
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। करीब ढाई माह पहले 12 मई को पड़े छापे में मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन की संविदा सहायक यंत्री हेमा मीणा के ठिकानों से मिली बेहिसाब संपत्ति के मामले में अब एक और बड़ी कार्रवाई किए जाने की तैयारी शुरु कर दी गई है। इस मामले में हेमा के साथ ही उनके विभाग में आका रहे परियोजना प्रभारी जनार्दन सिंह की संपत्ति जप्त करने की तैयारी लोकायुक्त पुलिस द्वारा की जा रही है। फिलहाल हेमा को बर्खास्त किया जा चुका है , जबकि जनार्दन सिंह अभी निलंबित चल रहा है। इस मामले में अब भी उन अफसरों पर कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है, जो बार-बार हेमा को नियुक्ति देते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कि महज तीस हजार रुपए महिने की वेतन पर अस्थाई रुप से काम करने वाली संविदा सहायक यंत्री हेमा मीणा के बिलखिरिया स्थित लक्जरी फार्म हाउस पर लोकायुक्त टीम की दबिश के बाद जांच में कई बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। लोकायुक्त पुलिस की जांच टीम को भोपाल के अलावा विदिशा और रायसेन जिले में 60 एकड़ से अधिक जमीन का पता चला है। ये जमीनें हेमा मीणा और निलंबित प्रभारी प्रोजेक्ट इंजीनियर जर्नादन सिंह के परिजनों के साथ साझेदारी में खरीदी गई थीं। इन जमीनों का नामांतरण वर्ष 2019 से 2021 के बीच किया गया। खास बात है कि, इन जमीनों पर भी भोपाल के पास बिलखिरिया में मौजूद फार्म हाउस की तर्ज पर वेयर हाउस समेत लाखों रुपए के अन्य आधुनिक कृषि यंत्रों की उपलब्धता है। इधर, लोकायुक्त पुलिस द्वारा जर्नादन सिंह और हेमा मीणा द्वारा संभाले जा रहे निर्माण परियोजना की जानकारी मप्र पुलिस हाउसिंग बोर्ड से मांगी गई थी, पर नतीजा सिफर ही है। सूत्रों की मानें तो जर्नादन सिंह के अलावा और भी कई आला अधिकारियों की काली कमाई जमीनों में खपाई गई है। ऐसे में भ्रष्टाचार के पूरे खेल में और बड़े नामों का खुलासा होने के डर से पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन लोकायुक्त पुलिस को संबधित जानकारी नहीं दे रहा है। लोकायुक्त पुलिस द्वारा कई बार मप्र पुलिस हाउसिंग बोर्ड से जानकारी मांगी जा चुकी है। सूत्रों की माने तो लोकायुक्त पुलिस अब तक हेमा व जनार्दन के अलावा उनके परिजनों के नाम पर खरीदी गई संपत्ति की जानकारी जुटा चुका है। इसके बाद अब इस संपत्ति को जप्त करने की तैयारी की जा रही है।
यह संपत्तियां मिली…
बिलखिरिया में डेढ़ लाख वर्गफीट से अधिक के लक्जरी फार्म हाउस के अलावा विदिशा जिले के देवराजपुर और रायसेन के सेमरा, काछी कनाखेड़ा और बिलौरी गांव में हेमा मीणा और जर्नादन सिंह की मां, पत्नी और बहनोई की साझेदारी में खरीदी गई जमीनें हैं। जानकारी के मुताबिक इन जमीनों और भी कई लोग साझेदार हैं। बिलखिरिया स्थित फार्म हाउस की जमीन हेमा मीणा के पिता के नाम पर है। ऐसे में इन जमीनों को राजसात किया जाएगा। इन जमीनों की खरीद-बिक्री का ट्रैक रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। इसके मुताबिक जमीनें जिनके नाम हैं, उन्हें भी आरोपी बनाने की तैयारी है।
प्रबंध संचालक की रही मेहरबानी…
पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन में जनार्दन सिंह सहायक इंजीनियर के रूप में लोक निर्माण विभाग से 2007 में प्रतिनियुक्ति पर आया था। इसके बाद से वह अपने मूल विभाग में वापस नहीं गया, जबकि लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता आरके मेहरा ने कई पत्र लिखे और रिमांइडर भी भेजे। पहले तो चिट्ठी पर कोई जवाब नहीं दिया गया। बाद में पूर्व प्रबंध संचालक ने उसे मूल विभाग में वापस न भेजने के पीछे तर्क दिया कि उसके पास गुणात्मक प्रोजेक्ट हैं, इस कारण उनका कार्य प्रभावित होगा। इसलिए उनके मूल विभाग में नहीं भेजा जा सकता है। इसी तरह से हेमा मीणा की पहली बार एक जनवरी 2011 को पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन में नियुक्ति हुई थी। उसने 31 मई 2011 को इस्तीफा दे दिया था। दूसरी बार उसे 22 फरवरी 2013 को फिर भोपाल संभाग में नियुक्त किया गया। इसके बाद सात जुलाई 2015 को उसने फिर से इस्तीफा दे दिया, लेकिन उसे तीसरी बार 24 नवंबर 2016 को सागर संभाग में नियुक्त कर दिया गया और इसके बाद उसे संविदा सहायक यंत्री का प्रभार भी 2017 में दे दिया गया था।
जाति प्रमाण पत्र पर भी है संदेह
लोक निर्माण विभाग ने पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के एमडी को पत्र लिखकर जनार्दन के जाति प्रमाण-पत्र की जांच के लिए दस्तावेज मांगे थे, जिसे विभाग ने यह कह कर देने से मना कर दिया था , कि उच्च स्तरीय छानबीन समिति इसकी जांच कर रही है। उन्होंने अनुसूचित जाति विकास आयुक्त को जाति प्रमाण-पत्र की जो फोटोकॉपी दी है,वह पर्याप्त नहीं है। उनके दस्तावेज में पैतृक निवास आगरा यूपी लिखा है,जबकि अनुसूचित जाति का लाभ लेने 1950 से मप्र का निवास प्रमाण-पत्र होना चाहिए।