रसूखदारों का अतिक्रमण बचाने में जुटा था अमला

  • अब माना केरवा-कलियासोत में 129 अतिक्रमण होना

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जिस सरकारी अमले की वजह से प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया यानी की मुख्य सचिव की फजीहत हुई है।  क्या उस पर सख्त कार्रवाई होगी। यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि, इसी अमले ने रसूखदारों का अतिक्रमण बचाने के लिए पूर्व में जो रिपोर्ट दी थी, उसमें एक भी अतिक्रमण होना नहीं बताया गया था जबकि, अब जो रिपोर्ट एनजीटी में पेश की गई है, उसमें 129 अतिक्रमण होना बताया गया है। इससे यह तो तय हो गया है कि पूर्व में पेश की गई रिपोर्ट गलत थी। नई रिपोर्ट में जिन लोगों के अतिक्रमण पाए गए हैं उनमें पूर्व आला अफसरों से लेकर राजनेता तक शामिल हैं। अब राज्य सरकार की तरफ से एनजीटी में दिए गए उत्तर में कहा गया है कि केरवा और कलियासोत डैम के एफटीएल से 33 मीटर तक के बफर एरिया में मौजूद सभी अतिक्रमणों को अगले छह माह यानि कि अगले मार्च माह तक हटा दिया जाएगा। इसमें बताया गया है कि कलियासोत के बफर में 96, केरवा के बफर एरिया में 33 अतिक्रमण पाए गए हैं। सुनवाई में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस द्वारा उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट पेश करने के साथ ही पिछली सुनवाई में  लगाई गई पांच लाख की कॉस्ट को वापिस लेने के लिए भी अर्जी लगाई गई है। बीते रोज एनजीटी में आठ आला अधिकारियों के दस्तखत वाली 512 पेज की रिपोर्ट पेश की गई। इसमें अतिक्रमणकारियों की सूची में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व सीएस अवनि वैश्य, छग के डिप्टी सीएम के भाई तक का नाम शामिल है। अहम बात यह है कि इस दौरान सरकार ने माना की पिछली सुनवाई पर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को उपस्थित होने की सूचना देने में भी देरी की गई थी, जिसकी वजह से उन्हें बगैर तैयारी के ही पेश होना पड़ा था। इस मामले में तत्कालीन वकील सचिन वर्मा द्वारा इस्तीफा दिया जा चुका है, जबकि दो जिम्मेदार अफसरों में शामिल भोपाल नगर निगम के टाउन प्लानर नीरज आनंद लिखार और प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ब्रिजेश शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
क्या टीमों में शामिल अमले पर होगी कार्रवाई  
पर्यावरण के प्रमुख सचिव द्वारा नवंबर 2022 में पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया था कि टीटी नगर राजस्व वृत्त और हुजूर तहसील की टीमों ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में केरवा और कलियासोत डैम का सीमांकन किया लेकिन, इनके एफटीएल में कहीं भी अवैध निर्माण या अतिक्रमण नहीं मिला है। तहसीलदार हुजूर ने बताया था कि ग्राम महुआ खेड़ा की केरवा जलाशय के लिए अधिग्रहित जमीन पर एफटीएल से करीब 30 मीटर दूरी पर 39 झुग्गियां बनी हुई हैं। यह सरोतीपुरा मोहल्ला के नाम से जाना जाता है और यहां लोग रह रहे हैं। यहां एक स्कूल भी बना है। लेकिन जलाशय के डूब क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं है। इसके उलट सीएस की समिति द्वारा की गई रिपोर्ट में पाया गया है कि कलियासोत जलाशय में 96 अतिक्रमण मिले। इनमें से 84 सरकारी जमीन पर और 12 प्राइवेट जमीन पर हैं। इनमें 58 घर और 7 मंदिर हैं। केरवा जलाशय के दायरे में 33 अतिक्रमण पाए गए हैं। इनमें से 18 सरकारी जमीन पर और 15 प्राइवेट जमीन पर हैं। एक स्कूल और एक बिजली सब स्टेशन भी केरवा के बफर जोन में है।
यह भी हुआ खुलासा
पूर्व की जिला स्तर की कमेटी द्वारा बीते साल अक्टूबर-नवंबर में अपनी रिपोर्ट दी गई थी, जिसमें कोई अतिक्रमण नहीं मिलना बताया गया था। यही नहीं बताया गया था कि दोनों डैम के पानी में किसी भी लोकेशन से एनट्रीटेड वॉटर भी नहीं मिल रहा है। जबकि सीएस द्वारा गठित प्रदेश स्तरीय टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कलियासोत में 4 नाले और केरवा में मिंडोरा, मिंडोरी, कुशलपुरा से भी सीवेज पानी में मिल रहा है।

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