मसालों में भी लगी आग, मिर्च की तीखापन हुआ गायब

गैस सिंलेडर

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। गैस सिंलेडर से लेकर भोजन बनाने में उपयोग होने वाली सामग्री के दामोंं में पहले से ही बेतहाशा वृद्धि का दंश झेल रही जनता के लिए अब मसालों के दामें में हो रही लगातार वृद्वि ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। हालात यह है की आम आदमी की रसोई का पूरा बजट ही बिगड़ गया है। मसालों की हालत यह है की अब तो लोगों की मंहगाई की वजह से लाल मिर्च में भी तीखापन का स्वाद आना बंद हो गया है। सूखी लाल मिर्च, धनिया, हल्दी के दामों में 50 फीसदी तक दामों में वृद्वि हो चुकी है। यही नहीं अब तो लोगों के लिए दाल में तड़का लगाना भी मुश्किल होता जा रहा है। इसकी वजह है  जीरे के दामों में सौ रुपए प्रतिकिलो तक की वृद्वि होना। सर्वाधिक भाव गरम मसाले के बढ़े हैं। पिछले छह माह में गरम मसालें के दाम दोगुना हो चुके हैं। बीते कुछ समय से तो मसालों के दामोें में जमकर तेजी बनी हुई है। थोक मसाला कारोबारी योगेश गोयल के मुताबिक इस साल मसालों के भाव में पिछले साल से ज्यादा तेजी बनी हुई है। जो लोग साल भर का मसाला खरीदते हैं, वो भी अभी कम ही खरीद रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि एक दो माह में दाम गिर सकते हैं।
दोगुना तक हो चुकी है वृद्धि
बीते साल की तुलना में इस वर्ष कई सामग्रियों के दाम दो गुना तक हो गए हैं। 160 से 200 रुपए किलो बिकने ज्वाला जीरा 280 रुपए किलो तक पहुंच गया है। सौंफ भी 50 रुपए किलो महंगी हो चुकी है। इसके अलावा लाल मिर्च और धनिया के भावों में भी 60 रुपए प्रति किलो तक की तेजी बनी हुई है। लौंग, काली मिर्च पर तो 200 से 300 रुपए तक बढ़ चुके हैं।
यह भी है वजह
बीते साल की तुलना में इस साल मसालों के दामों में 50 फीसदी तक की वृद्धी की मुख्य बजह डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ने से भाड़ा चार से पांच हजार रुपए तक बढ़ गया है। इसके अलावा शादियां और त्योहार एक साथ आने से डिमांड भी ज्यादा है। दाम कम होने में अभी कुछ माह का समय लग सकता है।
इनका कहना है
गुलमोहर क्षेत्र की रहने वाली निधि श्रीवास्तव का कहना है की उनका संयुक्त परिवार है। वह हर वर्ष, साल भर का मसाला एक साथ खरीदकर रखती हैं। उनका कहना है की इस साल उसी मात्रा में खरीदे गए मसालों के बदले उन्हें 1300 रुपए अधिक का भुगतान करना पड़ा है। उनका कहना है की यह कीमत तब चुकानी पड़ी है जब उनके द्वारा कुछ मसालों की खरीदी में कटौति की गई है। उधर, रातीबढ़ निवासी निर्मला गोस्वामी का कहना है की वह हर बार साल भर के मसाले एक साथ खरीदती थीं, लेकिन अब उन्हें मजबूरी में यह आदत बदलनी पड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि साल भर के मसाले और अन्य सामान खरीदती हैं तो बजट गड़बड़ा जाएगा। इसलिए उन्होंने केवल एक माह के हिसाब से मसाले लिए हैं।

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