मप्र के शहरों में जल्द दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक बसें

  • गौरव चौहान
इलेक्ट्रिक बसें

मप्र में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को बढ़ावा देने की तैयारी है। प्रदेश में प्रदूषण कम करने के लिए तीन हजार ई- बस चलाने का टारगेट है। इसके लिए मप्र इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी 2024 भी बना ली गई है। इसमें ई-चार्जिंग स्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के साथ इलेक्ट्रिक बसें शुरू करने के लिए खास प्रावधान रखे गए है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने यह नीति तैयार कराई है। इसके लिए मोहन यादव कैबिनेट पहले ही फरवरी में पीएम ई बस सेवा के अंतर्गत प्रदेश के 6 बड़े शहरों में इसके संचालन का फैसला कर चुकी है। अब इस योजना में चलाई जाने वाली बसों के आपरेशन और बसों के केंद्र से डिमांड समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा करने के साथ एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार करने को लेकर नगरीय प्रशासन और विकास विभाग सक्रिय हो गया है। लोकसभा चुनाव के दौरान चूंकि नीतिगत निर्णय लेने का काम नहीं हो सकता और कैबिनेट बैठक नहीं हो सकती। इसलिए अब मंत्रालय के अधिकारी आचार संहिता लागू होने के पहले लिए गए निर्णयों के नियमों को बनाने और अन्य प्रक्रिया पूरी करने में जुटे हैं। इसी तारतम्य में जल्द ही नगरीय विकास और आवास विभाग द्वारा प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को लेकर जल्द बैठक बुलाई जाने वाली है। इस बैठक में ई-बसों के संचालन की व्यवस्था के साथ एक्सपट्र्स को भी बुलाया जाएगा ,ताकि हर पहलू पर चर्चा की जा सके और आचार संहिता लागू होने के बाद इस मामले में विस्तृत चर्चा के लिए फिर कैबिनेट में लाया जा सके। गौरतलब है कि राजधानी में 100 इलेक्ट्रिक बस चलाने की कवायद कुछ साल पहले बीएस चौधरी कोलसानी के नगर निगम कमिश्नर रहते की गई थी। बसों के संचालन व मेंटेनेस पर होने वाले खर्च की वायबिलिटी गैप फंडिंग को लेकर यह उलझ गई थी। निगम प्रशासन ने राज्य शासन को अंतर की राशि मुहैया कराने का प्रस्ताव भी भेजा था, लेकिन वहां से लौटा दिया गया था।
इन शहरोंं में है चलाने का प्रस्ताव
मोहन सरकार ने फरवरी के अंतिम सप्ताह में हुई कैबिनेट में प्रदेश के जिन 6 बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक बसें चलाने का फैसला लिया था उसमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और सागर नगर निगम क्षेत्र शामिल हैं, जहां 552 ई बसों का संचालन किया जाएगा। प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री ई-बस योजना के अंतर्गत इन बसों का संचालन करेगी। केंद्र सरकार बसें उपलब्ध कराएगी और 12 साल के लिए ऑपरेशनल एंड मेंटेनेंस कॉस्ट भी देगी। इस योजना से ई-बसों का प्रमोशन होगा और धीरे-धीरे विस्तार भी किया जाएगा। अब तक ई-बसों के संचालन को लेकर जो फैसले हुए हैं उसके अनुसार राज्य शासन द्वारा ई-बसों के संचालन के लिए स्थानीय स्तर पर एक समिति गठित की जाएगी। दूसरी ओर, केंद्र सरकार का दावा है कि ई-बसों के संंचालन के बाद यात्री किराए में तीस फीसदी तक की कमी हो सकती है। इसके साथ ही डीजल पर निर्भरता भी घटेगी और प्रदूषण रोकने में भी आसानी होगी।
संकल्प पत्र 2023 में घोषणा
राज्य सरकार की ओर से जारी संकल्प पत्र 2023 में ई-बसों के संचालन की घोषणा की गई थी। इसे पूरा करने के लिए विभाग तेजी से कार्रवाई कर रहा है। इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2019 में मौजूदा जरूरतों को देखते हुए विशेषज्ञों से चर्चा कर संशोधन किए गए। इसमें वाहन निर्माताओं, डीलर्स व ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को शामिल किया गया। केंद्र सरकार की ओर से कुछ समय पहले मंजूर की गई ईवी पॉलिसी 2024 को ध्यान में रख कर ही नीति बनाई गई है। केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में पीएम ई-बस सेवा योजना लॉन्च की थी। इसका उद्देश्य पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर दस हजार इलेक्ट्रिक बसों का संचालन करना है। इस योजना के तहत नगरीय विकास विभाग ने 552 ई बस की मंजूरी का प्रस्ताव पिछले साल केंद्र सरकार को भेजा गया था। केंद्र से इसकी मंजूरी मिल गई। इसके बाद केंद्र से तय एजेंसी कन्वर्जेस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड ने इस साल मार्च में छह शहरों में 552 बसों के संचालन के लिए टेंडर जारी किए थे। यह प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है और ऑपरेटर फाइनल कर लिए गए हैं। पीएम ई-बस सेवा में चयनित छह शहरों में बस डिपो का भी निर्माण किया जाएगा। इनमें कुल आठ डिपो प्रस्तावित है। भोपाल और जबलपुर मैं इसके लिए दो स्थान चिन्हांकित किए गए हैं। इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर में एक- एक डिपो प्रस्तावित है। बस डिपो इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए प्रति 50 बस पर 10 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इस तरह 552 बसों के लिए डिपो बनाने में लगभग 110 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसमें से 60 फीसदी यानि 66.24 करोड़ रुपए केंद्र सरकार मुहैया कराएगी। बाकी 44.16 करोड़ रुपए राज्य सरकार देगी।

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