शाह का सोशल इंजीनियरिंग पर जोर

भाजपा

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा के गढ़ मप्र में तीन माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत के तय करने के लिए अब केन्द्रीय नेतृत्व पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है। यही वजह है कि केन्द्रीय नेताओं के मप्र में लगातार दौरे हो रहे हैं। इसी कड़ी में बीते रोज एक बार फिर केन्द्रीय गृह मंत्री और पार्टी के सबसे सफल चुनावी रणनीतिकार अमित शाह भोपाल प्रवास पर आए। उन्होंने यहां करीब चार घंटे तक अनवरत रुप से पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। इस बैठक में उनका पूरी तरह से सोशल इंजीनियरिंग पर जोर रहा है। बैठक में उनके द्वारा इसके पूर्व दौरे के बताए गए कामकाज की समीक्षा भी की गई। दरअसल इसी साल जिन तीन हिन्दीभाषी राज्यों में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं ,उनमें से मप्र ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पर भाजपा की सरकार है। शायद यही वजह है कि केंद्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश को अपने सबसे मजबूत गढ़ों में से एक गुजरात की तर्ज पर पूरा महत्व दे रहा है।
 केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बीती शाम भोपाल आते ही पार्टी दफ्तर में बैठक के लिए पहुंच गए थे। उनके साथ राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी आए थे। जबकि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, नरेंद्र सिंह तोमर और अश्विनी वैष्णव पहले से ही भोपाल में मौजूद थे। इस दौरान बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सहित प्रदेश भाजपा कोर समिति के सभी सदस्य मौजूद थे। पार्टी सूत्रों की माने तो शाह ने बैठक में चुनाव अभियान की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की और चुनाव समितियों के लिए तय किए जाने वाले नामों पर भी विचार विमर्श किया। इस दौरान प्रदेश में हर वर्ग का साथ पार्टी मप्र ऐसा राज्य है, जहां पर अभी 29 में से 28 सांसद भाजपा के हैं। यही वजह है कि पार्टी संगठन ने इस बार विधानसभा चुनाव में 50 फीसदी से अधिक मतों को हासिल कर दौ सौ से अधिक विस सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया हुआ है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ही सत्ता व संगठन द्वारा लगातार कई कदम उठाए जा रहे हैं और जनहितैषी योजनाएं भी लागू की जा रही हैं। इसके लिए लगातार कई स्तर पर रणनीति तैयार करने का काम किया जा रहा है। उधर, एंटी इंनक्मबैंसी से निपटने के लिए पार्टी इस बार चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, मजबूत मतदान केंद्र प्रबंधन, सोशल इंजीनियरिंग, केंद्र और राज्य सरकारों की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर उतरने की योजना बना चुकी है। दरअसल भाजपा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का चुनावी रणनीति बनाने में कोई तोड़ नहीं है। बैठक में आक्रामक रूप से चुनावी मैदान में उतरने के साथ ही विपक्ष के सवालों के जबाब उसी की स्टाइल में देने पर भी विचार विमर्श किया है। दरअसल पिछले चुनाव में पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग गड़बड़ा गई थी , जिसकी वजह से भाजपा के साथ खड़ा रहने वाला अनुसूचित जाति और जनजाति का साथ पार्टी को नहीं मिल पाया था, जिसकी वजह से पार्टी को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। शाह नहीं चाहते हैं कि , इस बार इस तरह की कोई खामी रह जाए। इसलिए उनके द्वारा सोशल इंजीनियरिंग पर जोर दिया जा रहा है। गौरतलब है कि पार्टी को बीते चुनाव में सर्वाधिक नुकसान ग्वालियर-चंबल और महाकौशल अंचल में हुआ था। बैठक में कांग्रेस द्वारा की जाने वाली घोषणाओं के काट के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर भी चर्चा की गई है। इसमें यह भी बताया गया कि प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बिजली बिलों पर अनुदान दिया जा रहा है। इसका प्रचार प्रसार कर कांग्रेस को घेरने के लिए कहा गया है।
इन समितियों के गठन पर हुई चर्चा
सूत्रों के अनुसार कोर ग्रुप की बैठक में बताया गया कि चुनाव से संबंधित विभिन्न समिति प्रभारियों और उसके सदस्यों के नामों पर चर्चा हो चुकी है। पार्टी द्वारा चुनावी दृष्टि से जिन समितियों का गठन किया जाना है, उनमें इंटरनेट मीडिया, विज्ञापन-क्रिएशन, काल सेंटर, चुनाव आयोग प्रबंधन, चुनाव प्रबंधन, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रवास की व्यवस्था संबंधी समिति, एविएशन समिति और वित्त समिति शामिल हैं। इन समितियों में चार से लेकर 13 सदस्य होंगे।
हिन्दुत्व पर भी रहेगा जोर
मध्य प्रदेश में भाजपा महाकाल, ओमकारेश्वर, सलकनपुर, मैहर,पीतांबरा पीठ, जैसे मंदिरों के पुनर्निर्माण के जरिए भी हिंदुत्व का एजेंडा सेट कर रही है। इसके अलावा  लव जिहाद और तीन तलाक के खिलाफ बनाए गए  कानूनों का भी पार्टी के नेता अपने भाषणों में लगातार उल्लेख करेंगे। भाजपा विधानसभा चुनाव में अयोध्या में भव्य राम मंदिर और धारा 370 हटाने का मुद्दा भी उठाने वाली है। जरूरत पडऩे पर  सीएए और एनआरसी को भी मुद्दा बनाया जा सकता है। इसके अलावा काशी विश्वनाथ के ज्ञानवापी परिसर का मुद्दा और मथुरा का एजेंडा भी जोर शोर से उठाया जा सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बार-बार कहा है कि मध्यप्रदेश में धर्मांतरण, लव जिहाद के सहारे आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथी तत्वों को मध्यप्रदेश में बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विजय संकल्प यात्रा के रोडमैप पर भी हुई चर्चा
बैठक में दो माह बाद चुनाव से ठीक पहले सितंबर माह  से निकाली जाने वाली विजय संकल्प यात्रा के रोडमैप पर भी चर्चा की गई। दरअसल यह यात्रा प्रदेश में एक साथ चार स्थानों से निकाली जानी है। इस यात्रा को प्रदेश में चार बड़े नेता निकालेंगे, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया , प्रहलाद पटेल और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नामों पर लगभग सहमति बन चुकी है। यह यात्रा  उज्जैन, ग्वालियर, चित्रकूट और जबलपुर से निकाली जाएगी। इन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में रवाना किया जाएगा। बैठक में शाह ने नेताओं को समन्वय बनाकर पूरी ताकत के साथ चुनाव की तैयारियों में जुटने को कहा है।  इसके अलावा प्रदेश में 16 सदस्यीय चुनाव समिति गठित करने का भी निर्णय लिया गया है। जिसमें प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेता शामिल रहेंगे। इसी तरह से बैठक में अंचलवार विधानसभा क्षेत्रों के फीडबैक पर भी मंथन किया गया है। साथ ही पिछली बैठक में जो विषय निर्धारित किए गए थे, उन पर किए गए कामों का ब्यौरा भी लिया गया।

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