- प्रणव बजाज

राहुल व राकेश के बीच नहीं थम रहा विवाद
भाजपा के दो विधायकों के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले में बीते दो दिन से दोनों विधायक सुर्खियों में बने हुए हैं। इनमें एक विधायक है टीकमगढ़ के राकेश गिरी जबकि दूसरे खरगापुर विधायक राहुल लोधी हैं। राहुल भाजपा की फायरब्रांड नेत्री और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे हैं। इस विवाद की वजह बनी हैं, सरकारी एबुलेंस का लोकापर्ण। दरअसल सरकारी एंबुलेंस का लोकार्पण स्वास्थ्य विभाग के अफसरों द्वारा पार्टी के जिलाध्यक्ष की मौजूदगी में विधायक राहुल सिंह से करा लिया गया था, जिसकी वजह से गिरी न केवल बेहद नाराज हुए बल्कि उनके द्वारा एंबुलेंस को द्वारा से रवाना किया गया। इसके बाद राहुल व गिरी के बीच सोशल मीडिया पर एक दूसरे के खिलाफ पोस्ट जारी की गई है। देखना तो यह है कि इस मामले में का पटाक्षेप कैसे होता है।
सपाक्स ने बदला नाम, अब किया स्पीक
सपाक्स सवर्ण, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग अधिकारी कर्मचारी समिति ने अपना नाम बदलकर सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संगठन (स्पीक) कर लिया है। ताकि सपाक्स के नाम का दुरुपयोग न किया जा सके। यह कदम सपाक्स पार्टी के बेजा फायदा को रोकने के लिए उठाया गया है। इसके साथ ही स्पीक ने तय किया है कि प्रमोशन में आरक्षण और सरकार द्वारा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करके यथास्थिति लागू करवाने के खिलाफ 12 जून को काला दिवस मनाया जाएगा, साथ ही विधानसभा चुनाव 2023 तक प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान तय किया गया कि पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करवाने के लिए प्रदेशभर में आंदोलन शुरू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ पदोन्नति नियम-2002 के तहत पदोन्नति पाने वालों के लिए यथास्थिति का आदेश दिया है, लेकिन सरकार जानबूझकर सारे कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रमोशन रोके हुए है। इसके साथ ही आरक्षित वर्गों के लिए क्रीमीलेयर लागू करने और पदोन्नति के लिए वास्तविक आवश्यक, योग्यता आदि के निर्देश भी दिए हैं। बावजूद प्रदेश सरकार सवर्ण, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्गों को उनका जायज हक नहीं दे रही है, बल्कि साजिश करके पदोन्नति को रोका गया है।
धर्म बदलने वालों के आरक्षण के खिलाफ डामोर
झाबुआ से भाजपा सांसद गुमान सिंह डामोर के एक बयान के बाद सियासी बवाल मच गया है। यह उनका बयान सोशल मीडिया पर वीडियो के रुप में वायरल हो रहा है। इसमें वे कह रहे हैं कि धर्म परिवर्तन करने वालों को सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। ऐसे लोगों का आरक्षण समाप्त कराने के लिए प्रयास होने चाहिए। इसके लिए संसद के दोनों सदनों में विधेयक पारित कराने होंगे। इसके लिए वातावरण बनाया जा रहा है। वे वीडियो में कह रहे हैं कि मप्र के 22 जिले आदिवासी बहुल हैं। वे कहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 342 में अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने के बारे में उल्लेख है, लेकिन अन्य धर्म अपनाने वालों के बारे में कुछ भी नहीं लिखा है। हमारी मांग है कि अन्य धर्मों में परिवर्तित होने वाले एसटी के लोगों को आरक्षण के लाभ (सरकारी नौकरियों और प्रवेश में) से वंचित किया जाना चाहिए।
मंत्री और महिला अफसरों का एक है दर्द
सूबे के विभाग के मुखिया से न केवल उनके विभाग की आला महिला अफसर परेशान हैं , बल्कि विभाग के मंत्री तक बेहद परेशान हैं। खास बात यह है कि इस अफसर को लेकर मंत्री सरकार के मुखिया से भी शिकायत कर चुके हैं , लेकिन फिर भी अफसर अपनी कार्यशैली बदलने को तैयार नहीं हैं। दरअसल जिस विभाग की बात की जा रही है उसमें तीन सीधी भर्ती की जूनियर आईएएस महिला अफसर भी पदस्थ हैं। यह तीनों की विभाग के प्रमुख सचिव की कार्यशैली की वजह से बेहद परेशान है। वे जब इस मामले की शिकायत लेकर विभागीय मंत्री के पास जाती है , तो मंत्री उनकी परेशानी दूर करने की जगह खुद भी उनसे परेशान होने का दुखड़ा सुनाना शुरू कर देते हैं। दरअसल बताया जाता है कि यह प्रमुख सचिव सूबे के बड़े साहब के बेहद खास हैं, जिसकी वजह से जूनियर होने के बाद उन्हें एक बड़े विभाग का मुखिया बनाया गया है।