ऑनलाइन ही कर रहे हैं। यह काम किया है अमरपाटन ब्लॉक के त्योंधरी गांव के कृष्ण कुमार सिंह ने वह पेशे से ढाबा संचालक हैं। 2021-2022 में उन्होंने शौक के लिए चंदन की नर्सरी शुरू की। इसके बाद उनके चंदन के बीज पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका समेत अन्य देशों में सप्लाई हो रहे हैं। इसी तरह से नर्सरी में तैयार पौधों को बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत आंध्रप्रदेश के लोग लेने आते हैं।
यूट्यूब से सीखा, उगाए चंदन के पौधे
कृष्ण कुमार का कहना है कि वे पहले परंपरागत खेती किया करते थे। करीब तीन साल पहले की बात है। एक दिन ढाबे में बैठे-बैठे ख्याल आया कि पूर्वज भी चंदन के पौधे लगाया करते थे, तो क्यों न चंदन के पौधे लगा कर कमाई बढ़ाई जाए। इसके बाद यूट्यूब पर सर्च करना शुरू किया। बेंगलुरु में चंदन रिसर्च सेंटर के बारे में पता चला। चंदन के बीज की जानकारी ली। ऑनलाइन ही उनसे पौधे उगाने की तकनीक सीखी। पहली बार बेंगलुरु से सिर्फ एक किलो बीज मंगवाए। ढाबे के ही पीछे करीब तीन हजार वर्गफीट जमीन है। बीजों को मिट्टी में रोप कर ट्रायल शुरू किया। रिजल्ट पॉजिटिव आया। करीब 70 प्रतिशत बीज पौधे का आकार ले रहे थे। यह देखकर हौसला आया।
यूट्यूब चैनल बनाकर की मार्केटिंग
ट्रायल में उपजे पौधे को आसपास के किसानों को दे दिया। एक बार फिर से बीज मंगवाए। इन बीजों को दोबारा रोपा। पिछली बार का एक्सपीरियंस भी था। अब मार्केटिंग की दिक्कत थी। इसके लिए भी टेक्नोलॉजी का सहारा लिया। पौधे उगाने के पहले यूट्यूब चैनल बनाया। इसके जरिए मार्केटिंग शुरू की। देखते ही देखते चंदन के पौधों की डिमांड आने लगी। फिर क्या था? शौक आमदनी में तब्दील हो गया।
चंदन के पेड़ से 15 साल में 5 करोड़ की इनकम
कृष्ण कुमार बताते हैं, चंदन का एक पेड़ करीब 15 साल में तैयार होता है। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 70 हजार रुपए से लेकर दो लाख रुपए से ज्यादा होती है। वह किसानों को सलाह देते हैं कि परंपरागत खेती के साथ कुछ एरिया में चंदन के पौधे भी लगाएं। इससे इनकम में इजाफा होगा। उनका कहना है कि चंदन का पेड़ फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह होता है। जिस तरह एफडी में एक बार इन्वेस्ट करने पर तय समय में दोगुना हो जाता है। ठीक उसी तरह, चंदन का पेड़ एक बार लगाने पर इसकी कीमत कई गुना बढ़ जाती है। हां, इसकी सेफ्टी की जरूरत होती है, क्योंकि लोग इसे चोरी भी कर लेते हैं। अगर कोई व्यक्ति 50 पौधे भी लगाता है, तो 15 साल बाद वह करोड़पति हो जाएगा।
2 हजार रुपए किलो में बिकते हैं चंदन के बीज
कृष्ण कुमार का कहना है कि यूट्यूब चैनल पर चंदन के पौधों की मार्केटिंग के दौरान बीजों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि बीज की डिमांड आने पर बेंगलुरु से थोक में बीज खरीदकर सप्लाई करने लगा। इससे मुनाफा भी बढऩे लगा। इसके बाद खुद के तैयार बीज मुंबई के डीलर के जरिए पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तक बीज की सप्लाई करते हैं। कस्टमर ऑनलाइन ऑर्डर देता है। दो हजार रुपए प्रति किलो की दर से बीज बेचते हैं।
सेब, संतरा और आम के पौधे भी लगाए
चंदन के अलावा कृष्ण कुमार ने नर्सरी में सेब, संतरा और आम के पौधे भी लगाए हैं, जिससे सालाना करीब एक लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। वह कहते हैं कि मेरे पूर्वज भी चंदन के पेड़ लगाया करते थे, लेकिन सरकार द्वारा रोक लगाने के बाद चंदन के पेड़ लगना बंद हो गए थे। इसके बाद साल 2002 में सरकार ने रोक हटा ली। वर्तमान में चंदन का पौधा 100 से 150 रुपए में बिकता है।