सीएसआर फंड से ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में मिलेगी सुविधाएं

सीएसआर फंड
  • पूर्व राष्ट्रपति के फॉर्मूले पर अब होगा ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों का विकास

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के सपने को साकार करने के लिए प्रदेश सरकार ने पहल की है। सरकार कलाम के प्रोवाइडिंग अर्बन अमेनिटीज रुलर (पीयूआरए) फॉर्मूले पर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों का विकास करेगी। इसके लिए सीएसआर फंड यानी स्थानीय संसाधनों एवं सोशल कापोर्रेट रेस्पांसब्लिटी फंड  का उपयोग कर स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। हालही में लोकसभा में एक लिखित सवाल का जवाब देते हुए कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने जानकारी दी है कि देश की अलग-अलग कंपनियों ने बीते साल सात वर्षों के दौरान अपनी सीएसआर की राशि का 60 प्रतिशत शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास से जुड़े कार्यकलापों पर खर्च किया है। आपको बता दें कि कंपनीज एक्ट, 2013 के अनुसार देश में एक विशेष तरह की प्रॉफिट मेकिंग कपनियों को अपने तीन वर्षों के औसत शुद्ध मुनाफे का दो प्रतिशत सीएसआर के तहत सामाजिक कार्यों पर खर्च करना पड़ता है। पूर्व राष्ट्रपति का कहना था कि सीएसआर जैसे फंड का उपयोग कर पीयूआरए फॉमूर्ले पर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों का विकास  किया जाए।
मप्र ने अपनाया कलाम का फॉर्मूला
अब राज्य सरकार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों शहरी क्षेत्रों की तर्ज पर सुविधाएं और संसाधन देने की कवायद शुरू करने जा रही है। इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति एपीजी कलाम के पीयूआरए फामूर्ले का उपयोग किया जाएगा। शाला स्तर पर स्थानीय संसाधनों एवं सोशल कॉपोर्रेट रेस्पांसब्लिटी फंड के माध्यम से स्कूलों में बेहतर संसाधनों का विकास किया जाएगा। जिन विद्यालयों में अच्छी लाइब्रेरी और खेल मैदान है उन विद्यालयों के निकट की लाइब्रेरी, खेल मैदान विहीन संस्थाओं के छात्र-छात्राओं को आपस में खेल एवं पुस्तकों का लाभ मिल सके इस हेतु कार्यवाही की जाएगी। शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए प्रतिमाह शालाओं में की जाने वाली एसएमडीसी की बैठकों में पालकों से चर्चा कर उनका उन्मुखीकरण किया जाएगा। दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित संसाधन विहीन शासकीय विद्यालयों का चिन्हांकन कर उनकी बड़े स्तर पर चलने वाली अशासकीय शालाओं से मेपिंग की जाएगी। यह अशासकीय शालाएं ऐसी दूरस्थ स्थित शासकीय शालाओं को विकसित करने की दृष्टि से अपनी सामाजिक जिम्मेदारी मानते हुए गोद ले सकेंगी। अशासकीय शालाओं और विद्यालयों के बीच कला एवं खेलकूद गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
शिक्षक करेंगे स्कूल भ्रमण
योजना के तहत  शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों के शिक्षकों का परस्पर एक-दूसरे की शालाओं में शैक्षणिक भ्रमण भी कराया जाएगा ताकि ग्रामीण अंचलों में भी शहरों की तरह शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध हो सके। शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यो के संदर्भ में लघु स्तर पर भी नवाचार, छोटे-छोटे सुधार तथा लघु परियोजनााओं को लिये जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ऐसे सफल प्रयोगों को दूसरे स्थानों पर दोहराया जा सकेगा।
जहां एटीएम लैब्स वहां हेकेथॉन का आयोजन
उच्चतर माध्यमिक स्तर की शालाओं में विशेष कर जहां एटीएम लेब्स है वहां हेकेथान का आयोजन किया जाएगा जिससे कि विभिन्न विभागों तथा आम नागरिकों द्वारा दिन-प्रतिदिन के जीवन में आ रही समस्याओं का समाधान निकालने के लिए विद्यार्थियों को अवसर दिया जा सके।  इस प्रकार के समाधान को वृहद रूप देकर राज्य में अपनाया जाएगा।  शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यो के संदर्भ में लघु स्तर पर भी नवाचार, छोटे-छोटे सुधार तथा लघु परियोजनााओं को लिये जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ऐसे सफल प्रयोगों को दूसरे स्थानों पर दोहराया जा सकेगा।

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