
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र भाजपा की कोर कमेटी की दिल्ली में पार्टी के आला नेताओं व संघ के पदाधिकारियों के साथ हुई कई घंटो की बैठक में जहां सत्ता व संगठन में परिवर्तन की पटकथा को तैयार किया गया तो वहीं, मिशन 2023 के रोडमैप का खाका भी खींचा गया। संघ और भाजपा की इस कोर ग्रुप की बैठक में पहली बार पार्टी के केंद्रीय नेताओं से लेकर संघ पदाधिकारियों के तेवर बेहद तीखे रहे। वे प्रशासनिक अक्षमता से लेकर भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर बेहद नाराज दिखाई दिए।
इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि आने वाले दिनों में मप्र में तेजी से बदलाव की बयार बहने वाली है। खास बात यह है कि यह बदलाव न केवल राजनैतिक तौर पर दिखाई देगा , बल्कि इसका असर प्रशासनिक स्तर पर भी दिखाई देगा। इस तरह के बदलाव की लंबे समय से कार्यकर्ताओं से लेकर आम आदमी भी प्रतीक्षा कर रहा है। इस दौरान तय किया गया है कि अब हर दो माह में एक बार संघ व भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक होगी, जिसमें उठाए गए कदमों के साथ ही किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा कर अगली रणनीति पर चर्चा की जाएगी। बैठक में संघ की ओर से भाजपा और संघ के बीच समन्वय का काम देखने वाले सर सहकार्यवाह अरुण कुमार, मध्य क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते, क्षेत्र कार्यवाह अशोक अग्रवाल और मध्यभारत प्रांत के प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर तो भाजपा की तरफ से राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा मौजूद रहे। बैठक शुरू होते ही प्रदेश संगठन और सत्ता की ओर से अपने-अपने कामों का प्रेजेंटेशन दिया गया। इसके बाद बैठक में सर सहकार्यवाह अरुण कुमार द्वारा भ्रष्टाचार पर सरकार द्वारा सख्ती न दिखाए जाने पर नाराजगी दिखाते हुए इस पर काम करने की नसीहत दी गई। उनके द्वारा भ्रष्टाचार के कुछ उदाहरण देकर बताया कि ब्यूरोक्रेसी किस तरह से बेलगाम है। दरअसल प्रदेश में ऐसे कई दर्जन मामले शासन व सरकार स्तर पर अनुमति के लिए लंबे समय से पड़े हुए हैं, जिनकी जांच लोकायुक्त द्वारा की जा चुकी है , लेकिन उन मामलों में चालान पेश करने की अनुमति ही नहीं दी जा रही है। इसके उलट कई विभागों में अफसरों द्वारा खुलकर सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार तो किया ही जा रहा है साथ ही हितग्राहियों से भी बगैर रिश्वत लिए उनके काम नहीं किए जाते हैं। हद तो यह है कि कुछ नेताओं ने भी ऐसे अफसरों की शिकायत की है, लेकिन उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस दौरान तय किया गया की ऐसे अफसरों को जल्द ही हटा दिया जाए। संघ ने रामनवमी के जुलूस पर हुई घटनाओं पर मिले फीडबैक पर भी नाराजगी जताई है। संघ नेताओं न इसे सरकार के साथ ही प्रशासनिक लापरवाही माना है। करीब पौने चार घंटे चली इस समन्वय बैठक में यह भी तय हुआ कि प्रदेश में दंगा और पत्थरबाजी करने वालों के खिलाफ उत्तर प्रदेश की तरह कड़ी कार्रवाई की जाए। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार में पारदर्शिता जरूरी है। संगठन के विस्तार के साथ-साथ सरकार और संगठन में समन्वय भी जरूरी है। सभी फैसले सामूहिक रूप से लिए जाना चाहिए।
रहा सामाजिक समीकरण पर जोर
बैठक में तय किया गया कि प्रदेश के दो करोड़ आदिवासी वर्ग के बीच जनजागरण के कार्य में तेजी लाई जाएगी। विजयवर्गीय ने आदिवासी और अजा वर्ग के युवा नेतृत्व को आगे लाने की बात कही। संघ की आइडियोलॉजी के आधार पर सरकार और संगठन के विभिन्न कार्यक्रम बनेंगे, जो अगले एक साल तक होते रहेंगे। इसके अलावा संघ ने कहा कि कांग्रेस के साथ पीएफआई और भीम आर्मी जैसे संगठन सक्रिय हैं। ऐसे में संघ के अनुषांगिक संगठनों में विस्तार के लिए काम करना होगा। वीडी शर्मा ने मिशन 2023 में होने वाले चुनावों की योजना बताई।
इन मामलों में भी जताई गई नारागी
बैठक में एंटी इनकंबेंसी पर चिंता जताने के साथ अनुसूचित जाति- जनजाति वर्ग को साधने के समुचित प्रयास न किए जाने पर नाराजगी जताई गई। नेताओं ने कहा कि जिन कारणों से 2018 का चुनाव भाजपा हारी थी, उन परिस्थितियों में अब भी कोई बदलाव नहीं आया है। अफसरशाही हावी है, जनप्रतिनिधियों का आचरण जनता में सत्ता-संगठन की छवि खराब कर रहा है। मंत्रियों की छवि खराब है, प्रदर्शन कमजोर है, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण नहीं है। इसके साथ ही तय किया गया की इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार के स्तर पर कसावट लाई जाए। इसके लिए सामूहिक रूप से निर्णय लिए जाएं।
उप्र का हार्डकोर हिंदुत्व होगा चुनावी एजेंडा
मध्यप्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा हार्डकोर हिंदुत्व के एजेंडे के साथ उतरेगी। यह फैसला कल दिल्ली में हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और प्रदेश भाजपा संगठन की बैठक में तय कर लिया गया है। इसके लिए उप्र के हिन्दुत्व के मॉडल को अपनाने पर जोर दिया गया है। दरअसल उप्र चुनाव में योगी द्वारा अपनाए गए हिन्दुत्व का मॉडल विपक्ष के सभी मुद्दों पर भारी पड़ा है , जिसकी वजह से भाजपा दोबारा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में सफल रही है।
अफसरों के साथ ही मंत्रिमंडल में होगा फेरबदल: इस दौरान किए गए मंथन में यह भी तय किया गया है कि भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अफसरों को हटाकर उनकी जगह ईमानदार छवि वाले अफसरों को पदस्थ किया जाए। इसके अलावा मंत्रियों के परफार्मेंस पर हुई बात के आधार पर तय किया गया है कि पार्टी ने एक सर्वे करवाया है, जिसमें करीब आधा दर्जन मंत्रियों का कामकाज बेहद खराब पाया गया है। अब इन्हें हटाकर नया युवा और ऊर्जावान चेहरों को मौका देने का भी फैसला किया गया है। इसकी वजह से अब यह भी तय है कि जल्द ही प्रदेश में मंत्रिमंडल का पुर्नगठन किया जाएगा। इस तरह से प्रदेश मंत्रिमंडल में पूर्व से चल रहे चार रिक्त पदों को मिलाकर लगभग एक तिहाई नए चेहरों को शामिल किए जाने की संभावनाएं बन गई हैं।