
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सूचना आयोग में आयुक्त के आठ पद खाली हैं। आयुक्त की कमी के कारण अपील के लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि लोगों को न्याय कैसे मिलेगा। आमजन के पास सूचना पाने का सशक्त हथियार है, सूचना का अधिकार। नौकरशाहों और सरकार के लिए यह परेशानी भी है। ऐसे में जानकारी देने के बजाय अफसरों का प्रयास जानकारी छुपाने में ज्यादा रहा है। हालांकि, इसमें उन्हें कामयाबी कम ही मिल पाती है। दूसरी ओर आयोग में काम का बोझ लगातार बढ़ा है। इसका सबसे बड़ा कारण राज्य सूचना आयुक्तों की संख्या में कमी आना है। गौरतलब है कि राज्य सूचना आयोग में 10 आयुक्त और एक मुख्य सूचना आयुक्त का सेटअप है। मौजूदा स्थिति में राज्य सूचना आयुक्तों की संख्या घटते -घटते दो रह गई है। एक सूचना आयुक्त अरुण कुमार पाण्डेय का कार्यकाल हाल ही में समाप्त हुआ है। आयोग में एक साल से आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। नवंबर 2021 में सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे थे। 121 दावेदारों ने आवेदन किए। इनमें रिटायर्ड आइएएस, आइपीएस, कई रिटायर्ड जज से लेकर पत्रकार भी शामिल हैं।
एक साल में चार खाली
आयोग में पिछले एक साल में चार आयुक्तों के पद खाली हुए हैं। इनमें रिटायर आईएएस डीपी अहिरवार, राजकुमार माथुर, रिटायर आईपीएस सुरेन्द्र सिंह, रिटायर आईएफएस गोल्ला कृष्णमूर्ति शामिल हैं। ये सभी सूचना आयुक्तों का कार्यकाल वर्ष 2021 में पूरा हुआ। अरुण कुमार पाण्डेय का कार्यकाल बीते 20 जुलाई को पूरा हो गया। सूचना आयुक्तों में संभाग स्तर पर काम-काज की जिम्मेदारी की व्यवस्था है। अब सिर्फ दो आयुक्त विजय मनोहर तिवारी और राहुल सिंह ही कार्यरत हैं।
8 महीने लगेंगे मौजूदा अपीलें निराकृत होने में
सतर्क नागरिक संगठन के मुताबिक मप्र में अपीलों के निराकरण की रफ्तार को देखा जाए, तो मौजूदा अपीलों के निपटारे में अभी 8 महीने का वक्त लगेगा। नई अपीलों की सुनवाई का नंबर इनके बाद ही आ सकेगा। अफसरों पर पेनॉल्टी लगाने के मामले में कर्नाटक देशभर में अव्वल है। कर्नाटक ने 1265 अफसरों पर 1.04 करोड़ की पेनॉल्टी एक साल में लगाई है। हरियाणा 161 अफसरों पर 38.81 लाख के साथ मप्र के बाद तीसरे स्थान पर है। मप्र राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा आयुक्तों के 10 पद हैं, जिनमें से 8 खाली हैं। डेढ़ साल से सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। नवंबर 2021 में सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आवेदन बुलाए थे। 121 दावेदारों ने आवेदन किए। इनमें रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस, कई रिटायर्ड जज से लेकर पत्रकार भी शामिल हैं। लेकिन आवेदन जमा होने के पूरे ड़ेढ साल बाद भी कोई नई नियुक्ति नहीं हो सकी है।
सूचना छुपाने में मप्र दूसरे नंबर पर
गौरतलब है कि सूचना के अधिकार के तहत जनहित से जुड़ी जानकारियां देने में जानबूझकर लापरवाही के मामले में मप्र के अफसर कर्नाटक के बाद दूसरे नंबर पर हैं। बीते एक साल में आरटीआई एक्ट के उल्लंघन पर मप्र के 222 अफसरों पर 47.50 लाख रुपये की पेनॉल्टी राज्य सूचना आयोग ने लगाई है। पेनॉल्टी की यह राशि 1 जुलाई 2021 से 30 जून 2022 के बीच की है। यह राशि कर्नाटक के बाद सर्वाधिक है। सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाली संस्था सतर्क नागरिक संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल में मप्र में आरटीआई में जानकारी नहीं दिए जाने की 9005 शिकायतें और अपीलों का निराकरण किया गया हैं। वहीं इस अवधि में 8413 नई सेकंड अपीलें भी दायर हुई हैं। वर्तमान में आरटीआई की 5929 सेकंड अपीलें राज्य सूचना आयोग में लंबित हैं।