
नई दिल्ली। पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह ने मेजर ध्यानचंद खेल रत्न के लिए चुने जाने पर कहा, यह उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक है, लेकिन वह अभी संतुष्ट नहीं हुए हैं और अभी काफी कुछ आना बाकी है। हरमनप्रीत का कहना है कि उनका अगला लक्ष्य विश्वकप का पदक जीतना है। सबसे बड़ा सपना ओलंपिक और विश्वकप का स्वर्ण जीतना है। हरमनप्रीत यह भी कहते हैं कि ये पुरस्कार और उपलब्धियां तो उनकी हैं, लेकिन इनके पीछे उनके टीम साथियों का हाथ है। इनके बिना कुछ भी संभव नहीं है। वर्ष 2014 से अंतरराष्ट्रीय करिअर की शुरुआत करने वाले हरमनप्रीत कहते हैं कि हमने अब तक जो कुछ भी हासिल किया है, एक टीम के रूप में हासिल किया है। अगले वर्ष बेल्जियम में होने वाले विश्वकप में पदक जीतना उन्होंने अगला लक्ष्य रखा है। इसके बाद वह 2028 के ओलंपिक में स्वर्ण का लक्ष्य लेकर उतरेंगे। विश्वकप का पदक इस वजह से महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमने लंबे समय से विश्वकप में कोई पदक नहीं जीता है।
खेल रत्न के लिए चुने गए पेरिस पैरालंपिक में टी-64 वर्ग का स्वर्ण और टोक्यो पैरालंपिक में रजत जीतने वाले पैरा एथलीट प्रवीण का सपना अपने के बीच विश्व चैंपियन बनने का है। प्रवीण को देश का सर्वोच्च खेल सम्मान जरूर मिलने वाला है, लेकिन वह इस वर्ष दिल्ली में होने वाली विश्व पैरा एथेलिटिक्स चैंपियनशिप की तैयारियों में जुटे हैं। प्रवीण कहते हैं कि वह इस चैंपियनशिप का स्वर्ण जीतना चाहते हैं, क्योंकि यह अपने देश में होने जा रही है। प्रवीण सामान्य एथलीटों की अंडर-23 चैंपियनशिप में स्वर्ण जीत चुके हैं। वह कहते हैं कि वह आम लोगों की तरह सम्मान हासिल करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सामान्य एथलीटों के टूर्नामेंट में भाग लेना शुरू किया। वह बीते वर्ष पंचुकला में हुए पेरिस ओलंपिक के ट्रायल में भी खेले थे। प्रवीण कहते हैं कि उन्हें खुशी होगी कि खेल रत्न एक से अधिक पैरा खिलाडि़यों को मिलें।