संघ का शताब्दी वर्ष में शाखाएं दोगुनी करने का लक्ष्य

संघ

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। संघ के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस शताब्दी के अवसर को कैसे मनाया जाए, इसको लेकर  विचार चल रहा है। इस अवसर  पर कार्य विस्तार कैसे हो  इस पर संघ में चर्चा हुई और योजना बनी है। 100 साल के उपलक्ष्य में संघ की पहली प्राथमिकता उनका भौगोलिक विस्तार की है। संघ की योजना के मुताबिक मौजूदा 50 हजार की  संख्या बढ़ा  कर  एक  लाख स्थानों पर शाखा लगाने काम पूरा किया जाएगा। इसके लिए एक ढांचा तैयार किया जा रहा है , जिसे यह  जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 2025 में 100 साल पूरे होने पर किसी तरह के बड़े और शानदार उत्सव नहीं होंगे, बल्कि सेवा और विस्तार से जुड़े कुछ नए अभियानों को गति देने की तैयारी है। जिस तरह से 1989 में संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान संघ ने सेवा जैसा नया विभाग शुरू किया था और राष्ट्रीय सेवा भारती के माध्यम से लाखों स्थानों पर सेवा कार्य शुरू किए गए, उस तर्ज पर इस बार भी संघ अलग-अलग क्षेत्रों में कुछ नई शाखाएं शुरू कर सकता है।
हर गांव तक पहुंचने का लक्ष्य
संघ की कोशिश देश के हर गांव व मंडल तक पहुंचने की है। संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, संघ अन्य संगठनों से अलग है। प्रत्येक उपलब्धि हमें सेलिब्रेशन नहीं, बल्कि सेवा व विस्तार के लिए प्रेरित करती है। शताब्दी वर्ष पर किसी तरह के ग्रैंड सेलिब्रेशन की तैयारी नहीं है। 2025 तक संघ अपनी सेवा प्रकल्पों को और विस्तार देगा। प्रयागराज में 16 से 18 अक्टूबर तक होने जा रही अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में शीर्ष पदाधिकारी देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा कर रणनीति बनाएंगे। आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक हालात पर भी चर्चा होगी। मार्च में हुई प्रतिनिधि सभा की बैठक में लिए गए निर्णयों पर अब तक हुए कार्यों की समीक्षा होगी। बैठक में संघ  रचना के सभी 45 प्रांतों के प्रांत संघ चालक मौजूद रहेंगे।
शाखाओं की संख्या एक लाख करने का लक्ष्य
देश के 6,483 ब्लॉक में अभी संघ की पहुंच 5,683 ब्लाकों में है। इसी तरह देश के 910 में से 900 जिलों में संघ पहुंच बना चुका है। शताब्दी वर्ष के मद्देनजर संघ देश के शत प्रतिशत ब्लॉक और जिलों में विस्तार की दिशा में कार्य कर रहा है। इसी तरह शाखाओं की संख्या भी दोगुनी करने की तैयारी है। अभी देश में 55,000 स्थानों पर शाखाएं लगती हैं। इस आंकड़े को 1 लाख पार ले जाने का लक्ष्य है। प्रशिक्षण वर्ग के माध्यम से पूर्णकालिक प्रचारकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगा। संघ के एक अन्य पदाधिकारी के अनुसार हाल में विजयदशमी उत्सव के संबोधन के दौरान सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा था कि एक मंदिर, एक पानी और शमशान सब हिंदुओं के लिए जब तक खुले नहीं होते, तब तक समता की बातें सपना ही होगा। ऐसे में साफ है कि शताब्दी वर्ष में सामाजिक समरसता की दिशा में संघ अपने पहले से चल रहे एक मंदिर, एक कुआं (पानी) व एक श्मशान अभियान को और गति देकर जातीय भेदभाव उन्मूलन अभियान को मजबूती देगा।

Related Articles