विदेशी मधुमक्खियां बनी लाखों की आय का साधन

विदेशी मधुमक्खियां

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अब विदेशी मधुमक्खियां भी आय का साधन बन रही हैं। खास बात यह है कि इन विदेशी मधुमक्खियों से लोगों द्वारा हर माह करीब पांच से छह लाख रुपए की कमाई की जा रही है। यह बात अलग है कि इसके लिए युवकों को अलग-अलग इलाकों में जाना पड़ता है। यह विदेशी मुधमक्खियां इन दिनों ग्वालियर -चंबल अंचल में शहद बनाने का काम बड़े पैमाने पर कर रही हैं। इसके लिए शिवपुरी – पोहरी रोड पर खेतों के किनारे इन दिनों शहद के लिए लगे बॉक्स आसानी से देखे जा सकते हैं।
खास बात यह है कि शहद बनाने के लिए इन बाक्सों में इटली की मधुमक्खियां पाली गई हैं। वे फूलों का रस चूसकर शहद बना रही हैं। यह बाक्स बिहार के लोगों द्वारा यहां पर लगाए गए हैं। इनमें बनने वाली शहद को मधुमक्खी पालक अपने साथ बिहार ले जाते हैं। वहां पर वे कंपनियों को अनुबंध के आधार पर बेंच देते हैं। खास बात यह है कि इन बाक्सों में लगे छत्तों में महज 35 दिनों में ही करीब 60 क्विंटल शहद तैयार हो जाता है। इसके लिए यह लोग मधुमक्खियों के छत्तों वाले यह बाक्स लेकर पूरे देश में घूमते रहते हैं। इसकी वजह है उनके लिए फूलों की व्यवस्था करना। जहां भी जिस सीजन के  हिसाब से फूल होते हैं, वहां जाकर उनके द्वारा यह बाक्स लगा दिए जाते हैं, जिससे की उनमें शहद बन सके।
इस समय शिवपुरी इलाके में बड़ी संख्या में सरसों के फूल खेतों में हैं, जिसकी वजह से यहां पर इन बाक्सों  को लगाया गया है। फूलों का सीजन खत्म होने के बाद बॉक्स के साथ मधुमक्खियों को लेकर दूसरी जगह रवाना हो जाते हैं। बॉक्स में मधुमक्खी के छत्ते की तरह की प्लेट लगी हुई हैं। इनमें मधुमक्खियां शहद बनाती हैं। मधुमक्खी आसानी से सरसों के फूलों का रस लेकर इन छत्तों में बैठ कर शहद बनाती हैं। इन लोगों को कहना है कि वे हर साल इस सीजन में मध्यप्रदेश के शिवपुरी, ग्वालियर या भिंड मुरैना क्षेत्र में शहद का यह प्लांट लगाते हैं। इनमें बहार के मुजफ्फरपुर निवासी मुन्ना कुमार और शेखर का कहना है कि वे पिछले 20 दिन से पोहरी रोड पर सड़क किनारे खेतों के पास खाली जगह पर शहद बनाने वाले 500 बॉक्स लगाए हुए हैं।
एक बार में छह लाख तक की आय
खास बात यह है कि इसके लिए उनके द्वारा इस प्लांट में ही टेंट लगाकर निवास किया जाता है। इस दौरान मधुमक्खियों के काटने से बचने के लिए उनके द्वारा पूरे बदन पर कपड़े पहनने के अलावा मुंह पर झालीदार कैप लगाया जाता है। उनका कहना है कि यह खास शहद 110 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकती है। इसे वे अनुबंध के तहत कंपनियों को बेच देते हैं। उनका कहना है कि 35 दिन की मेहनत में लगभग 6 लाख रुपए से ज्यादा की शहद बन जाती है।  उनका कहना है कि वे यह विशेष बॉक्स किराए पर लाते हैं तथा मधुमक्खियों के लिए शक्कर का भी उपयोग करते हैं।

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