
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल के बाद अब जबलपुर को भी प्रदेश की शिव सरकार ड्रोन पायलट ट्रेनिंग स्कूल की सौगात देने जा रही है। इस सबंध में प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। दरअसल इन दिनों प्रदेश में तेजी से ड्रोन का उपयोग खेती में किया जाने लगा है।
यह प्रदेश में दूसरा ड्रोन पायलट ट्रेनिंग स्कूल होगा। इस स्कूल को जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि के कैंपस में खेलने का प्रस्ताव बनाया गया है। इस स्कूल में एक बैच में 20 ऐसे युवा किसानों को ड्रोन को संचालित करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह वे युवा किसान होंगे जो कृषि कार्य से जुड़े हुए हैं। इन्हें ड्रोन उड़ाने व उसकी उपयोगिता के लिए ट्रेंड किया जाएगा। 10 दिन की ट्रेनिंग के बाद डीजीसीए (डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन) से ड्रोन उड़ाने का लायसेंस भी दिलाया जाएगा। इस तरह के पहले स्कूल की शुरुआत भोपाल में आज से हो गई है। अहम बात यह है कि ट्रेनिंग स्कूल के संचालन के लिए एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के साथ जेएनके विवि के साथ व टेक्निकल सपोर्ट के लिए अन्ना यूनिवर्सिटी चेन्नई की मदद ली जा रही है। यह विशेषज्ञ ड्रोन की तकनीकी की बारीकियों के बारे में बताएंगे। यह ट्रेनिंग दस दिन की होगी।
किसानों को देनी होगी फीस
इन खोले जा रहे ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षण के लिए युवा किसानों को 15 हजार रुपए का शुल्क देना होगा , इसके अतिरिक्त उन्हें उस पर लगने वाले जीएसटी का भुगतान भी करना होगा। इस प्रशिक्षण के लिए वे ही किसान पात्र होंगे जो कम से कम10 वीं पास होंगे। भोपाल के स्कूल में भी फीस का यही स्ट्रक्चर रखा गया है। बताया जाता है कि अभी दूसरे प्रदेशों में इस तरह के प्रशिक्षण के लिए लगभग 50 हजार रुपए तक लिए जा रहे हैं। प्रशिक्षण के लिए चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा। तय सीट से अधिक आवेदन आने पर बचे हुए आवेदकों को बाद के चरणों में शामिल कर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
खेती में ड्रोन के उपयोग के फायदे
कृषि ड्रोन के उपयोग से किसानों को कई लाभ होते हैं। इसका उपयोग फसलों की मापदंडी, वातावरणीय और उत्पादकता डेटा का संग्रह, पेशेवर उपकरणों की आपूर्ति, कीटनाशक और खाद के सही प्रयोग, और सिंचाई और वितरण का निर्धारण करने के लिए किया जाता है। कृषि ड्रोन, किसान को विभिन्न संसाधनों – बीज, पानी, उर्वरक, कीटनाशक का अधिक उपयोग करने में सक्षम बनाता हैं। एक खेत के सभी क्षेत्रों को एक जैसा उपचार देने की बजाय आवश्यकतानुसार उपचार देने से उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग लिया जा सकता है। किसान तीव्रता से खेत का मुआयना करके समस्याग्रस्त क्षेत्रों जैसे संक्रमित फसलों/अस्वस्थ फसलों, मिट्टी में नमी के स्तर की जांच कर सकता है। जिससे समय रहते खेती में आवश्यकतानुसार कार्य किया जा सके।
कीटनाशक व उर्वरकों का कम समय में छिडक़ाव
ड्रोन, ट्रैक्टर या अन्य साधनों की तुलना में अधिक शुद्धता के साथ खेतों की जांच करता है। यह फसलों में सही मात्रा में कीटनाशक और उर्वरकों का तेजी से छिडक़ाव भी कर सकता है। जिससे जमीन की शुद्धता भी बनी रहती है और रसायनों के अधिक प्रयोग पर भी रोक लगती है। ड्रोन मुश्किल से 15-20 मिनट में लगभग 2.5 एकड़ (1 हेक्टेयर) भूमि में कीटनाशकों/उर्वरकों का छिडक़ाव कर देता है। यदि सामान्य रूप से छिडक़ाव किया जाए तो इसके लिए दो-तीन मजदूरों की आवश्यकता होती है। जिसका खर्च 1500-2000 रूपये आ जाता है जबकि ड्रोन से छिडक़ाव में एक एकड़ पर अधिकतम 500 रुपये का खर्च आता है।