
- पुलिस की लापरवाही से पकड़ा मामले ने तूल, सीएम नाराज
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। आदिवासी पर पेशाब करने के मामले में पुलिस की कार्रवाई भी पूरी तरह से संदेह के घेरे में आ गई है। इस मामले में अगर पुलिस समय रहते कार्रवाई करती तो यह मामला न तो तूल पकड़ता और न ही सरकार को बैकफुट पर आना पड़ता। यही वजह है कि इस मामले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सीधी के पुलिस कप्तान एसपी रवींद्र वर्मा की कार्यशैली से खासे नाराज हैं। इस वजह से यह तय है कि मामला शांत होते ही उनका तबादला कर दिया जाएगा। इस मामले के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधीनस्थ अफसरों से साफ कहा है कि मैदानी अफसरों का इस तरह का ढुलमुल रवैया कतई ठीक नहीं है। दरअसल इस मामले की शुरुआत एक वीडियो वायरल होने से हुई थी। जिसमें सीधी जिले के बहरी निवासी भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला के विधायक प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला आदिवासी युवक दशमत सिंह पर पेशाब करते हुए दिख रहा है। कहा जा रहा है कि यह पेशाब करने वाला वीडियो पुराना है। बहरहाल वीडियो कब का है इसकी हकीकत तो जांच के बाद पता चलेगी, लेकिन यह सच है कि वीडियो को लेकर कुछ लोग प्रवेश को ब्लैकमेल कर रहे थे। लगातार ब्लैकमेल करने से परेशान होकर प्रवेश घर छोडक़र चला गया था। इसकी शिकायत 26 जून को बहरी थाने में हुई थी। यह शिकायत प्रवेश के चाचा ने की थी। चाचा ने शिकायत में कहा था कि कुछ लोग अड़ीबाजी कर रहे हैं। अगर प्रवेश को कुछ होता है, तो इसकी जिम्मेदारी उनकी होगी। इस पर बहरी थाना पुलिस ने सिर्फ गुमशुदगी का प्रकरण दर्ज किया था। लेकिन जिन लोगों पर ब्लैकमेल करने का आरोप था, उनपर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई थी।
तो बच जाती सरकार की किरकिरी होने से
अफसरों ने भी माना कि अगर आरोपियों के खिलाफ अड़ीबाजी का मुकदमा दर्ज हो जाता, तो इतना पुराना वीडियो वायरल नहीं होता और जिस तरह की किरकिरी सरकार की हुई है, वह भी नहीं होती। इसी तरह का पुलिस का एक और मामले में भी ढुलमुल रवैया सामने आया है। मामला सीधी जिले के कमर्जी थाने का है। कमर्जी इलाके के रहने रामाधार सिंह, राजधर सिंह, गणेश सिंह और महेश सिंह के खिलाफ पुलिस ने 2 जनवरी 2023 को धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज तैयार करने का मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस ने इसके बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की। परिणाम यह हुआ कि आरोपियों ने मामले के फरियादी समेत उनके पक्ष के लोगों पर हमला कर आधा दर्जन लोगों को घायल कर दिया। यह हमला 25 जून को किया गया था। बताते हैं कि पीड़ित दिलराज सिंह बघेल ने कमर्जी थाना प्रभारी से मिलकर आरोपियों से अपनी जान को खतरा बताया था। उसके बाद भी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। हमला करने वाले कई आरोपी अब भी फरार हैं। इस मामले में पुलिस चार महिलाओं समेत कुछ आरोपियों को थाने लाई थी, लेकिन उन्हें भी शुरुआती पूछताछ के बाद छोड़ दिया था। बेहद अहम बात यह है कि पुलिस ने हमला करने के मामले में जिन आरोपियों को पकड़ा है, उनकी हत्या के प्रयास के मामले में गिरफ्तारी तो की है, लेकिन धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तारी ही नहीं की है। नियमानुसार आरोपी के पकड़े जाने पर उसके खिलाफ जितने मामले दर्ज होते हैं, सभी में गिरफ्तारी की जाती है। आरोपियों के प्रति पुलिस की मेहरबानी से उसकी कार्यप्रणाली की कलई खुल जाती है।