लोकसभा चुनाव: तीन मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर

लोकसभा चुनाव
  • रतलाम- झाबुआ लोकसभा सीट

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मालवा-निमाड़ के तहत आने वाली रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट पर इस बार भी मुकाबला बेहद रोचक होता जा रहा है। इसके अलावा यह ऐसी सीट है, जहां पर एक नहीं बल्कि प्रदेश के तीन-तीन मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। यहां जीत मिली तो श्रेय सभी को मिलेगा, लेकिन अगर हार हुई तो इसका ठीकरा भी इन्हीं तीनों मंत्रियों पर फूटना तय है। यही वजह है कि तीनों मंत्रियों को चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकनी पड़ रही है। इसकी वजह से यह मंत्री दूसरी सीटों पर भी नहीं जा रहे हैं। यह सीट रतलाम, झाबुआ और अलीराजपुर जिलों को मिलाकर बनी है। प्रदेश सरकार में तीनों ही जिलों से एक-एक मंत्री हैं। इन्हें चुनाव जिताने की जिम्मेदारी मिली हुई है। यह तीनों मंत्री हैं, रतलाम से चैतन्य कश्यप, झाबुआ से निर्मला भूरिया और अलीराजपुर से नागरसिंह चौहान। इनमें से नागर की पत्नी अनीता चौहान को प्रत्याशी बनाया गया है।  इस संसदीय क्षेत्र में प्रदेश सरकार के तीन -तीन मंत्री हैं। जाहिर है कि ऐसे में इस सीट पर तीनों मंत्रियों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। तीनों मंत्री इस सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। सभी अपने गृह जिले में मतदाताओं के बीच पहुंचकर भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में वोट मांग रहे हैं।
सीट का इतिहास
17 लोकसभा चुनाव और एक उपचुनाव में चार बार ही रतलाम झाबुआ सीट से गैर कांग्रेसी उम्मीदवार जीते है। जनसंघ और भाजपा के लिए यह सीट हमेशा चुनौतीपूर्ण रही है। दिलीप सिंह भूरिया सबसे ज्यादा सात बार कांग्रेस के सांसद रहे। फिर वर्ष 2014 में दिलीप सिंह भूरिया भाजपा में आए और चुनाव जीते, लेकिन उनके निधन के कारण उपचुनाव हुआ और कांग्रेस ने उपचुनाव में जीत दर्ज कराई। 2019 में भाजपा के गुमान सिंह डामोर इस सीट से जीते। इस सीट पर अभी तक तीन बार महिला उम्मीदवार को राजनीतिक दलों ने टिकट दिया है। कांग्रेस ने 1962 में पहली बार महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा था। तब जमुनादेवी चुनाव जीती थी। तब यह सीट चर्चा में आई थी। इस सीट पर 1962 में टिकट बदलते हुए अमर सिंह के स्थान पर जमुना देवी को उम्मीदवार बनाया था। 2004 में दिलीप सिंह भूरिया के बजाए रेलम सिंह चौहान को टिकट दिया, लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाई। अब भाजपा ने फिर महिला को टिकट दिया है।
झाबुआ बनाम अलीराजपुर की जंग
भाजपा ने इस बार बड़ा फेरबदल करते हुए आलीराजपुर जिला पंचायत अध्यक्ष अनीता चौहान को टिकट दिया है। 1980 के बाद यह पहली बार है जब पार्टी ने इस सीट पर अलीराजपुर जिले से किसी को टिकट दिया है। इस सीट पर अमूमन झाबुआ जिले से ही उम्मीदवार तय होता रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और झाबुआ विधायक रहे कांतिलाल भूरिया पर ही भरोसा जताया है। ऐसे में यह लड़ाई झाबुआ बनाम आलीराजपुर की भी नजर आ रही है। पिछले दिनों हुई बयानबाजी में भी यह बात सामने आ चुकी है। कांग्रेस के थांदला विधायक वीरसिंह भूरिया ने भील बनाम भिलाला का मुद्दा भी पिछले दिनों उठाया और आपत्तिजनक टिप्पणी भी की थी। इस पर भाजपा हमलावर हुई और विधायक भूरिया के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। बाद में विधायक भूरिया को इस मामले को लेकर सफाई भी पेश करनी पड़ी थी।
विस का गणित
इस संसदीय सीट के तहत आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से चार पर भाजपा , तीन पर कांग्रेस और एक सीट पर बाप पार्टी का विधायक है। बाप पार्टी ने भी अपना प्रत्याशी उतारा है। जिसकी वजह से इस सीट पर चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय बनने के आसार नजर आने लगे हैं। विस चुनाव में मिले मतों को संसदीय क्षेत्र के हिसाब से देखें तो, भाजपा को 43 और कांग्रेस को 41 प्रतिशत मत मिले थे। यानि की उनके बीच महज दो फीसदी का ही अंतर था।

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