मप्र के गेंहू निर्यात को लग सकता है बड़ा झटका ?

गेंहू निर्यात

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। आधा सैकड़ा देशों में मप्र के शरबती और लोकमन गेंहू की धाक ऐसी जमी की उसकी मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है। प्रदेश के गेंहू का पहला जहाज आज रवाना किया जा रहा है। इस बीच केन्द्र सरकार द्वारा गेंहू के निर्यात पर रोक लगाए जाने से मप्र के गेंहू निर्यात के अभियान का झटका लग सकता है। प्रदेश से गेंहू निर्यात के लिए 259 कृषि उपज मंडियों में 2 हजार व्यापारियों ने निर्यातक के तौर पर ई -पोर्टल में अपना पंजीयन कराया है।
इन व्यापारियों के माध्यम से ही गेहूं का विदेश में निर्यात किया जाना है।  आज शनिवार को 6 लाख क्विटल गेहूं कांडला पोर्ट गुजरात से इजिप्ट के लिए रवाना किया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य कृषि विपणन बोर्ड को गेहूं निर्यात के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। मंडी बोर्ड की जानकारी के मुताबिक लगभग 9 लाख क्विटल गेहूं विभिन्न बंदरगाहों पर निर्यात के लिए भेजा जा चुका है। जिसकी कीमत करीब 250 करोड़ रुपए है। उधर, 1 अप्रैल से अब तक प्रदेश की मंडियों से लगभग 15 लाख टन गेहूं को देश के अन्य राज्यों में भी भेजा गया है, जिसमें से लगभग 40 प्रतिशत के निर्यात की संभावना है। पिछले वर्ष 2021-22 में मंडी प्रांगणों में 5.81 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवक दर्ज की गयी थी जो कि रिकॉर्ड वृद्धि के साथ इस वर्ष 2022-23 में 42.65 लाख मीट्रिक टन से अधिक हुई है। दरअसल प्रदेश के गेंहू की मांग बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका, यूएई, वियतनाम, मिश्र, फिलीपींस, जिंबाब्व,इजिप्ट, टर्की, सीरिया, अल्जीरिया, नाईजीरिया, और तंजानिया जैसे देशों में बहुत बनी हुई है। उधर, 2 महीने से राज्य सरकार द्वारा की जा रही मेहनत के बाद जब दुनिया के 50 से ज्यादा देशों से मध्य प्रदेश के गेहूं के लिए डिमांड आई तो केन्द्र सरकार ने पड़ोसी और अन्य जरूरतमंद देशों की सहायता के लिए तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। गजट नोटिफिकेशन में बताया गया है कि सिर्फ उस स्थिति में निर्यात की अनुमति दी जाएगी जहां अधिसूचना की तारीख को या उससे पहले अप्रतिसंहरणीय साख पत्र जारी किया गया हो।  इसके अलावा अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर निर्यात की अनुमति दी जाएगी। मप्र का अभी 9 लाख क्विंटल गेहूं बंदरगाहों पर रखा हुआ है। यह प्रतिबंध उस समय लगाया गया है जब मध्य प्रदेश की सरकार की मेहनत का परिणाम और किसानों को मोटा मुनाफा मिलने वाला था। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते मध्य प्रदेश के गेहूं की विदेशों में डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। जिसका सीधा फायदा प्रदेश के किसानों को मिल रहा है। इस सीजन में प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। जिसके बाद दुनिया के कई देशों को प्रदेश से अभी तक 2 लाख 4 हजार 771 मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात किया गया है। इससे सरकार को 460 करोड़ रुपए से ज्यादा का विदेशी राजस्व मिला है।
निर्यात में इन जिलों की भूमिका
आंकड़ों के मुताबिक साल 2021-22 और 2022-23 में 15 अप्रैल तक कुल 2 लाख 4 हजार 771 मीट्रिक टन गेहूं का विदेशों में निर्यात किया गया है. इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, हरदा, छिंदवाड़ा, दतिया से बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका, यूएई, वियतनाम जैसे देशों को बंपर निर्यात किया गया है। वहीं भोपाल, गुना, टीकमगढ़, मुरैना, ग्वालियर और अन्य जिलों से मिस्त्र, फिलीपींस, जिंबाब्वे और तंजानिया को भारी मात्रा में गेहूं का निर्यात करने की संभावना है। अभी तक सबसे ज्यादा 97 हजार 887 मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात इंदौर से हुआ है। गेहूं का निर्यात कांडला, मुंद्रा, विशाखापत्तनम बंदरगाहों और बांग्लादेश बॉर्डर के जरिए गेहूं का निर्यात किया जा रहा है। मिस्त्र की सरकारी उपार्जन संस्था से भारत के गेहूं के आयात को मान्यता मिल चुकी है।  
निर्यातकों को मिली सुविधाएं
प्रदेश के गेंहू निर्यात के लिए मंडी शुल्क की प्रतिपूर्ति करने की भी व्यवस्था मंडी बोर्ड द्वारा की गई है। मंडी प्रांगण में निर्यातक अगर चाहता है तो उसको रियायती दरों पर संरचना उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। विभिन्न ट्रांसपोर्ट एजेंसियों से सामंजस्य स्थापित करते हुए निर्यातकों को सुविधा प्रदान की जा रही है। इसके लिए मंडी बोर्ड मुख्यालय में कॉल सेंटर स्थापित किया गया है।

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