
- कई तरह की फसलें हुई तबाह
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वापसी कर रहे मानसून ने प्रदेश के कई अंचलों में किसानों को जोर का झटका धीरे से दिया है। यह झटका अब किसानों को फसल क्षति के रुप में मुसीबत बन गया है। इसकी वजह से किसी एक फसल को नहीं , बल्कि अलग-अलग अंचलों में अलग-अलग फसल को नुकसान पहुंचा है।
प्रदेश में महाकोशल और ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों इस माह जब मानसून की विदाई हो रही तब हुइ बारिश की वजह से मटर, मूंग, उड़द, बाजरा और धान जैसी फसलों को नुकसान पहुंचा है। इसी तरह से जबलपुर में बारिश से खेतों में पानी भर गया, जिससे अंकुरित हो चुकी मटर की फसल पूरी तरह से सड़ गई है। गौरतलब है कि देशभर में जबलपुर की मटर की ब्रांडिंग की वजह से बेहद मांग रहती है। यही नहीं कई अंचलों में धान की बालियां पकने को पूरी तरह से तैयार थीं , लेकिन अचानक हुई बारिश की वजह से हजारों एकड़ की फसल पूरी तरह से खराब हो गई है। इधर, भिंड, मुरैना और श्योपुर जिलों में मूंग और उड़द जैसी दलहनी फसलों को भी बहुत नुकसान पहुंचा है। यही नहीं बजारा जैसी फसल की फल्ली पर पानी लगने से उसका रंग बदल गया है। ग्वालियर -चंबल अंचल के तहत आने वाले ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना ,अशोकनगर, भिड, मुरैना, श्योपुर जिलों में बेमौसम बारिश से खरीफ की करीब 30 फीसदी फस्ल का प्रारंभिक रुप से नुकसान का अनुमान लगाया गया है। कृषि विभाग का आंकलन भी लगभग यही है। बाजरा की फसल का रंग बारिश से बदरंग हो गया है और फली भी फटने लगी है। कृषि अधिकारियों का मानना है कि धूप खिलने के बाद रंग और खराब होने के साथ बीज झरने लगेंगे। खरीफ सीजन की दलहनी फसल को ज्यादा नुकसान आंका जा रहा है। कृषक नेता अखिलेश यादव ने बताया कि बारिश से बाजरा की बालियां काली पड़ गईं हैं इसलिए न तो उनका पंजीयन हो सका और न ही समर्थन मूल्य पर खरीद हो रही है। कृषक संजीव बरूआ कहते हैं कि बाजरा की खरीद प्रभावित होने से किसान की दीपावली पर पानी फिर गया है।
हर दिन सैकड़ों किसान पूछ रहे फसल बचाव के तरीके
इस बार प्रदेश के अधिकांश इलाकों में बेमौसम हो रही बारिश के चलते किसानों को काफी परेशानी उठाना पड़ रही है। आए दिन आसमान में बादलों के डेरे और कभी तेज पानी तो कभी बूंदाबांदी से फसलों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। प्रदेश के कई इलाकों में कुछ दिनों से इसी तरह का मौसम बना हुआ है। मौसम का यह अंदाज खेतों में खड़ी फसल के लिए अब बहुत नुकसानदायक साबित हो रहा है। बदलते मौसम से परेशान किसानों ने अब अपनी फसलों को बचाने के लिए हेल्पलाइन नंबर का सहारा लिया जा रहा है। प्रदेश में हर दिन सैकड़ों किसानों के फोन हेल्पलाइन नंबर के वैज्ञानिकों के पास मदद के लिए पहुंच रहे हैं। इस दौरान किसानों द्वारा खेती की समस्या से निपटने का तरीका पूछा जा रहा है।
इस मामले में बताया जा रहा है कि बारिश का मौसम शुरू होने तक हर दिन 70-75 कॉल आते थे, जिसमें अधिकांश लोग नई फसल लगाने और बीज आदि की जानकारी ले रहे थे। गौरतलब है कि देश में अलग-अलग हिस्सों तकरीबन 13 किसान कॉल सेंटर चला रही है। जिनमें 113 से अधिक कृषि विशेषज्ञ कार्यरत है जो किसानों को उनकी खेती से जुड़ी समस्याओं का समाधान प्रदान करते है।
फसलों का सर्वे करने के निर्देश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बेमौसम बरसात से कई जगह हमारे किसान भाई-बहनों की फसलों को क्षति पहुंची है, लेकिन वे चिंता नहीं करें। प्रशासनिक अधिकारियों को तत्काल फसलों के नुकसान का सर्वे आरंभ करने के निर्देश दिए गए हैं। सर्वे कर, क्षति के आंकलन के आधार पर किसानों राहत राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल बीमा योजना का लाभ मिले, इसके निर्देश भी दिए गए हैं। किसान भाई चिंता न करें, राज्य सरकार उनके साथ है। क्षति की भरपाई की जाएगी। प्रभावित किसानों को संकट से उबारने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।