
- सालों बाद भी नहीं की जाती है प्रभावी कार्रवाई
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है जहां पर सुशासन के दावे जमकर किए जाते हैं , लेकिन इसके मामले में प्रभावी कार्रवाई कभी होती नहीं दिखती है। इसकी वजह है सरकार व शासन आरोपी या फिर दोषी का रसूख देखकर ही कार्रवाई करता है फिर मामला किसी भी विभाग का क्यों न हो। सही वजह है कि गंभीर मामलों के आरोपियों का भी कुछ भी नहीं बिगड़ता है। यही वजह है कि अब भी शासन में ऐसे सैकड़ों कर्मचारी हैं जो धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े , गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोपियों की नौकरी पर अब तक आंच तक नहीं आ पायी है। ऐसे मामलों के आरोपी अब भी मजे से न केवल नौकरी कर रहे हैं, बल्कि पदोन्नति भी पतो जा रहे हैं। यही नहीं कई तो मलाईदार पदों पर पदस्थ हो रहे हैं और सरकार व प्रयाासन के आंखों के नूर भी बने हुए हैं। ऐसे कर्मचारियों व अफसरों पर कार्रवाई के नाम पर सामान्य प्रशासन विभाग महज खानापूर्ति ही करता रहता है। अमान्य दस्तावेज एवं अपराध की जानकारी छिपाकर नौकरी हथियाने वाले कर्मचारियों को बर्खास्त करने की वजाए विभागीय अधिकारी निलंबित करने की खानापूर्ति कर इति श्री कर लेते हैं। हाल ही में सामान्य प्रशासन विभाग ने टायपिंग घोटाले के आरोपी और अवैध डिप्लोमा के आधार पर नौकरी पाने वाले कर्मचारी निलंबित किया है। इसके बाद यह मामला फिर सुर्खियों में आ गया है। प्रदेश में 11 साल पहले टाइपिंग परीक्षा को फर्जीवाड़े की वजह से निरस्त कर दिया था। उसी परीक्षा के सर्टिफिकेट के आधार पर कई लोगों ने सरकारी नौकरी हथिया ली। बाद में एसटीएफ ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया। इनमें से 8 कर्मचारी मंत्रालय में अभी भी नौकरी कर रहे हैं। खास बात यह है कि एसटीएफ में धोखाधड़ी, जालसाली के आरोपी रहे कर्मचारी सीएमओ, गृह, सामान्य प्रशासन विभाग जैसे संवेदनशील विभागों में तैनात रह चुके हैं। एसटीएफ में जिन अन्य कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज हैं, उनसे जुड़ी जानकारी भी सामान्य प्रशासन विभाग को समय पर नहीं भेजी गई। न ही विभाग ने तत्काल कार्रवाई की। जिसका फायदा आरोपियों को मिला। हालांकि पुलिस मुख्यालय ऐसे के प्रकरणों में आरोपियों को बर्खास्त कर चुका है। हाल ही में जीएडी के सचिव अनिल सुचारी ने कर्मचारी जयेन्द्र बारिया को निलंबित किया है। जबकि उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए था। विभाग में लंबे समय से जमे अधिकारी ऐसे कर्मचारियों पर मेहनबान बने हुए हैं। पूर्व में एसटीएफ के अधिकारी भी जीएडी में मामले को देख रहे अधिकारियों पर समय पर जानकारी नहीं देने के आरोप लगा चुके हैं। इससे ही समझा जा सकता है कि आरोपियों को बचाने का कैसा खेल चल रहा है।
यह आरोपी अब भी मंत्रालय में पदस्थ
टाइपिंग घोटाले में एसटीएफ ने जिन कर्मचारियों को आरोपी बनाया था। इनमें से 8 कर्मचारी अमित मर्सकोले, प्रीतिवाला चौहान, शिवानी पचौरी बलवंत वारिया, रमाकांत कोरी, मयंक मालवीय और वर्षा नामदेव ग्रेड-3 की नौकरी कर रहे हैं। जयेन्द्र बारिया को हाल ही में निलंबित किया है। खास बात यह है कि अमित मर्सकोले, जयेन्द्र बारिया, रमाकांत कोरी ने 2019 में स्टेनो टायपिंग डिप्लोमा के आधार पर नौकरी पाई। जबकि परीक्षा में फर्जीवाड़े की वजह से ये डिप्लोमा 2017 में हो निरस्त हो चुका था। एसटीएफ ने आरोपी भी बनाया। साथ ही प्रीतिवाला चौहान, शिवानी पचौरी, बलवंत बारिया मयंक मायवीय और वर्षा नामदेव भी एसटीएफ में आरोपी थे। इन्होंने 2019 में अनुप्रमाणित फर्म में जानकारी छिपाकर नौकरी पाई। बाद में मामला उजागर हुआ तो कुछ निलंबित हुए। कुछ कर्मचारी कोर्ट से स्टे लेकर नौकरी कर रहे हैं। अहम बात यह है कि स्टे समाप्त करवाने में भी विभाग कोई रुचि नहीं ले रहा है।
सरकार के निर्देशों की भी अवहेलना
पूर्व की सरकार में सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री ने एसटीएफ में जिन कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज है, उनसे जुड़े प्रकरणों को तत्काल निपटाने के निर्देश दिए थे। लेकिन जीएडी के अधिकारियों ने इस पर गंभीरता से ध्यान हीं नहीं दिया। जीएडी में लंबे समय से इन प्रकरणों को उप सचिव माधवी नागेन्द्र देख रही हैं। नागेन्द्र के प्रस्ताव पर ही पिछले हफ्ते जीएडी सचिव ने अवैध दस्तावेज से नौकरी पाने वाले कर्मचारी जयेन्द्र बारिया को निलंबित किया।