वॉशिंगटन। अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस्राइल में पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बेंजामिन नेतन्याहू की राजनीतिक स्वीकार्यता लगातार कम हो रही है। अमेरिका की सालाना खुफिया रिपोर्ट यूएस कांग्रेस में पेश की गई। इस अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि नेतन्याहू की क्षमताओं पर लोगों को विश्वास कम हो रहा है और उनके इस्तीफे की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर इस्राइल में विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं।
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्राइल में एक नई और ज्यादा उदारवादी सरकार सत्ता में आ सकती है। रिपोर्ट में बेंजामिन नेतन्याहू सरकार की उस नाकामी का भी जिक्र है, जिसके तहत इस्राइल पर 7 अक्तूबर को हमास ने हमला किया। इसके चलते ही बड़ी संख्या में लोगों की जान गई। हमास के खिलाफ इस्राइली की गाजा में की जा रही सैन्य कार्रवाई के खिलाफ बड़े स्तर पर तबाही हुई है। इससे भी इस्राइल के नागरिक सरकार की सैन्य कार्रवाई और उससे हासिल होने वाले नतीजों को लेकर बहुत ज्यादा आशावान नहीं हैं।
गाजा में इस्राइली कार्रवाई में हजारों लोगों की जान जा चुकी है और इसकी वजह से पूरी दुनिया से अमेरिका और इस्राइल पर दबाव बढ़ रहा है। मध्य पूर्व में अमेरिकी ठिकानों पर हमले बढ़ रहे हैं और इस लड़ाई के पूरे मध्य पूर्व में फैलने का खतरा बना हुआ है। यही वजह है कि अमेरिकी नेतृत्व और इस्राइली नेतृत्व में भी मतभेद बढ़ रहे हैं। जो बाइडन सरकार ने इस्राइल से अपील की है कि वह फलस्तीन में ज्यादा मात्रा में मानवीय मदद पहुंचाएं। बाइडन ने ये भी कहा था कि नेतन्याहू इस्राइल को फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस पर नेतन्याहू ने भी पलटवार किया था और दावा किया था कि बाइडन गलत सोच रहे हैं और उन्हें लोगों का समर्थन हासिल है।
एफबीआई के निदेशक क्रिस रे का कहना है कि गाजा में जारी युद्ध के चलते कट्टरपंथी गुटों का खतरा लगातार बढ़ रहा है और जेहादी गुट, स्थानीय कट्टरपंथी गुट, विदेशी आतंकी गुटों से एक साथ खतरा बढ़ रहा है। गौरतलब है कि हमास के हमले से पहले भी बेंजामिन नेतन्याहू को स्थानीय स्तर पर काफी विरोध झेलना पड़ा था। विरोध के चलते बेंजामिन नेतन्याहू और इस्राइल के रक्षा मंत्री के बीच मतभेद भी पैदा हो गए थे। साथ ही अब इस्राइल हमास युद्ध को दो महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अभी तक इस्राइल के सभी बंधकों को रिहा नहीं कराया जा सका है। इससे भी इस्राइल के लोगों में नाराजगी है।