युवा विज्ञान के क्षेत्र में भारत को विश्व गुरु बनाने की ओर अग्रसर : मंत्री सखलेचा

मंत्री सखलेचा

भोपाल। आत्म-निर्भर भारत बनाने में युवाओं का बहुत बढ़ा योगदान है और अब हमारे युवा विज्ञान के क्षेत्र में भारत को पुन: विश्व गुरू बनाने की ओर अग्रसर हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा शुक्रवार को विदिशा के एसएटीआई कॉलेज में शुरू हुई 38वीं मप्र युवा वैज्ञानिक काँग्रेस एवं साइंस फेस्टिवल के शुभारंभ पर छात्रों को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम, म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और सम्राट अशोक टेक्निकल इंस्टीट्टूयट द्वारा किया गया। मंत्री श्री सखलेचा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी विज्ञान में आने वाली पीढ़ी की रूचि बढ़ाने के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा है कि देश के युवाओं की रूचि विज्ञान में बढ़े, प्रत्येक गाँव और शहर में स्टार्टअप और उद्योग शुरू हों। विश्व पटल पर भारत विकसित और आत्म-निर्भर देश के रूप में उभरे। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि यहाँ शोध-पत्र पढ़ने वाले आगे बढ़ेंगे और सुनने वालों के मन में भी विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ेगी।

मंत्री श्री सखलेचा ने कहा कि छात्रों की जिज्ञासा बनी रहे और उनका समाधान हो ऐसे प्रयास विश्वविद्यालय और विज्ञान काउंसिल कर रहे हैं। भारत सदियों पहले भी विज्ञान में उन्नत था और विश्व गुरू की भूमिका में था। अब फिर देश के युवा जाग गए हैं और ग्रामीण विकास, ऊर्जा, स्वास्थ्य, उद्योग के क्षेत्र में रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2 माह पूर्व हमनें विज्ञान महोत्सव मनाया, जिसमें 200 से अधिक स्टार्टअप और 40 देश के रिसर्चर्स आए और छात्रों को नए आयडियाज प्राप्त हुए। अब जरूरत है कि युवा विज्ञान में अनुसंधान करें और आत्म-निर्भर एवं विकसित भारत बनाने में भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार विज्ञान को लगातार बढ़ावा दे रही है।

अतिथि के रूप में पहुँचे आरजीपीवी भोपाल के कुलपति डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि साइंस एक ऐसी विधा है, जो सुरक्षित भविष्य दे सकती है। महाराजा जीवाजीराव एजुकेशन सोसायटी के सचिव डॉ लक्ष्मीकांत मरखेडकर ने म.प्र. युवा वैज्ञानिक काँग्रेस एवं साइंस फेस्टिवल कार्यक्रम में देशभर से आए युवा वैज्ञानिकों से कहा कि बेमौसम बारिश और ओला-वृष्टि से देशभर में फसलों को काफी नुकसान होता है इसलिए यंग साइंटिस्ट को इस पर भी रिसर्च करना चाहिए और मौसम का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेना चाहिए।

मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने कहा कि आज हमें समाज और देश की आवश्यकता के हिसाब से रिसर्च करना है। नए-नए क्षेत्रों में रिसर्च कर कैसे कदम बढ़ा सकते हैं इस पर भी विचार करना चाहिये। एसएटीआई संचालक डॉ. आर.के. पंडित ने कहा कि विज्ञान की चर्चा के लिए एसएटीआई के द्वार हमेशा खुले हुए हैं। उन्होंने सभी शोधकर्ताओं से आहवान किया कि वे अपने शोध को यहाँ प्रस्तुत करें और नए आइडियाज लेकर जाए और फिर पुन: काम करें। आईएनएसए के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. अरविंद रानडे, म.प्र. एटॉमिक पॉवर प्रोजेक्ट के एडीशनल चीफ इंजीनियर डॉ. कमलेश चंद्र शर्मा, एनपीसीआईएल के श्री के.सी. शर्मा, मध्यप्रदेश काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नालॉजी भोपाल के समन्वयक डॉ. आर.एस. भारद्वाज एवं सयोजक डॉ. मनोज  राठौर आदि ने भी संबोधित किया। शोधार्थियों की एब्सट्रेक्ट पुस्तिका का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। कॉलेज में एसएटीआई कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न समस्याओं के निराकरण के लिए करीब 2 दर्जन से अधिक विज्ञान मॉडल प्रदर्शित किए गए। काँग्रेस में देशभर से आए विद्धानों ने अपने शोध-पत्रों का वाचन किया। वहीं कॉलेज में विज्ञान वर्कशॉप हुआ। विद्यार्थियों की विज्ञान संबंधी जिज्ञासाओं के समाधान भी किए गए। 

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