
- 44 करोड़ के हाउसिंग सोसायटी स्कैम में अभी कई राज होंगे उजागर
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी भोपाल की चर्चित रोहित गृह निर्माण समिति में एक बार फिर नाटकीय मोड़ आ गया है। इस बार मामले की जांच भोपाल स्थित आर्थिक प्रकोष्ठ विंग की बजाय ग्वालियर टीम ने की। इस मामले में सोसायटी के ही एक सदस्य को पूरे फर्जीवाड़े मामले का जिम्मेदार मान लिया गया। हालांकि एफआईआर में अभी भी अन्य का कॉलम है। लेकिन, करीब 44 करोड़ रूपए के इस हाउसिंग सोसायटी स्कैम में अभी कई अन्य राज की बातें उजागर होना बाकी है। इस चर्चित रोहित हाउसिंग सोसाइटी के फर्जीवाड़े के मामले में दो साल बाद फिर से ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की है। ईओडब्ल्यू ने खुलासा किया है कि सोसाइटी के नाम पर 44 करोड़ रुपए का घोटाला किया है। 6 करोड़ के लिए संचालक ने लोगों को चूना लगा दिया। खास बात है कि 11 सदस्यों में से 7 सदस्यों ने संचालक को रजिस्ट्री कराने का अधिकार नहीं दिया। इसके बाद भी प्लॉट और दुकानों का सौदा संचालक ने कर दिया।
ईओडब्ल्यू ने रोहित हाउसिंग सोसाइटी में हुए फर्जीवाड़ा में घनश्याम सिंह राजपूत और 23 लोगों को साल 2019 में एफआईआर दर्ज करते हुए आरोपी बनाया था। घनश्याम सिंह राजपूत को मुख्य आरोपी घोषित करते हुए जेल भी भेजा गया था। विवादित और चर्चित रोहित हाउसिंग सोसाइटी की जांच में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज कर मामले में पाया कि संस्था के सदस्यों से भूखंड के नाम पर बड़ी राशि ड्राफ्ट के जरिए लेकर संस्था के खाते से अवैध रूप से निकाल ली गई। कुल 22.70 करोड़ रुपए की राशि खुर्दबुर्द की गई। इस गड़बड़ी को छिपाने के लिए संस्था संचालक मंडल ने दस्तावेज गायब कर दिए। इनके खिलाफ हुई एफआईआर में ईओडब्ल्यू ने 2005 के बाद के समस्त संचालक मंडल सदस्यों को आरोपी बनाया है। एफआईआर में तुलसीराम चंद्राकर, मो. आय्यूब खान घनश्याम सिंह राजपूत, श्रीकांत सिंह, केएस ठाकुर, एलएस राजपूत, बसंत जोशी, सुरेंद्रा, ज्योति तारण, अमरनाथ मिश्रा, अनिल कुमार, रेवत सहारे, अमित ठाकुर, एमडी सालोडकर गिरीशचन्द्र कांडपाल, अरुण भागोलीवाल, बालकिशन निवावे समेत अन्य खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
7 से अधिक सदस्यों की सहमति अनिवार्य
जांच अधिकारी की माने तो श्री बाल कृष्ण दामाजी जवाहर चौक में रहते हैं। साल 2008 में दामाजी को रोहित हाउसिंग सोसाइटी का संचालक बनाया गया था। इसके बाद अमरनाथ मिश्रा और अरुण कुमार भगोलीवाल ने इस्तीफा दे दिया था। फिर 2011 में रामबहादुर को सदस्य और अध्यक्ष बनाया गया। इस सोसाइटी में अन्य लोग सदस्य बनाए गए। जांच में पाया गया है कि रजिस्ट्री के लिए 7 से अधिक सदस्यों की सहमति होना अनिवार्य होता है लेकिन ईओडब्ल्यू ने सभी सदस्यों से पूछताछ की 7 सदस्यों ने बकायदा बयान में कहा कि संचालक मंडल की ओर से श्रीबालकृष्ण दामाजी निनावे से अधिकृत नहीं किया था। इसके बाद 138 प्लाट, 43 दुकान का अवैध रूप से बेचा गया। इससे संस्था को 44 करोड़ लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। जिसके बाद ईओडब्ल्यू ने श्रीबालकृष्ण दामाजी निनावे के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश, जालसाजी की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है।
ऐसे किया गया फर्जीवाड़ा
ईओडब्ल्यू से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में 20 दिसंबर को प्रकरण 105/22 दर्ज किया गया। जिसमें धारा 420/467/468/120—बी (जालसाजी, दस्तावेजों की कूटरचना और साजिश का मामला) दर्ज किया गया। इस मामले की शिकायत 2019 में हुई थी। जिसकी जांच के बाद आरोपी बालकृष्ण दामाजी निनावे को बनाया गया है। भोपाल ईओडब्ल्यू थाना पुलिस के अनुसार जून, 2008 में चुनाव हुए थे। जिसके संचालक मंडल में अध्यक्ष राम बहादुर, उपाध्यक्ष अनिल कुमार, संचालक रेवत सहारे, अमित सिंह ठाकुर, एमडी सालोडकर, गिरीश चंद्र कंदपाल, सीमा सिंह, बाल किशन निनाने, सीएस वर्मा, सविता जोशी और सुशीला पुरोहित बनाए गए थे। संचालक मंडल में से 7 पदाधिकारियों ने बयान दिया कि आरोपी बालकृष्ण दामाजी निनावे को रजिस्ट्री कराने के अधिकार नहीं दिए गए थे।