दिव्यांगों को सरकार सुविधाएं दिलाने में पिछड़ी सरकार

सुविधाएं

-अभी भी 9.40 लाख दिव्यांग सरकार की पहुंच से दूर
-6 साल में 5.50 लाख दिव्यांग के ही यूनिवर्सल आईडी कार्ड बने
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम।
प्रदेश में करीब 15.51 लाख दिव्यांग हैं, लेकिन सरकार अभी तक आधे दिव्यागों को भी पता नहीं लगा पाई है, ताकि उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलाया जा सके। प्रदेश में दिव्यांग आबादी को ढूंढ़ने में सरकार की कोशिशों से लेकर हाईटेक जतन तक फेल हो गए हैं। 6 साल में सरकार 9.40 लाख दिव्यांगों को नहीं ढूंढ़ सकी। इतनी बड़ी आबादी जनगणना में तो ट्रेस हुई, लेकिन सरकारी सुविधाएं लेने रजिस्ट्रेशन में आगे नहीं आई। सरकार ने योजनाओं का लाभ देने के लिए कई प्रयास किए, पर हालात नहीं बदले। हाईटेक तकनीक का प्रयोग करके उनकी यूनिवर्सल आईडी बनाने की कवायद भी सफल नहीं हुई।
प्रदेश में 2011 की जनगणना के मुताबिक 15.51 लाख दिव्यांग हैं। सरकार ने रजिस्ट्रेशन किया तो 6.47 लाख ही ट्रेस हो पाए। 6.47 लाख रजिस्टर्ड दिव्यांगों में 5.50 लाख के ही यूनिक यूनिवर्सल कार्ड बने हैं। 5.22 लाख दिव्यांग पेंशन ले रहे हैं। पांच साल से कई बार बाकी आबादी को ट्रेस करने की कोशिश हुई, लेकिन दिव्यांगों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। इन 6.47 लाख में 5.50 लाख दिव्यांग के ही यूनिवर्सल आईडी कार्ड बने। छह साल पहले इन कार्ड को बनाने की शुरूआत की गई थी। अब सरकार ने फिर मशक्कत शुरू की है।
नहीं मिलेगा योजनाओं  का लाभ
अब सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए सरकार दिव्यांगों के यूनिवर्सल कार्ड को अनिवार्य करने जा रही है। इसके बिना किसी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। यह भी एक कारण है कि केंद्र ने अपनी योजनाओं में बिना आईडेंटिफाई दिव्यांग के लिए कोई मदद नहीं देना तय किया है। केंद्रीय मंत्रालय ने हर दिव्यांग का डिजिटल रिकार्ड बनाने और उसे मेन सर्वर पर अपलोड करने कहा है। इससे हर दिव्यांग सीधे केंद्रीय स्तर से भी ट्रेस हो जाएगा। दिव्यांगों के रजिस्ट्रेशन न होने के पीछे सबसे बड़ी परेशानी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने में होने वाली दिक्कत है। सर्टिफिकेट बनने के बाद भी प्रक्रिया जटिल व लंबी होने से ग्रामीण व आदिवासी अंचल की आबादी ज्यादा रुचि नहीं दिखाती।

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