
- नहीं सुलझ पा रहा है बड़े नगरों का मामला
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा के लिए नगरीय निकाय चुनाव में महापौर पद के प्रत्याशी चुनने में बेहद कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसकी वजह है पार्टी के बड़े नेताओं की अलग-अलग पंसद होना। हालत यह है कि कई दिनों से जारी बैठकों के बाद जैसे -तैसे 11 नामों की सूची तैयार की गई , तो उसे भी जारी करने से ठीक पहले रोकना पड़ गया। उधर पार्टी के लिए अब भी प्रदेश के चारों महानगर में मुश्किल कम नहीं हो रही है। दरअसल इसकी बड़ी वजह है पार्टी के बड़े शक्ति केन्द्रों में टकराव होना। खास बात यह है कि इन नामों का चयन करने के लिए भाजपा के सभी दिग्गज नेताओं की बैठकें बीते दो दिनों से अनवरत जारी हैं। यही नहीं इस पूरी कवायद में चारों महानगर और सागर को छोड़कर 11 नगर निगमों के लिए नाम तय कर लिए गए थे , लेकिन एनवक्त पर उनमें भी पचड़ा ऐसा फंसा की सूची जारी करने की तैयारियां रोकनी पड़ी। उधर कांग्रेस में रतलाम छोड़कर बाकी सभी जगह प्रत्याशियों के नाम घोषित होने के बाद प्रचार की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इधर भाजपा महापौर पद के उम्मीदवारों के नाम तय नहीं कर पा रही है , जबकि कांग्रेस ने अपने वार्ड प्रत्याशियों के नाम तय करने की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है। माना जा रहा है कि एक दो दिन में कांग्रेस अपने वार्ड प्रत्याशियों की सुची जारी कर देगी। दरअसल भाजपा में मेयर के लिए जिताऊ उम्मीदवार की तलाश और नेताओं के आपसी टकराव से समीकरण पल-पल पर बदल रहे हैं। भोपाल में विधायक कृष्णा गौर का नाम पहले नंबर पर है, तो विधायक मालती राय का नाम लगातार आगे बढ़ा रहे हैैं। वहीं उपमा राय के नाम पर भी विचार चल रहा है। इंदौर में विधायक रमेश मेंदोला के साथ गौरव रणदिवे, पुष्यमित्र शर्मा और डॉक्टर निशांत के बीच पेंच फंसा हुआ है, हालांकि मेंदोला चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं। जबलपुर में भी अभिलाष पांडे के साथ कमलेश अग्रवाल और डॉक्टर जितेन्द्र जामदार के बीच रस्साकसी जारी है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह कमलेश अग्रवाल के पक्ष में हैं , तो वहीं संघ की पसंद जामदार बने हुए हैं , जबकि अभिलाष पांडे प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की पसंद बताए जाते हैं। ग्वालियर में सुमन शर्मा, समीक्षा गुप्ता और माया सिंह के बीच मुकाबला बना हुआ है। सुमन गुप्ता पार्टी में कई पदों पर रही है। उनके ससुर धर्मवीर शर्मा भी मेयर रह चुक हैं। वहीं समीक्षा पहले भी महापौर रह चुकी हैं। सूत्रों की मानें तो पवैया समेत कुछ नेता सुमन शर्मा के पक्ष में हैं, तो सिंधिया खेमे के कुछ नेता समीक्षा गुप्ता के साथ हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर माया सिंह के पक्ष में बताए जाते हैं। सागर में तीन मंत्रियों गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह और गोविंद राजपूत में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है जिसकी वजह से नाम तय नहीं हो पा रहा है। भाजपा यहां पर प्रतिभा चौबे, प्रतिभा तिवारी और नितिशा जैन के बीच अटकी हुई है। नितिशा के पति नेवी जैन बीता विधानसभा चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी रहते हार चुके हैं और बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्हें श्रीमंत का समर्थक माना जाता है। हारने के बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए थे। वे सिंधिया समर्थक माने जाते हैं। इस बीच श्रीमंत ने भोपाल में पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बाद में प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात कर अपनी पसंद से अवगत करा दिया है।
पार्षद के लिए कांग्रेस की गाइड लाइन तय
पार्टी ने तय किया कि वार्ड से बाहर के मतदाता को टिकट नहीं दिया जाएगा। इस कारण शहर कांग्रेस को कई दावेदारों के नाम सूची से हटाना पड़ेंगे। बैठक में तय किया गया कि नए क्रायटेरिया के हिसाब से विधायक, पूर्व प्रत्याशी, पूर्व महापौर आदि वार्ड के मतदाता का नाम ही दावेदार के रूप में सूची में शामिल करके चुनाव प्रभारी को सौंपें। उन्हें सोमवार को दावेदारों के नामों की सूची सौंपने को कहा गया है। यह सूची चुनाव प्रभारी तरुण भनोट और लखन घनघोरिया को सौंपेंगे। इस पैनल की सूची में अधिकतम तीन नाम रखने को कहा गया है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस कमेटी 16 जून को अपनी सूची कर सकती है। गौरतलब है कि भाजपा से बाजी मारकर अपनी रणनीति से भाजपा को अचरज में डाल दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने गाइडलाइन जारी की है की निकाय चुनाव में कोई भी नेता अपने वार्ड से ही पार्षद का चुनाव लड़ेगा, पूर्व पार्षद और कार्यकर्ता किसी दूसरे के वार्ड में सेंध नहीं लगाएगा। इस गाइडलाइन के मायने देखें तो यह भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी। संगठन का मानना है कि कांग्रेस के महापौर प्रत्याशियों के लिए भी लड़ाई आसान होगी। पार्षद पद के प्रत्याशी अगर खुद के क्षेत्र से होंगे तो वे अपने लिए तो काम करेंगे ही, महापौर पद के प्रत्याशी की जीत की राह को भी आसान बनाएंगे। कांग्रेस इस बात को समझ रही थी कि अगर पार्षद के प्रत्याशियों ने वार्ड बदला तो न सिर्फ इससे गुटबाजी को हवा मिलेगी, बल्कि क्षेत्र में नेताओं में कटुता भी बढ़ेगी। चूंकि, निकाय चुनाव को 2023 का सेमीफाइनल माना जा रहा है, इसलिए कमलनाथ भाजपा को कोई मौका नहीं देना चाहते, जिससे उसे कांग्रेस को घेरने का मौका मिले और जनता के बीच गलत संदेश जाए।
2018 के फार्मूले पर अमल
नगर निकाय चुनावों में जीत की तैयारी में लगी कांग्रेस अपने पुराने फॉमूर्ले पर उतरी है। जिस तरह 2018 में पार्टी ने सर्वे करवा कर उम्मीदवारों का चयन किया था ठीक वहीं फामूर्ला कांग्रेस ने इस बार निकाय चुनाव में आजमाया है। महापौर पद के लिए ऐसे चेहरों को मैदान में उतरा है, जो न सिर्फ अपने क्षेत्र में ताकतवर हैं, बल्कि कार्यकर्ताओं के बीच से हैं। इसकी वजह है अब तक के निकाय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी चयन के आधार पर जीत दर्ज करती आई है। कांग्रेस अपने सटीक प्रत्याशी चयन न हो पाने की वजह से निगम गंवाती रही है। लेकिन इस बार हालत बदले लुए नजर आ रहे हैं।
यह नाम बताए जा रहे हैं तय
भाजपा सूत्रों की मानें तो अब तक जो नाम लगभग तय कर लिए गए हैं उनमें सतना से योगेश ताम्रकार ,उज्जैन से मुकेश टेंटवाल, रतलाम से अशोक पोरवाल, छिंदवाड़ा से जितेन्द्र शाह व सिंगरौली से वीरेन्द्र गोयल , बुरहानपुर में महापौर प्रत्याशी माधुरी पटेल का नाम शामिल हैं।
दिल्ली में हो सकती है चर्चा
मेयर प्रत्याशियों के जिन नामों पर पेंच फंसा है, उन पर चर्चा आज सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से कर सकते हैं। सीएम का गृह मंत्री अमित शाह के साथ कई केंद्रीय मंत्रियों से मिलने का कार्यक्रम है। सिंधिया, तोमर और शिवप्रकाश भी दिल्ली में है। माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान इन नेताओं से चर्चा कर एक नाम तय कर सकता है।