
हरीश फतेह चंदानी/ / बिच्छू डॉट कॉम।
जांच की आंच
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में हमेशा किसी न किसी कारण से चर्चा में रहने वाली एक महिला आईएएस अधिकारी एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार चर्चा उनके तबादले को लेकर हो रही है। दरअसल, मैडम जिस विभाग से बदली गई हैं, उस विभाग में कार्य कर चुके एक पूर्व अधिकारी द्वारा की गई फर्जी नियुक्ति की जांच कर रही थीं। बताया जाता है कि जांच में पूर्व अधिकारी द्वारा फर्जी तरीके से नियुक्ति देने और मनमाने तरीके से वेतन बढ़ाने की बात सामने आई है। साथ ही मामले में अपराधिक मामला दर्ज करने की अनुशंसा कर दी। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में मैडम पर दबाव बनाया गया, लेकिन उन्होंने वरिष्ठों की भी नहीं सुनी। जिसके बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही मैडम ने अपने एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा प्रताड़ित किए जाने के मामले को महिला अधिकारियों के वॉट्सएप ग्रुप में लिखा था। बताया जाता है कि इसके पीछे भी उपरोक्त जांच ही थी, जिसकी आंच में अब मैडम की विभाग से रवानगी हो गई है।
नौकरी से साहब का मन भर गया
प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, नौकरशाहों का नौकरी से मन उचटने लगा है। अभी कुछ दिन पहले ही एक आईएएस अधिकारी ने वीआरएस लिया, अब एक और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अनुभवी अधिकारी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की है। वह अब शासकीय सेवा में नहीं रहना चाहते। 2009 बैच के उक्त आईएएस अधिकारी के पास 13 वर्ष का अनुभव है। साहब जेएनयू के छात्र रहे हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का का उपयोग करने के पक्षधर भी रहे हैं। इस कारण उक्त आईएएस अधिकारी और सत्तारूढ़ पार्टी के बीच वैचारिक मतभेद लगातार सामने आते रहते हैं। एक आदिवासी जिले का कलेक्टर रहते हुए साहब की अभिव्यक्ति का काफी विरोध हुआ था। प्रशासनिक हलकों में साहब को देश की सबसे पुरानी पार्टी का समर्थन करने वाला ब्यूरोक्रेट माना जाता है। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में साहब अपनी नई पारी शुरू करने के मूड में हैं। इसलिए वह चाहते हैं कि जल्द से जल्द उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मिल जाए। बताया जाता है कि साहब के साथ ही एक महिला प्रमोटी आईएएस भी वीआरएस लेना चाहती हैं। इनके अलावा कुछ और नौकरशाह वीआरएस लेने की फिराक में हैं।
जाति के जंजाल में फंसी मैडम
प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के नाम पर नौकरी करने की सैकड़ों शिकायतें दर्ज हैं। ताजे मामले में राज्य पुलिस सेवा की एक दबंग अधिकारी फंसती नजर आ रही हैं। दरअसल, मैडम के खिलाफ उनके फूफाजी ने ही शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में कहा गया है कि राजधानी के पड़ोसी जिले में एसडीओपी के पद पर पदस्थ मैडम ब्राह्मण जाति की हैं, लेकिन उन्होंने एसटी का फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी हासिल की है। इस मामले में शिकायतकर्ता के बयान भी पुलिस ने लिए हैं। आरोप लगाए गए हैं कि मैडम ने अपने सर्टिफिकेट में पिता का नाम भी बदल दिया है। इनका नाम मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा चयन की एसटी की सूची में है। शिकायतकर्ता का कहना है कि वह उनकी पत्नी के भाई की बेटी हैं। जब वह सभी ब्राह्मण हैं, तो मैडम एसटी कैसे हो सकती हैं। उन्होंने इस मामले में एसडीएम द्वारा 28 अक्टूबर 2005 को जारी किया गया एसटी का जाति प्रमाण पत्र लगाया है। यह उन्होंने प्रशासन को धोखे में रखकर बनवाया है और एमपीपीएससी में इसी के बलबूते चयनित हुई हैं।
ये जोड़ी दमदार
प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों एक आईएएस और एक आईपीएस अधिकारी की जोड़ी की चर्चा खूब हो रही है। दरअसल, दोनों अधिकारी मालवा-निमाड़ के एक जिले में कलेक्टर और एसपी के पद पर पदस्थ हैं। कलेक्टर साहब 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं तो एसपी साहब 1995 बैच के प्रमोटी आईपीएस अधिकारी हैं। बताया जाता है कि दंगा फसाद के बाद जबसे इस जोड़ी ने जिले की कमान संभाली है, यहां की कानून व्यवस्था पटरी पर तो है ही साथ ही विकास की योजनाएं भी फर्राटें भर रही हैं। सूत्रों का कहना है कि दोनों अधिकारी सुबह से ही जिले के विभिन्न क्षेत्रों के दौरे पर निकल जाते हैं। कभी योजना बनाकर अलग-अलग तो कभी एक साथ। बताया जाता है कि प्रदेश में इनका जिला इस समय समन्वय बनाकर काम करने में सबसे आगे है। इस कारण मुख्यमंत्री की गुडबुक में भी इसे शामिल किया गया है। सूत्रों का कहना है कि प्रशासनिक मुखिया भी अन्य जिलों के अफसरों को इस जोड़ी से प्रेरणा लेने की बात कह चुके हैं।
क्रीम पोस्ट बचेगी या जाएगी
गांवों की आचार संहिता हटने के साथ ही अब प्रशासनिक बदलाव की बयार बहने लगी है। सरकार डेढ़ दर्जन जिलों के कलेक्टर और इतने ही एसपी को बदलने की तैयारी कर रही है। ऐसे में अपनी मनपसंद जगह पाने के लिए अफसर अभी से जुगाड़ लगाने लगे हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या पहले से क्रीम पोस्ट पर तैनात मंत्रियों और नेताओं के नाते-रिश्तेदारों की विदाई होगी या उन्हें बदले में कोई और बड़ी जगह दी जाएगी। दरअसल, प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में यह चर्चा इन दिनों जोरों पर है कि तबादले शुरू होते ही मंत्री और नेता अपने-अपने नाते-रिश्तेदारों के लिए अभी से क्रीम पोस्ट की जुगाड़ कर चुके हैं। गौरतलब है कि प्रदेश के अधिकांश बड़े विभागों और बड़े जिलों में माननीयों के करीबी काबिज हैं। ऐसे में आगामी दिनों में होने वाले प्रशासनिक तबादले देखने लायक होंगे। अब देखना यह है कि कौन मंत्री और कौन नेता अपने नाते-रिश्तेदार को मालदार विभाग या मालदार जिला पुन: दिलाने में कामयाब होता है। वहीं अन्य अधिकारी भी क्रीम पोस्ट के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। किसकी दाल गलेगी समय बताएगा।