
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सभी राजनैतिक दलों में इन दिनों सोशल मीडिया का बुखार चढ़ा हुआ है। इसकी वजह है आसानी से लोगों तक पहुंच बनना। खासतौर पर युवा आजकल इस प्लेटफार्म पर बहुत अधिक सक्र्रिय रहते हैं। इसकी वजह से यह पलेटफार्म उन तक अपनी बात पहुंचाने का बेहद अच्छा साधन बन चुका है। अब प्रदेश में चुनावी मौसम है और नेताओं के फॉलोअर्स पर भी पार्टियां नजर रखे हुए हैं। ऐसे में नेताओं ने अपने फालोअर्स बढ़ाने के लिए तमाम ऐसी कंपनियों का सहारा लिया है , जो इस क्षेत्र में काम करती हैं। दरअसल चुनाव में पार्टियों की ही तरह नेताओं को भी हर जगह भीड़ की जरुरत होती है। इस क्षेत्र पर भी फोकस बना हुआ है। इसके लिए नेताओं द्वारा कंपनियों की मदद से फॉलोअर्स खरीदने तक से गुरेज नहीं किया जा रहा है। नेता बड़ा हो या छोटा, हर कोई अपने कद के हिसाब से माहौल बनाने के लिए फालोअर्स बड़़वाने में लगा है। इस मामले का खुलासा विशेषज्ञों ने किया है।
तीन शहरों से किया जाता है गड़बड़झाला
फॉलोअर्स की संख्या में वृद्धि का पूरा गड़बड़झाला देश के तीन शहरों से किया जाता है। इसकी वजह है अधिकांश सोशल मीडिया का काम देखने वाली कंपनियों का संचालन दिल्ली, पुणे और हैदराबाद से किया जाता है। इसकी वजह है छोटे शहरों में कुछ महीनों के लिए ऑफिस सेटअप करना खर्च बढ़ाता है। इसकी वजह से यह लोग अपने इन केन्द्रीय कार्यालयों से ही यही काम करते हैं। सर्वे और ग्राउंड कैम्पेन के लिए इन कंपनियों द्वारा अस्थाई रुप से टीमों को मैदानी स्तर पर
उतारा जाता है।
ऐसे जाने फॉलोअर्स की हकीकत
सोशल मीडिया पर नेताओं के असली- नकली फॉलोअर्स की पहचान आसानी से की जा सकती है। यदि किसी नेता के फॉलोअर्स की संख्या बहुत अधिक दिखे तो उसे प्रभावित होने के साथ ही परेशान होने की जरुरत नहीं है। इसकी वजह है वे फर्जी भी संभावित हो सकते हैं। इसकी पहचान के लिए उनके लाइक और शेयर को जरुर देखें। अगर बढ़ी संख्या में फॉलोअर्स हैं और पोस्ट पर लाइके बेहद कम या फिर गिने चुने और नाममात्र के शेयर हों तो समझ जाइए कि यहां फॉलोअर्स फर्जी हैं। हद तो यह है कि प्रदेश के एक मंत्री के वैसे तो 53 हजार फॉलोअस है लेकिन उनके लाइक की संख्या महज 15 ही है। हद तो यह है कि उनकी पोस्ट को कोई शेयर तक नहीं करता है। जिससे यह तो तय है कि उनके फॉलोअर्स फर्जी हैं। इसी तरह से एक अन्य बड़े नेता के भी फालोअर्स की संख्या करीब एक लाख हैं, लेकिन, सब फर्जी हैं। उनके लाइक भी दो अंको तक बामुश्किल पहुंच पाते हैं।
हर फॉलोअर्स के लिए देनी पड़ती है राशि
हर फॉलोअर्स के लिए कंपनियों द्वारा 70 से लेकर 80 पैसे तक के दाम लिए जाते हैं। इसका सौदा सीधे सर्वर से किया जाता है। यह सिर्फ दिखावे के लिए ही होते हैं। इनका उपयोग आंकड़ा बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसी तरह से अगर असली फॉलोअर्स चाहिए तो उसके लिए एक से लेकर डेढ़ रुपए प्रति फॉलोअर्स का भुगतान लिया जाता है। इसके लिए रेट क्षेत्र और पसंद के हिसाब से भी तय होते हैं। यह एक्टिव होते हैं। इन्हें कैम्पेन चलाकर लाया जाता है।