
- नए फेडरेशन के जिम्मे होगा ब्रांडिंग और खरीदी का काम
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में मोटे अनाज यानी की मिलेट्स के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए अब डॉ. मोहन यादव की अगुवाई वाली प्रदेश सरकार कई कदम उठाने जा रही है। इसके लिए सरकार द्वारा रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना शुरू किया जा रहा है। इस योजना को पहले ही कैबिनेट अपनी स्वीकृति दे चुकी है। अहम बात यह है कि मिलेट्स से संबंधित पूरा काम पृथ्क से गठित होने वाले फेडरेशन के जिम्मे होगा, जो इसकी ब्रांडिंग से लेकर खरीदी तक का काम करेगा। यही नहीं सरकार ने प्रोत्साहित करने के लिए मोटे अनाज का उत्पादन करने वाले किसानों को सरकारी खरीदी के दौरान दस रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से प्रोत्साहन राशि देने का भी फैसला किया है। यह राशि सीधे किसानों के खाते में डाली जाएगी। गौरतलब है कि प्रदेश में अभी करीब 70 हजार टन मिलेट्स का उत्पादन हर साल होता है। इसमें से आधे अनाज का उपयोग किसान खुद कर लेते हैं। खासतौर पर इसका उत्पादन अजजा वर्ग द्वारा किया जाता है। वे ही इसका उपयोग सर्वाधिक रूप से खाने में करते हैं। शेष आधा बाजार में बिकने के लिए आता है। दरअसल सरकार ने आने वाले वर्षों में मिलेट्स का उत्पादन एक लाख टन तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए पूरे प्रदेश में अभियान चलाकर किसानों को प्रोत्साहित करने का काम किया जाएगा।
प्रदेश का सातवां स्थान
देश में मोटे अनाज का सर्वाधिक उत्पादन राजस्थान में होता है। इसके उत्पादन में मप्र का सातवां स्थान है। देश में कुल उत्पादित होने वाले मिलेट्स उत्पादन में से राजस्थान में 28.06 फीसदी का उत्पादन होता है। इसके बाद कर्नाटक में 14.02 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 13.09 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 12.7 प्रतिशत, हरियाणा में 7.06 प्रतिशत, गुजरात में 6.0 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 5.07 प्रतिशत मोटे अनाज का उत्पादन होता है। जबलपुर संभाग के तहत आने वाले मंडला डिंडोरी और जबलपुर जिले के कुंडम क्षेत्र में कोदो- कुटकी का प्रमुख रुप से उत्पादन होता है। इसकी वजह से ही इसे प्रदेश में मिलेट्स का कटोरा भी कहा जाता है।
मिलेट्स में यह फसलें शामिल
भारत में उत्पादित होने वाले प्रमुख मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, रागी, लघु बाजरा, प्रोसो बाजरा, कोदो, कुटकी आदि शामिल हैं। मिलेट्स कैल्शियम, आयरन और फाइबर से भरपूर होता है। यह अन्य अनाज की तुलना में टेस्टी भी होते हैं। यह इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है। भारत द्वारा इसका विदेशों में भी निर्यात किया जाता है।