पहले वह महिला एथलीट थी….फिर उसने धोनी को छक्का लगाते क्या देखा…बन गयी महिला क्रिकेट की सिक्सर किंग…

 किरण नवगिरे-धोनी

नयी दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम। धुरंधर खिलाड़ियों की यही तो निशानी है व न सिर्फ अपनी टीम और देश को जीत दिलाते हैं बल्कि तमाम युवाओं की तकदीर और तस्वीर भी बदल देते हैं…… ऐसा ही हुआ है भारतीय महिला क्रिकेटर के साथ……. पहले वह एथलीट के तौर पर जानी जाती थी लेकिन धोनी के एक छक्के ने उस पर ऐसा प्रभाव डाला कि एथलेटिक्स छोड़ वह क्रिकेट के मैदान पर जौहर दिखाने लगी… और अब उसे सिक्सर किंग के नाम से जाना जाता है नाम है …किरण……. महेंद्र सिंह धोनी का वर्ल्ड कप जिताने वाला छक्का भारतीयों के दिल और दिमाग में बसा हुआ है और इस शॉट ने कई लोगों की जिंदगी बदल दी थी, जिसमें सोलापुर की एथलीट किरण नवगिरे भी शामिल हैं। एथलेटिक्स का नुकसान इसके बाद क्रिकेट का फायदा बन गया, जब महाराष्ट्र की राज्य स्तर की पूर्व एथलीट किरण ने फैसला किया कि अगर वह धोनी की तरह लंबे शॉट नहीं खेल पाईं तो फिर क्या मजा। धोनी के उस शॉट के 11 साल बाद नागालैंड के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने वाली 28 साल की किरण ने तुरंत सुर्खियां बटोरीं जब उन्होंने बड़े शॉट खेलने की अपनी क्षमता से प्रभावित किया। महिला टी20 चौलेंज में दाएं हाथ की बल्लेबाज किरण ने अपनी टीम वेलोसिटी की ओर से सबसे तेज अर्धशतक जड़ा और उनकी 34 गेंद में 69 रन की पारी को लंबे समय तक याद रखा जाएगा, खासकर उनके पांच छक्कों को। किरण ने टीम की अपनी साथी यस्तिका भाटिया से बात करते हुए बीसीसीआई.टीवी पर कहा, जब मैं छक्के मारती हूं और नेट पर प्रैक्टिस करती हूं तो काफी अच्छा लगता है। मैं छक्के मारने की प्रैक्टिस करती हूं, मैं धोनी सर का खेल देखती हूं और उनकी तरह मैच खत्म करना पसंद है, बड़े छक्के मारना।श्रीलंका के खिलाफ फाइनल में धोनी की नॉटआउट 91 रन की पारी ने किरण का जीवन बदल दिया क्योंकि इससे पहले वह एथलेटिक्स, खो-खो, कबड्डी पर अधिक ध्यान देती थीं और सोलापुर जिले के मिरे गांव में अपने खेतों में पिता की मदद करती थीं। किरण ने कहा, मैंने 2011 वर्ल्ड कप फाइनल देखा और धोनी सर के मैच विजयी छक्के ने मुझे प्रेरित किया और मेरे दिमाग पर इसकी छाप रह गई। उस छक्के ने मुझे प्रेरित किया और मुझे हमेशा लगता है कि हर मैच में मैं उस तरह छक्के लगा सकती हूं।

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