अमरनाथ के वेस्ट मैनेजमेंट का जिम्मा मप्र को

अमरनाथ

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। समुद्रतल से 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित होने से अमरनाथ की पवित्र गुफा का इलाका  बेहद दुर्गम माना जाता है। इस गुफा की लंबाई  19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊंची है। यहां पर हर साल लाखों लोग दर्शन के लिए जाते हैं। इसकी वजह से इस दुर्गम इलाके में कचरा कूड़ा भारी मात्रा में फैलता है। इसके निपटारे यानि की वेस्ट मैनेजमेंट का जिम्मा प्रदेश के इंदौर शहर की स्टार्टअप कंपनी को दिया गया है। स्टार्टअप कंपनी 350 से अधिक सफाई मित्रों और वॉलेंटियर की टीम के साथ अमरनाथ के दोनों यात्रा पथ यानि बालटाल और पहलगाम पर और गुफा तक के 13 कैंपों के माध्यम से कचरे को हिमालय में फैलने से रोकेगी। दरअसल इस साल अमरनाथ यात्रा एक जुलाई से शुरू होनी है। जिस कंपनी को यह काम मिला है उसका नाम स्वाहा है।
कंपनी के संचालक  समीर शर्मा के मुताबिक हमारी टीम सबसे पहले बेस कैंप पर ही सिंगल यूज प्लास्टिक को रोकेगी और उसके लिए यात्रियों से प्लास्टिक लेकर कपड़े के थैले नि:शुल्क देगी। इसके बाद लंगरों के फूड वेस्ट और किचन वेस्ट से ऑन स्पॉट कंपोस्ट बनाया जाएगा। यात्री कम से कम कचरा फैलाए, इसके लिए यात्रा मार्ग पर जिंगल्स, यात्रा एंथम , विभिन्न एक्टिविटीज , सेल्फी प्वाइंट, कपड़े का बैग और साथ ही स्वच्छता मासकॉट पूरे समय बेस कैंपों में घूमेंगे।
इंदौरी पोहा का लगेगा लंगर: यात्रा के दौरान इस बार स्वाहा इंदौर के सोशल मीडिया ग्रुप के साथ मिलकर एक ऐसा लंगर लगाएगा, जो पूरी तरह सोलर और बायोगैस से चलेगा और इसमें इंदौरी स्वाद यानी पोहे, साबूदाना खिचड़ी, चाय यात्रियों को नि:शुल्क प्रसाद के तौर पर वितरित की जाएगी।
औसतन 25 लाख बोतलें फेंकते है यात्री
अमरनाथ यात्रा 62 दिन चलेगी। इस दौरान 1200 टन कचरे का एकत्र कर उसका निपटान किया जाएगा। कंपनी के रोहित अग्रवाल के अनुसार यात्रा के दौरान 20 से 30 लाख प्लास्टिक बोतलों का यात्री उपयोग करते है और उसे रास्ते में फेंक देते है। सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा इन बोतलों के कारण ही होता है। हमारी टीम यात्रा के शुरुआती कैम्प मेें ही सिंगल यूज प्लास्टिक रोकेगी। कचरे को प्रोसेस करने के लिए हमने विशेष मशीनें तैयार की हैं, जो बिजली के बगैर चलेगी। उन्हें घोड़ों की मदद से पहाड़ों पर पहुंचाया जाएगा।

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