
-चार कमेटियों का किया जाएगा गठन
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय नेता के तौर पर महासचिव प्रियंका गांधी का दखल और सक्रियता ज्यादा रहने के संकेत मिल रहे हैं। कांग्रेस प्रियंका को राज्य में इंदिरा गांधी की नातिन के तौर पर प्रचारित तो करेगी ही, साथ में मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। राज्य में कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं और इसके लिए राज्य से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक प्रयासरत भी है। इसी बीच कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद से कांग्रेसी उत्साहित हैं। यही कारण है कि राहुल गांधी ने राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 150 पर जीत का दावा कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में प्रियंका गांधी चुनावी रणनीति के साथ ही नेताओं पर भी नजर रखेंगी।
कांग्रेस 12 जून को जबलपुर से चुनाव प्रचार अभियान का शंखनाद करने वाली है और इसमें प्रियंका गांधी की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रहेगी। जबलपुर में होने वाले इस आयोजन में कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं को जुटाकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहती है। वहीं महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में अपनी ताकत का संदेश भी देना चाहती है। गौरतलब राज्य में पिछले चुनावों में प्रियंका गांधी ज्यादा सक्रिय नहीं रही थीं। तब पूरी तरह राष्ट्रीय नेता के तौर पर राहुल गांधी ने कमान संभाली थी। इस बार पार्टी प्रियंका गांधी को आगे करने का मन बना चुकी है। इसकी वजह भी है ,क्योंकि पार्टी को लगता है कि प्रियंका के जरिए मतदाताओं को कहीं ज्यादा आकर्षित किया जा सकता है। उनके रहन-सहन से लेकर पहनावा कुछ ऐसा है जो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की याद भी दिला जाता है। राजनीति के जानकारों की माने तो राज्य के आदिवासी और जनजाति वर्ग में कांग्रेस की पैठ है। उसे और मजबूत बनाने में प्रियंका गांधी मददगार हो सकती हैं। लिहाजा कांग्रेस की कोशिश होगी कि वह इस वर्ग में अपनी पैठ बनाए रखें। इस मामले में प्रियंका गांधी से अच्छा चेहरा उनके लिए कोई और दूसरा हो नहीं सकता। यह पार्टी की यह रणनीति कितनी सफल होती है, यह तो समय ही बताएगा।
कमेटियां रखेंगीं नेताओं को एक
प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है और इसको लेकर दिल्ली में प्रदेश के नेताओं क कांग्रेस के राष्ट्रीय व पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ महत्वपूर्ण बैठक भी हो चुकी है। प्रदेश में अभी कांग्रेस के कई नेता अलग-अलग राह पर चल रहे हैं जिनको एकजुट करने का काम किया जाएगा। चुनाव के लिए चार कमेटियां बनाई जाएंगी उनमें उक्त नेताओं को दायित्व दिया जाएगा। कमेटियां क्या काम कर रही हैं उसकी मॉनीटरिंग का काम कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी करेंगी। जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने चार कमेटियां बनाने का निर्णय लिया है। इन कमेटियों में चुनाव अभियान, मॉनीटरिंग, प्रत्याशी चयन के अलावा समन्वय कमेटी भी बनाई जाएगी। इन कमेटियों में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह एवं राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। प्रत्याशी चयन समिति जो बनेगी वह लंबे समय से हारी हुई सीटों पर जीतने वाले तीन प्रत्याशियों की पैनल बनाकर देगी साथ ही जहां कांग्रेस के विधायक हैं, वहां जाकर यह पता लगाने का काम करेगी कि विधायक की स्थिति क्या है । जो चार कमेटियां बनेंगी वह प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ को रिपोर्ट करेंगी जबकि दिल्ली में बैठकर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी हर मामले की मॉनीटरिंग का काम करेंगी।
नेताओं के बदले सुर ने बढ़ाई चिंता
कर्नाटक विजय के बाद से कांग्रेस खासी उत्साहित है और उसी उत्साह के सहारे वह मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने का ऐलान कर रही है। अब ऐलान तो भाजपा भी कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कौन कितना मजबूत है इसका आंकलन फिलहाल दोनों दल सर्वे करा कर रहे हैं। मप्र में इस बार कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के सक्रिय हो रही हंै। कांग्रेस कहने को एकजुट होने की बात तो कर रही है, लेकिन जिस तरह से नेताओं ने मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर बयान बदले हैं , उसके बाद से ऐसा लगने लगा है कि कांग्रेस के अंदर ही कुछ न कुछ चल रहा है। यही कारण है कि पहले जो नेता कमलनाथ को चुनाव बाद मुख्यमंत्री बनाने की बात कह रहे थे वह एकाएक अब यह कहने लगे हैं, कि कांग्रेस लोकतांत्रिक दल है और चुनाव बाद हमारे विधायक तय करेंगे कि मुख्यमंत्री कौन होगा। कांग्रेस नेताओं की इसी बदली हुई भाषा को लेकर कांग्रेस हाईकमान के कान खड़े हो गए हैं, यही कारण है कि हाईकमान ने प्रदेश के सभी नेताओं को दिल्ली बुलाकर प्रदेश में होने वाले चुनाव को लेकर तो चर्चा की है, साथ ही यह भी जानकारी लेने की कौशिश की गई कि आखिर बयान एका-एक क्यों बदल गए हैं।