एक अरब इकट्ठा करेंगे अब वीडी के ‘चंदा मामा’

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भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश भाजपा इस साल समर्पण निधि (आजीवन सहयोग निधि) के रुप में एक अरब रुपए इकट्ठा करने की इच्छा रखती है। अगर इतनी राशि जुटा ली जाती है , तो भाजपा अपने पांच सालों के लक्ष्य को एक साथ हासिल कर लेगी। दरअसल बीते कई सालों से भाजपा अपने इस निधि के लक्ष्य को पाने में फिसड्डी बनी हुई है। यही वजह है कि अब भाजपा संगठन ने अब तक के सबसे बड़े चंदा अभियान को चलाने की तैयारी शुरू कर दी है।
इस निधि में भाजपा अपने छोटे से लेकर बड़े कार्यकर्ता तक से समर्पण निधि के रुप में सहयोग लेगी। इस राशि को पार्टी एफडी के रुप में रखेगी और उससे मिलने वाले ब्याज से पार्टी खर्च चलाया जाएगा। इसके लिए पार्टी द्वारा 28 दिसंबर को स्व. कुशाभाऊ ठाकरे की पुण्यतिथि से अभियान शुरू किया जाएगा , जो पं. दीनदयाल की पुण्यतिथि 11 फरवरी तक चलेगा।
खास बात यह है कि इसके लिए पहली बार यह व्यवस्था की जा रही है कि इस निधि में 50 रुपए से लेकर बड़ी राशि तक का सहयोग लिया जा सकेगा। इतने बड़े तय किए गए लक्ष्य को हासिल करने के लिए जल्द ही पार्टी द्वारा जिलों को राशि का लक्ष्य दिया जाएगा। माना जा रहा है कि इसमें सर्वाधिक 20-20 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य इंदौर और भोपाल को दिया जाएगा, जबकि इस मामले में जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और रीवा को भी बड़ी राशि जुटाने का लक्ष्य दिया जा सकता है। लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रदेश संगठन द्वारा अपने तमाम नेता व पदाधिकारियों को भी प्रवास के दौरान इस पर प्रमुख रुप से ध्यान देने को कहा जा रहा है।
बीते साल महज 11 करोड़ ही मिले थे
मप्र में भाजपा द्वारा अब तक इस आजीवन सहयोग निधि के नाम पर 15 से 20 करोड़ तक का ही लक्ष्य तय किया जाता रहा है। इस लक्ष्य को भी पार्टी बामुश्किल हासिल करती रही है। हद तो यह रही की बाते साल कोरोना के समय पार्टी को महज 11 करोड़ रुपए का ही चंदा मिल सका था, जबकि इस निधी के लिए 20 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा गया था। इसके पहले तक पार्टी द्वारा इस निधि में 10 फीसदी तक की ही बढ़ोतरी की जाती रही है , लेकिन इस बार उसमें अचानक पांच गुना तक की वृद्धि कर इसका लक्ष्य सीधे सौ करोड़ रुपए कर दिया गया है।
विधायकों व सांसदों को देना होते हैं दस हजार रुपए
इस निधि में पार्टी के सभी सांसद-विधायकों को भी दस हजार रुपए देना अनिवार्य होता है। पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों से भी चेक, डीडी या ऑनलाइन भी सहयोग लेती है। खास बात यह है कि आजीवन सहयोग निधि का आधा पैसा प्रदेश कार्यालय और आधा जिला कार्यालय के बीच बांटा जाता है। इसमें से एक हिस्सा राज्य द्वारा केंद्र को और एक हिस्सा जिले द्वारा मंडल को दिया जाता है। यह बात अलग है कि प्रदेश में मंडलों को बीते एक दशक से कोई राशि नहीं दी जा रही है।
सत्ता से बाहर होते ही आ चुकी 70 फीसदी तक की कमी
तीन साल पहले जब प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव हुए तो भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। इसके बाद मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी पर वर्ष 2019 में मंदी की मार ऐसी पड़ी की साल के लिए तय की गई 10 करोड़ की राशि के एवज में महज तीन करोड़ दस लाख रुपए ही एकत्र हो पाए। इसकी वजह से आजीवन सहयोग निधि से मिलने वाले फंड में 70 फीसदी तक की की गिरावट आ गई, जबकि इसके  पहले के वर्ष 2018 में जब भाजपा सरकार में थी उस समय 10 करोड़ और 2017 में नौ करोड़ की रकम आजीवन सहयोग निधि में मिली थी।
पार्टी कार्यालय का चलता है खर्च
इस निधि से मिलने वाली राशि का उपयोग पार्टी द्वारा अपने कार्यालय खर्च में किया जाता है। इस निधि में कम राशि मिलने की वजह से पार्टी को एक बार तो अपनी पुरानी एफडी तक तोड़कर काम चलाना पड़ा है। दरअसल इसी निधि की रािश से संगठन के रोजमर्रा के खर्च भी चलते हैं। इसमें कार्यालय के रखरखाव, कार्यरत कर्मचारियों को वेतन बांटने से लेकर बैठक और कार्यक्रमों का खर्च शामिल है।

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