पीएम को खुश और सीएम का टेंशन कम करने में विजयवर्गीय सबसे आगे

  • कीर्ति राणा
कैलाश विजयवर्गीय

तीसरी बार केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद मोदी-शाह की जोड़ी को मध्य प्रदेश के किस नेता ने खुश किया, किसकी पहल से सीएम का तनाव कम हुआ। दिमाग पर ज्यादा जोर डालने की जरूरत नहीं है, वो एक ही नाम है कैलाश विजयवर्गीय।
पर्यावरण सुधार के लिहाज से प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश से ‘एक पेड़ मां के नाम’ लगाने का आह्वान किया था। इंदौर सहित प्रदेश-देश के अन्य भाजपा सांसदों, मंत्रियों की बत्ती जले उससे पहले नगरीय प्रशासन-आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस अभियान को लपक लिया। पर्यावरण सुधार में निरंतर फिसड्डी चल रहे इंदौर में जब उन्होंने 51 लाख पेड़ तीन घंटे में लगाने की घोषणा की थी, तब भाजपा में भी खुसर-पुसर हुई थी कि कैलाश जी कहीं गपोड़े साबित न हो जाएं और विरोधियों को उन्हें निपटाने का मौका न मिल जाए। वो तो शहर के पर्यावरणविदों ने यह सलाह देकर उनकी साख बचा ली कि तीन घंटे में 5 लाख पौधे लगा भी लिये तो सब पनप जाएं यह संभव नहीं, इसलिये कम से कम सात दिन का लक्ष्य रखिये।7 से 15 जुलाई तक चलने वाले इस अभियान में लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी शामिल होने की सहमति दे दी है। शहर के विभिन्न संगठनों, संस्थाओं का उत्साह बता रहा है कि 51 लाख से अधिक पौधे लगाने का रिकार्ड बनना तय है।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जब इस महाअभियान  के शुभारंभ के लिये जब ब्रिलियंट कन्वेशन सेंटर आए तो मंच से ही उन्होंने विजयवर्गीय के इस संकल्प की तारीफ भी की। यह कहने से भी नहीं चूके कि अकेले इंदौर ने 51 लाख पौधे लगाने का संकल्प लेकर उनका टेंशन इसलिए कम कर दिया है कि पूरे प्रदेश में साढ़े पांच करोड़ पौधे लगाना है।प्रदेश में साढ़े पांच करोड़ और देश में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मां के नाम एक पौधा’ लगाने का लक्ष्य 140 करोड़ रखा है।
होस्टल ध्वस्त निगम अमला मस्त
अवैध निर्माण ध्वस्त कर रहे नगर निगम अमले की आमजन तारीफ करने के साथ यह चर्चा भी कर रहे हैं कि निर्माण हो जाने के बाद ही क्यों जागते हैं। भंवरकुआं थाना क्षेत्र में एक ही दिन में तोडक़ दस्ते ने तीन होस्टल ध्वस्त कर डाले। अवैध होस्टल ध्वस्त करने में तो फुर्ती दिखाई गई लेकिन विपक्ष को तो महापौर से यह पूछने की भी हिम्मत नहीं है कि इस वार्ड-झोन में पदस्थ किसी निगम अधिकारी पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई है।
आरटीओ जा रहे हैं…!
सीएम हाउस तक ये सूचना किसने पहुंचाई है कि इंदौर परिवहन कार्यालय को यहीं के बाबूओं ने ठेके पर ले रखा है। परिवहन चौकियों पर पारदर्शी व्यवस्था की सर्वत्र प्रशंसा के बाद अब सीएम की नजर परिवहन कार्यालयों की व्यवस्था बेहतर बनाने की है। इंदौर आरटीओ में वर्षों से जमे बाबूओं द्वारा ठेके वाली व्यवस्था का ही परिणाम है कि साहब नहीं भी आएं तो सारा काम स्मूथ चलता रहता है। ऐसी सारी सूचनाओं की सत्यता पता लगने के बाद इस विभाग की बन रही सूची में बड़े साहब के साथ बड़े बाबू भी विदा कर दिए जाएं तो आश्चर्य नहीं होगा किसी को।
तब तो जागे नहीं
विधानसभा चुनाव में इंदौर के मतदाताओं का दिल जीतना था, तब तो सुपर कॉरिडोर वाले स्टेशन से मेट्रो के तीन डिब्बे चला दिये थे। मेट्रो प्रोजेक्ट में तय तो उस वक्त भी था कि बड़ा गणपति से राजवाड़ा, रीगल तक के इलाके में मेट्रो की पटरियां बिछाई जाएंगी। तब तो विधायकों-सांसद सहित भाजपा नेताओं के मुंह पर ताला लगा हुआ था। सीएम बदल गए, इंदौरी नेताओं की आवाज लौट आई, इन इलाकों के व्यापारियों की भी मूर्छा टूट गई । एक नंबर से जीते कैलाश विजयवर्गीय मंत्री बन गए तो इस भीड़ भरे इलाके का वर्षों तक व्यापार चौपट होने का हवाला देकर नए सिरे से प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने की आवाज निर्णायक हो गई। अब नए सिरे से करोड़ों खर्च होंगे प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने में।
दोषी गुरुजी तो हैं नहीं फिर…?
अयोध्या राम मंदिर आंदोलन के दौरान फायरब्रांड साध्वी (अब दीदी मां) ऋतम्भरा जी के गुरु युगपुरुष परमानंद गिरी द्वारा स्थापित मानसिक दिव्यांग युगपुरुष धाम के बच्चों में से पांच की मौत हो चुकी है। स्वामी परमानंद जी तो आश्रम के नियमित संचालन में हस्तक्षेप करते नहीं, इस हादसे के बाद से दुखी तो उनसे जुड़े अनुयायी भी हैं। प्रशासन तो पहले दिन ही सख्ती से कार्रवाई करना चाहता था, लेकिन जांच पर जांच चल रही है। शायद इससे दुखीजनों को कुछ राहत महसूस हो जाए।

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