फूलझले और अहिरवार पर कंसोटिया की विशेष कृपा

विशेष कृपा
  • नहीं हो पा रही है जांच की कार्रवाई

भोपाल/गणेश पाण्डेय/बिच्छू डॉट कॉम। लघुवनोपज संघ के प्रबंध संचालक विभाष ठाकुर द्वारा एमएसपी पार्क बरखेड़ा पठानी में हुई गड़बडिय़ों की जांच करने के लिए दी गई  समय-सीमा समाप्त हो गई, पर पड़ताल अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। इसकी मुख्य वजह है अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया की विशेष दखलअंदाजी। बताया जा रहा है कि कंसोटिया से सीधी एप्रोच होने की वजह के चलते ही अभी तक उत्पादन प्रबंधन सुनीता अहिरवार ने जांच अधिकारी एसीएफ मणि शंकर मिश्रा को गड़बडिय़ों से संबंधित दस्तावेज नहीं दिए हैं। सूत्रों ने बताया कि एमएसपी पार्क के सीईओ प्रफुल्ल फूलझले और रेंजर एवं प्रभारी एसडीओ उत्पादन सुनीता अहिरवार पर अपर मुख्य सचिव  कंसोटिया की विशेष मेहरबानी है। यही वजह है कि लघु वनों पर संघ के एमडी विभाष ठाकुर हो या फिर अपर प्रबंध संचालक मनोज अग्रवाल दोनों ही अधिकारियों के जांच आदेश मुख्यालय से जारी तो हो जाते है पर प्रसंस्करण केंद्र में पहुंचते ही डस्टबिन में डाल दिए जाते हैं। एमएसपी पार्क के कर्मचारियों की माने तो सुनीता अहिरवार पर अपर मुख्य सचिव वन जेएन कंसोटिया की विशेष कृपा होने की वजह से कोई भी जांच शुरू नहीं हो पा रही है, क्योंकि जांच हुई तो अहिरवार पर करवाई तय है। यही कारण है कि केंद्र में व्याप्त गड़बडिय़ों पर लीपापोती तेजी से शुरू हो गई है। पिछले दिनों अनावश्यक रूप से खरीदे गए रॉ मैटेरियल को उस समय रातों-रात शिफ्ट कर दिया गया, जब संघ के प्रबंध संचालक ठाकुर ने गोदाम के भौतिक सत्यापन की जांच करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए उन्होंने बकायदा समिति भी गठित की थी हालांकि समिति के सदस्य डॉक्टर संजय शर्मा को लेकर सवाल उठ रहे थे। डॉ शर्मा गड़बड़झाले के संदेह के दायरे में आते हैं।
 आर्यन फार्मेसी का एकाधिकार
पिछले एक दशक में एमएसपी पार्क में आर्यन फार्मेसी अथवा सिस्टर कंसर्न का एकाधिकार रहा है। दवाइयां को बनाने के लिए जो भी संबंधित रॉ मटेरियल खरीदे जाते हैं, उसमें 70 से 80 फीसदी रॉ मैटेरियल आर्यन फार्मेसी के ही होते हैं। हालांकि फेडरेशन के एमडी ठाकुर दावा कर रहे हैं कि वह व्यवस्था को बदलने में जुटे हैं। यानी उनके अनुसार अब भविष्य में गड़बडिय़ों की गुंजाइश बहुत कम रहेगी। बावजूद इसके, जांच के नाम पर फेडरेशन के एमडी को सिर्फ खाली गुमराह किया जा रहा है।
नरेंद्र नागर पर क्यों मेहरबान है केंद्र के अफसर
एमएसपी पार्क बरखेड़ा पठानी के सीईओ से लेकर प्रबंधक तक उन पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। पिछले एक दशक से एमएसपी पार्क बरखेड़ा पठानी में कंस्ट्रक्शन, फेब्रिकेशन, पुताई कार्य से लेकर दवाइयां के रॉ मैटेरियल प्रदाय करने का ठेका तक के वर्क आर्डर नरेंद्र नागर को दिया जाता है। जबकि उनका मूल काम कंस्ट्रक्शन का है। नियमों की अनदेखी कर नरेंद्र नागर के कंस्ट्रक्शन फर्म को बिना टेंडर कोटेशनों के आधार पर लाखों रुपए के कार्य दिए जा रहे हैं। वर्तमान में उनके द्वारा मेंटेनेंस का कार्य किया गया है, जो कि लगभग 30 से 35 लाख रुपए की बिलिंग हो चुकी है। चर्चा है कि अधिक कमीशन पर उन्हें काम दिए जा रहे हैं। हद तो तब है जब विंध्या हर्बल में कंस्ट्रक्शन वर्क हो या पुताई का कार्य या फिर फेब्रिकेशन के कार्य कोई भी अन्य एजेंसी ही क्यों न करें लेकिन बिल नागर के फर्मो के नाम पर ही बनता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका कैलाश रघुवंशी की होती है।

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