प्राइवेट कॉलेज संचालकों की करतूत से एक लाख विद्यार्थी सांसत में

प्राइवेट कॉलेज संचालकों
  • फर्जीवाड़ा कर रहे 200 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द, विद्यार्थियों का भविष्य अनिश्चित

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज संचालकों की करतूत के चलते यह कोर्स कर रहे करीब एक लाख विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में आ गया है। राज्य नर्सिंग काउंसिल ने फर्जीवाड़ा कर संचालित किये जा रहे लगभग 200 कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है। वर्ष 2021-22 से यह मान्यता छीनी गयी है और ऐसा तब हुआ है, जब यह सत्र शुरू हुए करीब एक साल का समय हो चुका है। चौंकाने वाली बात यह कि इस संबंध में काउंसिल द्वारा सूची अप्रैल माह की है, लेकिन उसे अब तक जारी नहीं किया गया है।
हालांकि कॉलेजों की यह करतूत कोरोना के समय ही सामने आ गयी थी, लेकिन उसके खिलाफ अब जाकर सख्त निर्णय लिया गया है। मान्यता से वंचित किये गए ये वह कॉलेज हैं, जो विद्यार्थियों की क्लिनिकल ट्रेनिंग के नाम पर धोखाधड़ी करते चले आ रहे हैं। इस ट्रेनिंग के लिए कॉलेज का अस्पताल होना जरूरी है और कॉलेज संचालक कागज पर ही ऐसे अस्पताल संचालित कर रहे थे। कोरोना के समय जब अस्पतालों में बिस्तर कम पड़े, तब मरीजों को इन प्राइवेट कॉलेजों के अस्पताल में भेजने का निर्णय लिया गया।  उसी समय सामने आया था कि करीब 200 प्राइवेट कॉलेजों के पास अस्पताल ही नहीं था। बताया गया है कि इसके बाद राज्य स्तर पर मामले की जांच कराई गयी और उसमें अस्पतालों के नाम पर चल रहा यह बड़ा घोटाला सामने आया है।
फिलहाल यह नहीं पता चल सका है कि मान्यता से अलग किए गए कॉलेजों के विद्यार्थियों को किस तरह और कहां एडजस्ट किया जाएगा। अलबत्ता इस निर्णय के खिलाफ प्राइवेट कॉलेज वाले  लामबंद होने लगे हैं। नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष नवीन सैनी ने कहा कि नर्सिंग काउंसिल का निर्णय गलत है, इसके खिलाफ एसोसिएशन सरकार  से शिकायत करेगी। उन्होंने कहा कि  पिछले सत्र की मान्यता प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद मान्यता निरस्त होने की सूचना दी गयी है। इधर मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त निशांत बरवड़े ने कहा है कि मान्यता संबंधी सूची सार्वजनिक न किए जाने के कारणों की जांच की जाएगी।  बरवड़े ने कहा कि सरकार इन कॉलेजों के विद्यार्थियों के भविष्य की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगी।
हाईकोर्ट से लग चुका है पहले झटका
इसी साल जनवरी में ग्वालियर-चंबल अंचल के 271 नर्सिंग कॉलेजों को सुप्रीम कोर्ट के बाद हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच से झटका लग चुका है। उस समय हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े को लेकर 10 सदस्यीय कमेटी के गठन का आदेश दिया है। साथ ही कमेटी को अपनी रिपोर्ट 2 महीने में पेश करने के निर्देश दिए थे। दरअसल प्राइवेट नर्सिंग इंस्टीट्यूट एसोसिएशन आॅल इंडिया ने याचिका पहले सु्प्रीम कोर्ट लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच को ट्रांसफर कर दिया था। दरअसल हरिओम नाम के व्यक्ति ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करते हुए नर्सिंग कॉलेजों को दी गई मान्यता पर सवाल खड़े किए थे। इसमें बताया गया कि नियमानुसार हर नर्सिंग कॉलेज के पास स्वयं का 100 बिस्तर का अस्पताल नहीं है। यहां तक की अस्पतालों में प्रशिक्षित स्टाफ व डॉक्टर भी नहीं हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने अंचल के सभी 6 जिलों में संचालित नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण के लिए आयोग बनाने का आदेश दिया। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिर से मामले को हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच को भेज दिया था। जिसके बाद आज इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं।

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