
-सबसे कम बेरोजगारी वाले राज्यों में मप्र चौथे नंबर पर
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में सरकार की नीतियों के कारण युवाओं को लगातार रोजगार मिल रहा है। खासकर ग्रेजुएट युवाओं को प्रदेश में सबसे अधिक नौकरी मिली है। यही कारण है की सबसे कम बेरोजगारी वाले राज्यों में मप्र चौथे नंबर पर है। वहीं ग्रेजुएट युवाओं को नौकरी देने के मामले में मप्र टॉप 5 राज्यों में शामिल है। गौरतलब है की मप्र सरकार प्रदेश में लगातार रोजगार मेलों का आयोजन कर रही है, जिसमें युवाओं को रोजगार दिया जा रहा है।
प्रदेश सरकार की रोजगारपरक योजनाओं का ही असर है की जून में सबसे कम बेरोजगारी दर मप्र की रही। जून में मप्र की बेरोजगारी दर 0.5 प्रतिशत रही। देश में भले ही कोरोना का असर कम होने से बेरोजगारी दर में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन पढ़े-लिखे लोगों के लिए नौकरी के लाले पड़ गए हैं। कोरोना महामारी ने ग्रेजुएट युवाओं के लिए बेरोजगारी की समस्या को और बढ़ा दिया है। वर्ष 2017 में जहां देश के ग्रेजुएट युवाओं की बेरोजगारी दर 11 प्रतिशत के आसपास थी, वह 2022 में बढकर 17.8 प्रतिशत हो गई है। यानी अभी देश के 100 स्नातकों में से 18 के पास कोई नौकरी नहीं है। जून 2022 में देश में बेरोजगारी की दर 7.8 प्रतिशत रही।
ग्रेजुएट युवाओं को नौकरी देने के मामले में टॉप 5 में मप्र
मध्यप्रदेश ग्रेजुएट युवाओं को नौकरी देने के मामले में टॉप 5 राज्यों में शामिल है। राजस्थान के बाद सबसे अधिक बेरोजगार स्नातक छात्र बिहार, आंध्रप्रदेश, हरियाणा और केरल में हैं। इन राज्यों में ग्रेजुएट युवाओं की बेरोजगारी दर 33 प्रतिशत से भी अधिक है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, बेरोजगारी से सबसे ज्यादा परेशान राजस्थान के युवा हैं। राजस्थान में ग्रेजुएट युवाओं की बेरोजगारी दर 54 प्रतिशत से भी अधिक है। यानी प्रदेश के 100 में से 54 ग्रेजुएट युवाओं के पास कोई नौकरी नहीं है। राजस्थान में ग्रेजुएट युवाओं के बीच बेरोजगारी की दर वर्ष 2020 तक 22 प्रतिशत से कम थी जो अब 54.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में कोरोना के कारण प्रवासी मजदूरों के लौटने के कारण बेरोजगारी बढ़ी है। राजस्थान के 11 प्रतिशत प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के कारण राज्य में लौट आए और फिर वापस नहीं गए।
इस महीने मिल रहे रोजगार के अधिक मौके
जून में देश में रोजगार दर में गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन अब जुलाई में रोजगार दर बढ़ती दिख रही है। अर्थात इस महीने में लोगों को रोजगार के अधिक मौके मिल रहे हैं। आर्थिक थिंक-टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। सीएमआईई ने जून 2022 में रोजगार दर में भारी गिरावट के बाद चालू महीने में इसमें सुधार का अनुमान जताया है। सीएमआईई के मुताबिक, 12 जुलाई के बाद पिछले तीन दिनों में बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट का रुख देखा जा रहा है। गत 12 जुलाई को बेरोजगारी दर 7.33 फीसदी, 13 जुलाई को 7.46 फीसदी और 14 जुलाई को 7.29 फीसदी आंकी गई।
जून में 7.80 फीसदी थी बेरोजगारी दर
इससे पहले जून 2022 में अखिल भारतीय स्तर पर बेरोजगारी दर 7.80 फीसदी थी। बेरोजगारी का यह आंकड़ा शहरी क्षेत्र में 7.30 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र में 8.03 फीसदी रहा। इस आंकड़े पर प्रतिक्रिया देते हुए अर्थशास्त्री अभिरूप सरकार ने कहा कि यह मौसमी बदलाव या एजेंसी द्वारा नमूना संग्रह में त्रुटियों का नतीजा भी हो सकता है। सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार मई के महीने में अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 7.12 फीसदी रही थी। सीएमआईई ने कहा कि भारत के जून 2022 के श्रम आंकड़े बेहद निराशाजनक रहे हैं। रोजगार मई 2022 में 40.4 करोड़ से घटकर जून 2022 में 39.0 करोड़ रह गया था। एजेंसी ने कहा कि इससे पता चलता है कि जून में श्रम बाजार सिकुड़ गया था। एजेंसी ने कहा कि श्रम भागीदारी दर जून में अपने निम्नतम स्तर 38.8 फीसदी पर पहुंच गई, जो उससे पहले के दो महीनों में 40 फीसदी पर रही थी। सीएमआईई के मुताबिक, जून 2022 में वेतनभोगी नौकरियों की संख्या में करीब 25 लाख की गिरावट दर्ज की गई। इस तरह वेतनभोगी तबके के लिए हालात प्रतिकूल होते हुए नजर आ रहे हैं। उसके लिए राहत तभी हो सकती है, जब अर्थव्यवस्था अधिक तेज गति से बढ़े, ताकि ज्यादा रोजगार अवसर पैदा हो सकें। अगर राज्यवार बेरोजगारी आंकड़ों पर गौर करें, तो हरियाणा 30.6 फीसदी बेरोजगारी के साथ सबसे आगे रहा। जबकि पश्चिम बंगाल 5.2 फीसदी के साथ सबसे कम बेरोजगारी वाला राज्य रहा।