
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। गंजबसौदा विधानसभा सीट विदिशा जिले के अंतर्गत आती है। बसौदा शहर नीलकंठेश्वर मंदिर के लिए जाना जाता है। मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में हुआ था। इसके अलावा कपड़ों की रंगाई और छपाई के लिए भी यह शहर मशहूर है। इस सीट पर एक जाति विशेष का दबदबा रहता है। वहीं इस सीट पर किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। यहां की जनता ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही बराबर का मौका दिया। बासौदा सीट पर 15 साल तक रघुवंशी समाज से विधायक चुना गया। फिलहाल इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा की लीना जैन यहां की विधायक हैं। गंज बासौदा के 56 साल के इतिहास में लीना जैन पहली महिला विधायक चुनी गई हैं। 10 वर्षो से यहां जैन समाज का विधायक है। इससे पहले करीब डेढ़ दशक तक रघुवंशी समाज का विधायक रहा। यहां चुनावों में समुदाय संघर्ष साफ तौर पर दिखाई देता है। सीएम के गृह जिले सीहोर से सटे विदिशा की गंजबासौदा सीट के प्रत्याशी चयन पर सभी की नजर टिकी हुई है। विश्व में गंजबासौदा की पहचान यहां से निकलने वाले पत्थर से जानी जाती है। यहां से निकलने वाला पत्थर देश और विदेशों में निर्यात होता है। वहीं शहर की मंडी प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है। यहां का अधिकतर मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों से आता है। गंजबासौदा प्रदेश की वह विधानसभा है, जिस पर एक जाति विशेष का दबदबा रहा है। यहां की जनता ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही बराबर का मौका दिया। 10 वर्षों से यहां जैन समाज का विधायक है। इससे पहले करीब डेढ़ दशक तक रघुवंशी समाज का विधायक रहा। यहां चुनावों में समुदाय संघर्ष साफ तौर पर दिखाई देता है।
रोजगार और विकास इस क्षेत्र में बड़ा मुद्दा
यहां पर रोजगार, विकास बड़ा मुद्दा है। यहां के युवा रोजगार के लिए दूसरे शहरों में जाने के लिए मजबूर हैं। इसके अलावा विकास के मामले में भी ये क्षेत्र पिछड़ा हुआ है। गंजबासौदा विधानसभा क्षेत्र में उद्योग की मांग लंबे समय से चली आ रही है। दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा जिला बनाने का है। बीते कई सालों से शहर के कई संगठन बासौदा को जिला बनाने की मांग करते आ रहे हैं। इसके अलावा शहर में विकास कार्य, शहर में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों पर लगाम और मेडिकल सुविधाओं का अभाव जैसे मुद्दे बने हुए हैं।
जातिगत समीकरण: क्षेत्र के अतंर्गत करीब 300 से अधिक गांव आते हैं। इस सीट पर जैन, रघुवंशी और ब्राह्मण समाज निर्णायक भूमिका में रहते हैं। विधानसभा क्षेत्र में 10 हजार जैन मतदाता, 10 हजार रघुवंशी, करीब 12 हजार ब्राह्मण वोटर हैं। क्षेत्र में सबसे ज्यादा 60 हजार के करीब एससी-एसटी मतदाता हैं। पिछड़ा वर्ग के 20 हजार मतदाता है। क्षेत्र में 12 हजार के करीब मुस्लिम मतदाता हैं।
दावेदारों की लिस्ट लंबी
गंजबासौदा विधानसभा सीट 2023 के लिए बीजेपी में दावेदारों की लम्बी लिस्ट है। मौजूदा विधायक लीना जैन एक बार फिर दावेदारी कर रही है। तो वहीं कांग्रेस से निशंक जैन ताल ठोक रहे है। वैसे तो इस सीट पर जातीय आधार पर कई दावेदार बने हुए हैं, लेकिन दोनों ही दलों से अन्य दावेदार भी उभर कर सामने आ रहे है। अन्य प्रमुख दावेदारों में भाजपा से हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए राजेश तिवारी, पूर्व विधायक हरिसिंह बड्डा का नाम चर्चा में बना हुआ हैं। कांग्रेस के दावेदारों की बात करें तो पूर्व जनपद अध्यक्ष प्रहलाद रघुवंशी का नाम चर्चा में है। वर्तमान में उनकी भाभी जनपद अध्यक्ष है। उनकी ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पकड़ मानी जाती है।
सियासी समीकरण
1962 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुआ। कांग्रेस के राम सिंह यहां के विधायक चुने गए थे। 1967 में यहां से भारतीय जनसंघ से के एच पिप्पल चुनाव जीते। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के जमना प्रसाद बेहरीलाल चुनाव जीते। 1980 में पहली बार बीजेपी इस सीट पर जीती और फूलचंद वर्मा विधायक बने।1985 में कांग्रेस के वीर सिंह रघुवंशी ने चुनाव में जीत हासिल की। 1990 में बीजेपी के अजय सिंह रघुवंशी विजयी रहे थे। 1993 में कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर बाजी मारी। कांग्रेस के राम नारायण मुन्नीलाल यहां के विधायक बने। 1998 में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदला और वीर सिंह रघुवंशी चुनाव जीते। 2003 और 2008 में यहां से लगातार दो बार बीजेपी को जीत मिली है।
विश्वभर में गंजबासौदा की पहचान
गंजबासौदा विधानसभा किसी पहचान की मोहताज नहीं है। गंजबासौदा की पहचान विश्व में यहां से निकलने वाले पत्थर से है। यहां से निकलने वाला पत्थर देश और विदेशों में निर्यात होता है । वही शहर की मंडी प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है। यहां का अधिकतर मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों से आता है। गंजबासौदा वो प्रदेश की वो विधानसभा है जिसपर एक जाति विशेष का दबदवा रहा है। यहां की जनता ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ही बराबर का मौका दिया। बीते 10 सालों से यहां जैन समाज का विधायक है। इससे पहले करीब डेढ़ दशक तक रघुवंशी समाज विधायक रहा। यहां चुनावों में समुदाय संघर्ष साफ तौर पर दिखाई देता है।
क्या हंै क्षेत्र के मुद्दे: गंजबासौदा विधानसभा भले ही भाजपा के कब्जे में है, लेकिन कांग्रेस की लगातार सक्रियता और बीजेपी के दावेदारों में अंर्तकलह आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की मुश्किल खड़ी कर सकती है। वहीं बीजेपी की अपेक्षा कांग्रेस के दावेदारों में घमासान कम देखने को मिलता है। क्षेत्र की समस्याओं की बात करें, तो शिक्षा, बेरोजगारी और सरकार अस्पताल की बदहाल हालत यहां के अहम मुद्दे है।