
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। बुंदेलखंड अंचल की उप्र की सीमा के करीब स्थित पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर इस बार भी उपचुनाव की तरह ही बेहद रोचक मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच होना तय है। इस मुकाबले में भी इन दोनों ही दलों के पुराने प्रत्याशी आमने -सामने होंगे। हालांकि इस बार यहां के कुछ सियासी समीकरण अलग होने से परिणाम किसके पक्ष में आएगा कहना अभी जल्दी होगा। यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है, लेकिन बीते तीन चुनावों में से जिस तरह से दो चुनाव भाजपा ने जीते हैं, उससे जरुर कांग्रेस का गढ़ दरका है, लेकिन अब भी कांग्रेस यहां पर बेहद मजबूत स्थिति में नजर आती है। इसकी वजह है यहां पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री स्व बृजेन्द्र सिंह राठौर का बहुत प्रभाव है। अब उनकी राजनैतिक विरासत उनके पुत्र नितेन्द्र सिंह राठौर संभाल रहे हैं। यह बात अलग है कि पिता की मौत के बाद वे जनता की सहानुभूति हासिल नहीं कर पाने की वजह से उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी शिशुपाल सिंह यादव से हार गए थे। इस उपचुनाव में भाजपा ने सपा नेता शिशुपाल सिंह को दलबदल करा कर दांव लगाया था, जो सफल रहा है। यह सीट पहले निवाड़ी विधानसभा का हिस्सा थी , लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह नई सीट के रूप में अस्तित्व में आयी थी। इसके बाद यहां पर एक उपचुनाव और तीन आम चुनाव हुए हैं। इनमें से दो आम चुनाव में कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह राठौर जीते हैं, जबकि एक आम चुनाव में भाजपा की अनीता नायक ने जीत दर्ज की थी। अनीता नायक की जीत में लोगों की सहानुभूति बड़ी वजह थी। दरअसल 2008 के आम चुनाव में मतदान के दिन भाजपा प्रत्याशी सुनील नायक की हत्या कर दी गई थी, जिसकी वजह से भाजपा ने 2013 के चुनाव में उनकी पत्नी अनीता नायक को टिकट दिया था। इस सीट पर 2008 के चुनाव में बृजेन्द्र सिंह राठौर ने पांच हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। अगर इसके बाद के चुनावों पर नजर डालें तो 2013 में भाजपा ने इस हार का बदला लेते हुए आठ हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। बीते आम चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर बृजेन्द्र सिंह राठौर ने जीत दर्ज की। इस चुनाव की खासियत यह रही कि इस बार भाजपा की जगह उनके द्वारा सपा प्रत्याशी के तौर पर शिशुपाल सिंह यादव को साढ़े सात हजार से अधिक मतों से हराया था। वे इसके साथ ही पांचवी बार विधायक निर्वाचित हुए थे। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी एवं पार्टी के जिलाध्यक्ष डॉ. अभय यादव का बाहरी होना उनकी जीत का मुख्य फेक्टर बना। वे कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री अखंड यादव के बेटे हैं। इसमें भाजपा का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा। बतौर भाजपा प्रत्याशी यादव महज 10 हजार 391 वोट ही पा सके थे। इस सीट पर इसके बाद दो साल पहले 2021 बृजेन्द्र सिंह राठौर की मृत्यु हो जाने की वजह से उपचुनाव हुआ ,जिसमें एक बार फिर यह सीट बीजेपी ने कांग्रेस से छीन ली। बीजेपी के शिशुपाल सिंह यादव ने कांग्रेस के नितेंद्र सिंह राठौर को कांटे की टक्कर में 15687 वोटों से हराया था।
यह है जातीय गणित
पृथ्वीपुर वह विधानसभा क्षेत्र है जहां पर यादवों के अलावा ब्राह्मण मतदाता सर्वाधिक हैं। यही वजह है कि इस क्षेत्र में जिन्हें भी इन दोनों समाजों का समर्थन मिल जाता है, उस प्रत्याशी की जीत हो जाती है। इसके बाद क्षत्रिय और कुशवाहा समाज का नम्बर आता है। इस क्षेत्र में क्षत्रिय समाज का समर्थन कांग्रेस को परपंरागत रुप से रहता है। पूर्व में ब्राह्म्ण भी कांग्रेस के साथ रहते रहे हैं, लेकिन सुनील नायक की हत्या के बाद से यह वर्ग भी कांग्रेस का साथ छोडक़र भाजपा के साथ हो गया है।
इलाज के लिए झांसी पर आश्रित
विस के ग्राम लड़वारी के रामचरण का कहना है कि इलाज के लिए झांसी न जाएं तो न जाने कितने मरीज मर जाएं। यहां पर सरकारी अस्पताल में एक डॉक्टर तक नहीं हैं। ओरछा में राम राजा लोक बनाने की बात लोगों को पसंद आ रही है, पर वे इसे चुनाव से जोड़ने में गुरेज नहीं करते। बोले, वहां 4 साल पहले कॉलेज खोलने का वादा किया गया था। अब चुनाव आया तो शुरू करवाया है। इसी तरह से पृथ्वीपुर के लोगों का कहना है कि यहां पर अब तक बस स्टैंड तक नहीं बन सका है, जिसकी वजह से बसें बीच सडक़ पर खड़ी होती हैं। इससे सडक़ पर जाम की स्थिति दिनभर बनी रहती है। यही नहीं यहां पर पढ़ाई की भी 12वीं के बाद कोई सुविधा नहीं है, जिसकी वजह से बच्चों को निवाड़ी के अलावा टीकमगढ़ पढऩे के लिए जाना होता है।
क्या कहते हैं मतदाता
पृथ्वीपुर विधानसभा के ग्राम कुर्राई में पान की दुकान पर बैठक लोग मौसम अनुरूप बारिश न होने से किसान चिंतित दिखे, तो सिंचाई को लेकर सवाल खड़ा हो गया। जगन्नाथ घोष बोले, पानी होता तो बादलों को न देख रहे होते। सालों से सुनते आ रहे हैं कि नहर आ रही है। उपचुनाव में भी वादा किया गया था, पर न नहर खुदी और न ही खेतों के लिए पानी मिला। पांच साल से एक दाना भी पैदा नहीं हो रहा। इसी गांव में राशन को लेकर लोगों ने संतुष्टि दिखाई, पर पीएम आवास योजना के क्रियान्वयन से खफा नजर आए। राकेश, अमृतलाल और कुंजी बोले, मकान तो बड़े लोगों के होते हैं। जेब में दाम हो तो ही आवास मिलता है। बिना पैसा दिए कोई काम नहीं हो रहा।