
- राशन दुकानों पर हितग्राहियों की लग रही कतार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। तकनीकी खामी आड़े आने से जरूरतमंद लोगों तक राशन नहीं पहुंच पा रहा है। प्रदेश में पिछले डेढ़ महीने से राशन वितरण की पीओएस मशीनों में खराबी आने से हितग्राहियों को राशन के लिए चक्कर काटने पड़ रहे हैं। यह स्थिति बन रही पोर्टल में एरर आने की वजह से।
इस मामले की जानकारी विभाग के आला अधिकारियों को भी है। बावजूद इसके गरीबों को राहत नहीं मिल रही है। पीओएस मशीनों को लेकर आई दिक्कत यह पहली बार नहीं है ,अपितु इससे पहले भी इस तरह की समस्या आ चुकी हैं और सबसे अधिक समस्या नेटवर्क को लेकर है। कई गांवों में जहां नेटवर्क स्पीड बेहद कम है वहां पर लोगों को इसके लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। दरअसल, गत डेढ़ माह से सर्वर की समस्या बनी हुई है। पोर्टल में एरर आने की वजह से पीओएस मशीनों से राशन वितरण धीमी गति से हो रहा है। सुबह 10 से लेकर दोपहर 3 बजे तक तो स्थिति यह रहती है कि राशन ही वितरण नहीं हो पाता है। यही कारण है कि नवंबर माह का राशन दिसंबर की 10 तारीख तक बांटना पड़ा था, वहीं दिसंबर माह का राशन जनवरी दस तक। इसके अतिरिक्त फिंगर नहीं मिलने की वजह से भी कई बार हितग्राहियों को इंतजार करना पड़ता है।
6 साल पुरानी मशीनें, स्लिप निकालते ही बैटरी खत्म: विभाग की तरफ से वर्ष 2016 में यह पीओएस मशीनें दी गई थीं ,जो कि अब पुरानी हो गई है। इनकी हालत यह है कि इनसे एक बार स्लिप निकालने के बाद ही बैटरी लो हो जाती है। ऐसे में काफी डिपो होल्डर तो इस वजह से रसीद भी नहीं दे रहे हैं जबकि , नियमानुसार हर उपभोक्ताओं को स्लिप मिलनी चाहिए। वहीं जब यह खराब हो जाती है तो विभाग भी इन्हें केवल मरम्मत ही कराकर देता है। डिपो होल्डरों का कहना है कि विभाग की तरफ से नई मशीनें दी जानी चाहिए। राशन के लिए लोग मजदूरी छोडक़र दुकानों में खड़े नजर आ रहा है। राशन मिलने की उम्मीद के साथ वो घंटो खड़े रहते हैं। अगर नंबर आ भी रहा है तो एक कार्ड में ही 30 से 35 मिनट का समय लग रहा है। ऐसे में अगर सर्वर चलता भी है तो एक घंटे में दो से तीन लोगों को ही राशन मिल पाता है। इसके बाद फिर वही दिक्कत खड़ी हो जाती है। दुकानदारों का कहना है कि राशन वितरण हो तो ठीक है, लेकिन विभाग के द्वारा केवाईसी और मोबाइल नंबर भी दर्ज कराए जा रहे हैं। इसके चलते अधिक समय लग रहा है।
26 हजार पीओएस मशीनें लगाई गई
राज्य सरकार ने 26 हजार पीओएस मशीनें लगाई हैं। हर माह किराए के रूप में 2 करोड़ 62 लाख 26 हजार रुपए सरकार चुका रही है। फिर भी हितग्राहियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। विभागीय अफसरों की माने तो 14 हजार दुकानों में जो मशीनें लगी हैं, उनमें एक मशीन का किराया 1054 रुपए है। इसके अलावा 10 हजार दुकानों पर जो मशीनें लगी हैं। उनका 1147 रुपए किराया एक मशीन का है। 26 हजार दुकानों पर लगी मशीनें मेसर्स लिंकवेल टेली सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की है। दो करोड़ से अधिक का किराया देने के बाद भी हर महीने 300 मशीनों की खराबी की शिकायतें खाद्य विभाग के पास एनआईसी के पोर्टल के जरिए पहुंचती है।