निर्यात पर रोक से व्यापारियों का.. 36 खरब का भुगतान अटका

 व्यापारियों

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भारत से विदेशों में गेहूं निर्यात पर रोक लगाए जाने के बाद प्रदेश के व्यापारियों का 17 लाख 71 हजार मीट्रिक टन गेहूं मध्यप्रदेश में ही अटक जाने की वजह से उनका करीब 36 खरब रुपए अटक गया है। हालत यह है की अब तक प्रदेश से महज छह लाख मीट्रिक टन गेहूं का ही निर्यात हो सका है। प्रदेश से एक दर्जन फर्मों के माध्यम से गेंहू निर्यात के लिए किसानों से 23 लाख 79 हजार 823 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था। किसानों से व्यापारियों ने मंडियों में 23 सौ रुपए प्रति क्विंटल के दाम तक गेहूं खरीदा था।
यह गेहूं विदेशों में इजिप्त, यमन, यूएस, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, बांगलादेश, श्रीलंका सहित एक दर्जन से अधिक देशों में निर्यात किया गया है। अब तक केवल 6 लाख मीट्रिक टन गेहूं का ही निर्यात हो सका था, कि  केन्द्र सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। निर्यात पर प्रतिबंध लगने के दौरान ही दो लाख 65 हजार मीट्रिक टन गेहूं बंदरगाहों पर लोड हो गया है। पोर्ट पर बंदरगाहों में 3लाख 85 हजार 400 मीट्रिक टन गेहूं पोर्ट के गोदामों में पड़ा है। वहीं एक लाख 4 हजार 668 मीट्रिक टन गेहूं रेलवे रेक पर जमा है। स्थानीय भंडारगृहों में भी 9 लाख 43 हजार 745 मीट्रिक टन गेहूं जमा है। अब जो गेहूं फिलहाल भारत से विदेशों के लिए रवाना नहीं हो पाया है उस पर असमंजस की स्थिति है। यह गेहूं विदेश नहीं जा पाता है तो उनके परिवहन, भंडारण, पैकिंग पर खर्च राशि बेकार जाएगी। उधर, इस प्रतिबंध से जहां व्यापारियों व किसानों को नुकसान हो रहा है तो आटा बनाने वाली मिलों से लेकर सरकार को फायदा होता नजर आ रहा है।
तो हो सकता है 120 करोड़ का नुकसान
भोपाल मंडी व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष हरीश ज्ञानचंदानी का कहना है की  भेजे गए माल की लागत ही व्यापारी को 2600 रु. क्विंटल पड़ रही है। मंडियों में गेहूं के दाम 200 रुपए सीधे कम हो गए। अब यह गेहूं बाजार में बमुश्किल 2000 रुपए प्रति क्विंटल ही बिकेगा। यानी हर बोरी पर व्यापारियों का प्रारंभिक नुकसान ही 600 रु. क्विं. हो गया। प्रदेश भर में यह नुकसान 120 करोड़ रुपए का होगा। अचानक लगी रोक से हरकत में आए प्रदेश के व्यापारियों ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कमल पटेल से मुलाकात करने के अपनी परेशानी बताई। हालांकि कहीं से भी उन्हें ठोस आश्वासन नहीं मिला।
एक दशक बाद आटे की कीमत आसमान पर 
जनवरी 2010 के बाद आटे की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, 9 मई को देश में एक किलो आटे की औसत कीमत 32.91 रुपये रही। अकेले एक साल में ही एक किलो आटे की कीमत 4 रुपये से ज्यादा बढ़ गई है। मुंबई समेत कई जगहों पर एक किलो आटा 49 रुपए किलो तक पहुंचने का दावा रहा। ऐसी परिस्थिति में देश में गेहूं और आटे की कीमत कंट्रोल करने के मकसद से रविवार को गेहूं के निर्यात पर रोक का फैसला हुआ, लेकिन तब देश में सबसे ज्यादा गेहूं उगाकर देने वाले पंजाब और हरियाणा के किसान ही सवाल उठाने लगे।  
सरकार को कितनी है जरूरत
केंद्र सरकार को 26 मिलियन टन गेहूं की जरूरत तो सिर्फ पीडीएस के तहत जरूरतमंदों को अनाज देने के लिए चाहिए। साथ ही अप्रैल से सितंबर तक देश में पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए 5.4 मिलियन टन गेहूं चाहिए। जबकि इस साल 14 मई तक सरकारी गोदाम में खरीदकर 18 मिलियन टन गेहूं ही आ पाया है। पिछले साल 37 मिलियन टन गेहूं सरकार खरीद चुकी थी। यानी सरकारी गोदाम में गेहूं कम आया है। क्योंकि कहा जा रहा है कि सरकारी एजेंसियों की जगह व्यापारियों ने पहले ही किसानों को 2015 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी से ज्यादा कीमत देकर गेहूं खरीद लिया था।
 किसानों को नुकसान …
व्यापारियों के मुताबिक सरकार 2015 क्विंटल समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद रही है जबकि, व्यापारियों द्वारा 2100 से 2500 रुपए क्विंटल गेहूं खरीदा जा रहा है। निर्यात बंद होने के बाद व्यापारियों द्वारा खरीदी भी बंद कर दी गई है जिसकी वजह से किसानों को अब समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचना पड़ रहा है। व्यापारियों ने ये भी मांग उठाई है कि सरकार अगर किसान हितैषी है तो फिर समर्थन मूल्य में 300 रुपए तक का बोनस देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि मप्र में गेहूं का सरकारी रेट 2015 रु क्विंटल था। कांडला पोर्ट में निर्यात के लिए इसके दाम 2600 रु.क्विंटल चल रहे थे। इसलिए व्यापारियों ने किसानों से गेहूं 22,00 रु. क्विं पर खरीदा। 300 रु. क्विन्टल का भाड़ा देकर माल कांडला पोर्ट में भेजा। यानी व्यापारियों को प्रति बोरी 100 रु. मिलने थे। निर्यात रुकने के बाद निर्यातकों ने गेहूं लेना बंद कर दिया। ट्रकों को माल के साथ लौटने को कहा जाने लगा। ट्रांसपोर्टर्स ने बिना अतिरिक्त भाड़ा लिए व्यापारियों का गेहूं लेकर आने से मना कर दिया। मजबूर व्यापारियों को 100 रु. बोरी तक अतिरिक्त भाड़ा देना पड़ेगा।
भंडार ग्रहों  में 10 लाख 50 हजार टन
मीरा इंटरनेशनल, गुरुदेव एक्सपोर्ट, केएन रेसोर्सेस, विटा इंडिया, बगादिया ब्रदर्स, प्योर ईट इंडिया और विप्पी एग्रो का एक लाख 4 हजार 668 मीट्रिक टन गेहूं रेलवे रैक पर है। वहीं विदेश पहुंचाने के लिए स्थानीय भंडार ग्रहों में भी 9 लाख 43 हजार मीट्रिक टन गेहूं रखा हुआ है। यह गेहूं आईटीसी का आठ लाख, कारगिल का बीस हजार, गुरुदेव एक्सपोर्ट सहित एक दर्जन फर्मों का है।

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