
चार दर्जन से अधिक क्षेत्रों के असंतुष्टों को मनाया
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भले ही चुनावों की घोषणा में अभी समय है, लेकिन भाजपा व कांग्रेस पार्टी अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुकी हैं। ऐसे में पार्टियों द्वारा अपने नेताओं को भी सक्रिय कर दिया गया है। भाजपा ने इसकी शुरुआत चुनाव अभियान समिति के संयोजक पद पर केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से की है। उन्हें लोग प्यार से मुन्ना भैया के नाम से संबोधित करते हैं। उनके पदभार संभालते ही पार्टी को एक बड़े सकंट से मुक्ति मिलनी शुरु हो गई है। यह संकट पार्टी के सामने असंतुष्टों को मनाने का था। अपने कामकाज की शुरुआत मुन्ना भैया ने भी इस सबसे कठिन काम से पार्टी को मुक्ति दिलाने से की है। इसके लिए वे लगातार तीन दिनों से बैठक कर रहे हैं। इसका फायदा यह हुआ कि वे अब तक तीन दर्जन से अधिक विधानसभा के किसी न किसी वजह से अंसतुष्ट चल रहे नेताओं को मनाने का काम कर चुके हैं। इसे पार्टी में एक जादू के रूप में देखा जा रहा है।
दरअसल तोमर पूर्व में न केवल पार्टी अध्यक्ष रह चुके हैं, बल्कि वे तमाम पदों पर भी काम कर चुके हैं। इसकी वजह से उनके प्रदेश के लगभग सभी नेताओं से संबध हैं। इन संबंधों का फायदा अब पार्टी को चुनाव से ठीक पहले तेजी से मिलना शुरु हो गया है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में करीब आठारह साल से है। इसकी वजह से सत्ता व संगठन में महत्व न मिलने की वजह से अंसतुष्ट नेताओं व कार्यकर्ताओं की लंबी सूची है। लगातार सत्ता में रहने की वजह से पार्टी के सामने इस बार चुनाव में सबसे बड़ा संकट असंतुष्ट नेता और एंटी इनकम्बेंसी की बनी हुई है। यही वजह है कि सत्ता व संगठन को ऐसे कठिन समय में एक बार फिर मुन्ना भैया की याद आयी, जिस पर अब वे पूरी तरह से खरे उतरना शुरु हो गए हैं। नेताओं की नाराजगी की वजह से ही पार्टी को बाहरी कम और अंदर से अधिक चुनौती मिलती दिख रही है , लेकिन जैसे-जैसे तोमर सक्रियता बढ़ा रहे हैं, उससे अंदर से मिल रही चुनौती कम होना शुरू हो गई है। यही वजह है कि पार्टी ने उन्हें चुनाव अभियान समिति का संयोजक बनाया है। वे अब इस जिम्मेदारी को बाखूबी निभाते भी नजर आने लगे हैं।
बीते तीन दिनों से लगातार वे विधानसभाओं के अंसतुष्ट नेताओं को भोपाल बुलाकर उनसे बात कर उन्हें न केवल मना रहे हैं बल्कि, उन्हें चुनाव में साथ काम करने की जिम्मेदारी भी सौंप रहे हैं। इस दौरान उनके द्वारा पार्टी के कार्यकर्ता, पूर्व पदाधिकारी, पूर्व विधायक, पूर्व सांसदों से संवाद कायम कर उन्हें विधानसभा चुनाव में सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया गया है। बुंदेलखंड क्षेत्र, ग्वालियर-चंबल, विंध्य संभाग हो या मालवा निमाड़ या महाकौशल क्षेत्र के संगठन के पदाधिकारी, विधायक, महापौर, नगर निगम अध्यक्ष, परिषद अध्यक्ष, जनपद पंचायत अध्यक्ष से लेकर पार्टी के पूर्व निगम मंडल आयोग के अध्यक्ष सभी को सीधे चुनाव अभियान समिति के संयोजक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ बैठक कर चुनाव में काम करने की योजना पर लगा दिया गया है ।
सागर-गुना में है सर्वाधिक विवाद
पार्टी को इस समय सर्वाधिक मेहनत सागर और गुना जिले में करनी पड़ रही है। इसकी वजह है सागर में भाजपा नेताओं-मंत्रियों, विधायकों का आपसी विवाद , जबकि गुना में स्थानीय सांसद और श्रीमंत समर्थक मंत्रियों के बीच शीत युद्ध के हालात बने हुए हैं। इसी तरह के कुछ हालात धार जिले में भी हैं। अब पार्टी द्वारा इन सब मामलों को तोमर के माध्यम से सुलझाने का दावा किया जा रहा है। विंध्य – महाकौशल में विवाद सुलझाने का प्रयास सीएम शिवराज सिंह खुद कर चुके थे, लेकिन आपसी मनमुटाव दूर नहीं हुआ था। लेकिन तोमर के आने से सीएम को भी मदद मिल रही है। 230 विधानसभा क्षेत्रों में अधिकांश विधायकों प्रभारी मंत्रियों, मंत्रियों, जिला अध्यक्ष और मंडल पदाधिकारियों के बीच समन्वय की कमी और बढ़ती खाई को दूर करने में नरेंद्र तोमर की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण बन गई है।
पार्टी कर रही है लगातार भरोसा
तोमर को 2018 के चुनाव में भी प्रबंधन की ही कमान दी गई थी। उस समय तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने केंद्र व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सहमति के बाद तोमर को यह जिम्मा दिया था। इस बार आदेश दिल्ली से निकला है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह नियुक्ति की है। 2008 और 2013 के विधानसभा के दौरान नरेंद्र सिंह तोमर प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका में थे। वर्ष 2018 में उन्हें 18 अप्रैल को चुनाव प्रबंध समिति का संयोजक बना दिया गया था। अब 2023 में भी तोमर पर ही भरोसा दिखाया गया है।
पहले भी किए जा चुके हैं प्रयास
कुछ माह पहले भी नाराज दिग्गज नेताओं को मनाने की कवायद सत्ता व संगठन स्तर पर की जा चुकी है। उस समय नाराज नेताओं को मनाने की कवायद पार्टी के केंद्रीय हाईकमान के निर्देश पर की गई थी। उस समय नाराजगी दूर करने के लिए संगठन द्वारा प्रदेश के दिग्गज 16 नेताओं को असंतुष्ट पार्टी के पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, जिला अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों, व कार्यकर्ताओं के घर भेजा गया था। इसका भी फायदा पार्टी को मिला था। यही वजह है कि पार्टी के जो कुछ नेता उस समय बेहद मुखर थे, वे अब शांत हो चुके हैं। जिन जिलों के नेताओं को अब तक मनाया गया है, उनमें बैतूल, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, हरदा आदि जिले शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश भाजपा को घर-घर जाकर कार्यकर्ताओं को मनाने तथा उनकी एक लिस्ट बनाकर चिन्हित करने की जिम्मेदारी प्रदेश संगठन को दी थी। इसके तहत खुद तोमर भी मालवा क्षेत्र में कुछ इलाकों में गए थे और वहां उनके सामने ही सत्ता और संगठन के अलावा एक केंद्रीय मंत्री के खिलाफ बहुत सी शिकायतें मिली थीं।