भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। पहले से गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे प्रदेश के नगरीय निकायों का अब यह संकट और बढऩा तय है। इसकी वजह है सरकार द्वारा उनका बिजली बिल भरने के मामले में हाथ खड़े कर देना। इसकी वजह से अब निकायों को खुद की जेब से ही बिजली के बिलों का भुगतान कराना होगा। सरकार के इस फैसले की वजह से बड़े निकायों में शामिल नगर निगमों के सामने बड़ा संकट खड़ा होना तय है। इसकी वजह है इनके आने वाले भारी भरकम बिल। इन नगर निगमों में हर माह करीब 5 से 15 करोड़ तक का बिजली का बिल आता है। ऐसे में अब निकायों को अपनी आय में वृद्धि करनी होगी। दरअसल प्रदेश में 16 नगरीय निकाय हैं, जिनका औसतन बिजली का बिल डेढ़ सौ करोड़ रुपए का आता है। सरकार के द्वारा हाथ खीचे जाने के बाद अब नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने सभी निकायों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि वे प्रतिमाह बिजली का बिल जमा करें। अगर वे बिजली बिल जमा नहीं करते हैं और उस पर पेनाल्टी लगती है तो इसकी जिम्मेदारी नगरीय निकाय के कमिश्नर और सीएमओ की होगी। विभाग ने यह भी कहा कि विद्युत कंपनियां अनुमानित बिजली खपत के आधार पर बिलिंग करती हैं। इस स्थिति से बचने के लिए खराब मीटरों को बदलवाया जाए या जरुरत के हिसाब से उन्हें ठीक कराया जाए। इसके साथ ही कहा गया है कि हर माह आने वाले बिलों का सत्यापन कराने के बाद ही उनका भुगतान किया जाए। इसी तरह से जहां मीटर नहीं लगे हैं, इसके बाद भी निकायों द्वारा बिलों का भुगतान किया जा रहा है, उसे तुरंत रोका जाए।
यह भी दिए निर्देश
हाईटेंशन विद्युत कनेक्शन लेने पर पावर फैक्टर 0.90 से कम होने पर विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा देयकों में सरचार्ज, पेनाल्टी लगाया जाता है। इससे बचने के लिए निकायों से पावर फैक्टर को 1 तक लाने को कहा गया है , जिससे उन्हें इन्सेंटिव का लाभ मिल सकता है। इसी तरह से बिलों में कमी लाने के लिए निकाय के भवनों में सोलर संयंत्र लगाने को भी कहा गया है। निर्देशों में कहा गया है कि बिजली की बचत के लिए फाइव स्टार रेटिंग के एसी, पंखे और पंपों का इस्तेमाल किया जाए। इसी तरह से अन्य तमाम तरह से उपाय कर बिजली की बचत के लिए कदम उठाए जाएं। खराब मोटरों को बार-बार रिपेयर, वाइडिंग कराकर उसके उपयोग करने से बचें, क्योंकि इनमें बिजली की खपत ज्यादा होती है। इसलिए नए मोटर लगाने की व्यवस्था की जाए। पारंपरिक लाइट की जगह पर एलईडी लाइट लगाई जाए, इससे 50 प्रतिशत तक बिजली की बचत हो सकेगी।
चुंगी क्षतिपूर्ति का किया जाता है उपयोग
सरकार निकायों के चुंगी क्षति पूर्ति के बदले में उनके बिजली के बिलों की राशि एमपीएसईबी को देती है। सरकार 418 निकायों को 324 करोड़ रुपए चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि प्रति वर्ष उन्हें देती है। भोपाल में प्रति माह करीब 15 करोड़ रुपए बिजली का बिल आता है, जबकि इंदौर में 14 करोड़ रुपए प्रति माह बिल आता है। शेष निकायों में पांच से सात करोड़ रुपए प्रति माह बिजली बिल आता है। इन निकायों पर एक बड़ी रकम बिजली के बिलों की बकाया बनी हुई है। इसका भुगतान नहीं होने से कई बार बिजली कंपनियां निकायों के कनेक्शन तक काट देंती हैं।
इस तरह के हैं हालत
कई निकायों में तो चुंगी क्षति पूर्ति से ही कर्मचरियों के वेतन का भुगतान किया जाता है। अगर यह राशि नहीं मिलती है तो, कर्मचारियों का वेतन अटक जाता है। यही नहीं नगर निगमों में तो हालत यह हैं कि ठेकेदारों का करोड़ों रुपयों का भुगतान तक अटका हुआ है, जिसकी वजह से कई बार तो ठेकेदारों द्वारा काम करने तक से इंकार कर दिया जाता है।
09/04/2024
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