सरकार परवीक्षा अवधि में करेगी एक साल की कटौती

सरकार परवीक्षा
  • जीएडी ने शुरू की मप्र सिविल सेवा नियम 1961 में संशोधन करने की प्रक्रिया, स्थायीकरण व वेतन वृद्धि का मिलेगा फायदा

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश के उन कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की खबर है, जो बीते दो सालों में सरकारी नौकरी में आए हैं या फिर अब जिनका चयन सरकारी नौकरी में होने वाला है। यह राहत उन्हें मप्र सिविल सेवा नियम 1961 में संशोधन किए जाने की वजह से मिलनी जा रही है। इसकी वजह से कर्मचारियों को न केवल जल्द स्थाईकरण हो सकेगा, बल्कि उन्हें जल्द ही वेतन वृद्धि का भी लाभ मिलने लगेगा। बताया जा रहा है की सरकार द्वारा परिवीक्षा अवधि में एक साल की कमी लाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इसके लिए विचार-विमर्श की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।  वहीं कर्मचारी संगठन की मांग पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1961 में संशोधन करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। उल्लेखनीय है की प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि 3 वर्ष है।
 गौरतलब है कि 2019 से पहले सभी अधिकारी कर्मचारियों के लिए परिवीक्षा अवधि 2 साल तय की गई थी , लेकिन वर्ष 2019 में कमलनाथ की सरकार बनने के बाद दिसंबर में परिवीक्षा अवधि में एक साल की वृद्धि कर दी गई थी। यह वृद्धि तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए की गई थी। इसके तहत वेतनमान में प्रथम वर्ष में 70 प्रतिशत, द्वितीय में 80 व तृतीय वर्ष में 90 फीसदी देने का प्रावधान किया गया था। सरकार की इस नई व्यवस्था से कर्मचारियों में नाराजगी बनी हुई थी। इसके बाद एक बार फिर से अब राज्य कर्मचारी कल्याण समिति ने कर्मचारी संगठन की मांग के आधार पर सीएम शिवराज से आग्रह किया है। इस पर सामान्य प्रशासन विभाग ने तैयारी पूरी कर ली है। इस मामले में कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर का कहना है कि विभाग के स्तर पर नियम में संशोधन के लिए परीक्षण किया जा रहा है। वित्त विभाग की अनुमति के साथ ही इसे कैबिनेट में जल्द ही प्रस्तुत कर दिया जाएगा।
पहले दो साल की अवधि थी तय
2019 से पहले प्रदेश के सभी अधिकारी कर्मचारियों के लिए प्रोबेशन पीरियड 2 वर्ष निर्धारित किया गया था।  जिसमें कर्मचारियों को पूरे वेतन का लाभ दिया जाता था। कमलनाथ सरकार के दौरान प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1961 में संशोधन किया गया। जिसमें 1 वर्ष के लिए अवधि को बढ़ाने के साथ ही मूलभूत नियम में संशोधन किए गए संशोधन के तहत कर्मचारियों की नई भर्ती होने पर उन्हें परिवीक्षा अवधि के तीन सालों के लिए अलग-अलग वेतन देने का भी नियम बना कर उसके प्रावधान को लागू कर दिया गया। जिसका नुकसान कर्मचारियों को ही उठाना पड़ रहा था।
समिति का गठन
परिवीक्षा अवधि में विभागीय परीक्षाओं की व्यवस्था में भी संशोधन देखने को मिल सकता है। दरअसल इसके लिए प्रशासन अकादमी के महानिदेशक की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। इस नियम के तहत फिलहाल प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को 2 वर्ष में विभागीय परीक्षा पास करना अनिवार्य होता है। वही यह व्यवस्था प्रशासनिक सेवा में भी लागू रहती है। यदि अधिकारी कर्मचारी 2 वर्ष में विभागीय परीक्षा को पास नहीं कर पाते हैं तो उन्हें वेतन वृद्धि और स्थायी करण का लाभ नहीं दिया जाता है। परीक्षा व्यवस्था में आंशिक संशोधन की तैयारी की जा रही है। इस पर विचार विमर्श करने के बाद इसके प्रतिवेदन को सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपा जाएगा। उस पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

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